Kal maine Ranjhana Dekhi maja aagaya. uske kuch dialogue hai jo - TopicsExpress



          

Kal maine Ranjhana Dekhi maja aagaya. uske kuch dialogue hai jo hamesha yaad rahenge 1. हमें अपने गाल पर थप्पड़ से ज्यादा उसके गाल पर पप्पी का शौक था... 2. ए रिक्शा वाले! पैसा मत ले मैडम से। भाभी है तुम्हारी... 3. गली के लौंडों का प्यार अक्सर डॉक्टर और इंजिनियर ले जाते हैं... 4. हम खून बहाएं, तुम आंसू बहाओ। साला आशिकी न हो गई, लाठीचार्ज हो गया। 5. लंका दहन होना बाकी था, क्योंकि हमारा जवान होना अभी बाकी था। 6. एक बात मैं समझ गया हूं। लड़की और रॉकेट आपको कहीं भी ले जा सकते हैं। 7. तुम्हारा प्यार न हो गया,यूपीएससी का एग्ज़ाम हो गया। 10 साल से क्लियर ही नहीं हो रहा। 8. नमाज में वो थी, पर ऐसा लगा कि दुआ हमारी कबूल हो गई। 9.कुन्दन के पाजामे का नाड़ा इतना कमजोर नही बिंदिया, जो तेरे ब्लाउज के दो बटन पर खुलजाये. १०. मेरे पीछे स्कूटर में बैठना पड़ेगा . मैं ब्रेक मारूंगा तुम्हे मुझपे गिरना पड़ेगा .मेरे साथ नाचना - गाना पड़ेगा गर्लफ्रेंड न सही .फीलहीग देदे " 11. 180 रुपये किलो है सेब, विटामिन हमसे खाओ,आशिकी इनसे लड़ाओ|और सबसे जबरदस्त 12. साढ़े सात साल में तो शनीचर भी छोड़ देता है,पता नहीं ये कब छोड़ेगी। Aur last line jo aap ko rula degi aur aur banarsi hone per garv mahsus karyegi. "मेरे सीने की आग या तो मुझे जिंदा कर सकती थी या मुझे मार सकती थी.पर साला अब उठे कौन, कौन फिर से मेहनत करे दिल तुडवाने को, अबे कोई तो आवाज़ देके रोक लो.ये जो लड़की मुर्दा सी आँख लिए बैठी है बगल में, आज भी हाँ बोल दे तो महादेव की कसम, वापस आ जायेंगे, पर नहीं अब साला मूड नहीं, आँखें मूद लेने में ही सुख है, सो जाने में ही भलाई है. पर उठेंगे किसी दिन उसी गंगा किनारे डमरू बजाने को, उन्ही बनारस की गलियों में दौड़ लगाने को, किसी जोया के इश्क़ में पड़ जाने को " बनारस की वो खिड़की आज भी खुलती होगी। लेकिन अब उसमें वह बात कहां...एक जमाना हुआ करता था जब गा‍हे बगाहे नजरें वहां चली ही जाया करती थी। वक्‍त बदला, खिड़की का रंग भी बदल गया। लेकिन गली भी वही रही और घर भी वही रहा। बनारस की हर गली में कुछ ऐसी खिड़कियां हैं, जहां आशिक अपनी महबूबा की एक झलक पाने के लिए बेकरार रहता है। वक्‍त के साथ सिर्फ आशिक और महबूबा बदल जाते हैं। लेकिन खिड़की नहीं बदल पाती। पुरानी पीढ़ी शहर छोड़कर कहीं और चले जाते हैं और उनकी जगह नई पीढ़ी के युवा आ जाते हैं। कभी उस गली से गुजरते हुए उस खिड़की को निहारिए। यकीन मानिए आप अपने अतीत की गलियों में पहुंच जाएंगे। जहां सिर्फ इश्‍क हुआ करता था। कमीनियत का कहीं नामोनिशान नहीं था।
Posted on: Tue, 02 Jul 2013 06:00:36 +0000

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