जनलोकपाल - TopicsExpress



          

जनलोकपाल कानून जनलोकपाल कानून Started Working at भ्रष्टाचारमुक्त भारत Janlokpal Corruption Free India जुलाई, 2012 — Justice Head · RT जनलोकपाल कानून JAN RT @ # JANLOKPAL, # IAC ,# AAP 100% BHARAT SWARAJ EMPOWERMENT FREEDOM OF THE PEOPLE. जनलोकपाल कानून,राईट टू रीकॉल,राईट टू रिजेक्ट, @ aamaadmiparty.org , indiaagains tcorruption , Janlokpal.kanoon@facebook, Janlokpal.rti/Bharat@gmail/facebook/twitter , WE The People Of Bharat Give TAX FUND/Money By Election Vote To Run The BHARAT ( India & Pakistan ) But Govt.,BRITISH INDIA SANDHI 1947, CONGRESS..UPA & BJP..NDA,CBI,POLICE, SC&HC,POLITICS,PAID MEDIA (ZEE NEWS,ABP,NDTV,INDIA TV,IBN7) News, BOLLYWOOD, CRICKET, BRITISH, CHINA, ITLY & PRINT MEDIA Are Looting Our BHARAT PEOPLE TAX FUND By ELECTION VOTE BANK since 1947 & Do Politics by Divide & Rule Hindu Muslim India Pakistan, To Stop The Corruption,Poverty & Staravation in BHARAT, We Have to Get Swaraj, JANLOKPAL KANOON, RIGHT TO REJECT & RECALL & REFORMS & 100% BHARAT CCTV PROCESS & 100% 24 Hrs Free Medical Treatment,EDUCATION, WATER & LIGHT By The BHARAT #FREE #CCTV # PEOPLE # JUSTICE EMPOWERMENT PROCESS. # VOTE 4 #JANLOKPAL CCTV, #JANLOKPAL RT . Janlokpal.kanoon @facebook/twitter and Janlokpal.rti/Bharat@gmail/facebook/twitter @@@@@JANLOKPAL@@@@@@@RTI@@@@@ JAN RT @ #JANLOKPAL,#IAC,#AAP 100% BHARAT SWARAJ EMPOWERMENT FREEDOM OF THE PEOPLE. जनलोकपाल कानून,राईट टू रीकॉल,राईट टू रिजेक्ट, @ aamaadmiparty.org , indiaagainstcorruption , Janlokpal.kanoon@facebook, Janlokpal.rti/ Bharat@gmail/facebook/twitter , WE The People Of Bharat Give TAX FUND/Money By Election Vote To Run The BHARAT ( India & Pakistan ) But Govt.,BRITISH INDIA SANDHI 1947, CONGRESS..UPA & BJP..NDA,CBI,POLICE, SC&HC,POLITICS,PAID MEDIA (ZEE NEWS,ABP,NDTV,INDIA TV,IBN7) News, BOLLYWOOD, CRICKET, BRITISH, CHINA, ITLY & PRINT MEDIA Are Looting Our BHARAT PEOPLE TAX FUND By ELECTION VOTE BANK since 1947 & Do Politics by Divide & Rule Hindu Muslim India Pakistan, To Stop The Corruption,Poverty & Staravation in BHARAT, We Have to Get Swaraj, JANLOKPAL KANOON, RIGHT TO REJECT & RECALL & REFORMS & 100% BHARAT CCTV PROCESS & 100% 24 Hrs Free Medical Treatment,EDUCATION, WATER & LIGHT By The BHARAT #FREE #CCTV #PEOPLE #JUSTICE EMPOWERMENT PROCESS. #VOTE 4 #JANLOKPAL CCTV, #JANLOKPAL RT . 26 Jan 1950 = Rule of Law and 15 August 1947 = British India # Sandhi ( # Police # Government of # India # CBI # HC &SC #EC ETC...) देश की मीडिया टी.आर.पी का सवाल है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक माह पहले तक Modi vs Rahul, एक सप्ताह पहले तक Modi vs Nitish, पहले भी आजकल भी Modi vs Advani, . क्या आगे के दिनो मे ये उम्मीद की जा सकती है Modi vs Obama. Youth 4 Change Society सारे जहाँ से अच्छा लोकतंत्र हमारा.. मनमोहन जी कोयला खा गये , लालू खा गये चारा ll सारे जहाँ से अच्छा , लोकतंत्र हमारा घोटाले के रेलमंत्री कहते , भांजा नही हमारा ll महगाई की मार से रोता , आम आदमी सारा ll सज्जन कुमार को बरी करके , कहते है निर्दोष बेचारा ll भारत को लूटने के चक्कर मे , राहुल रहा कुवारा ll सारे जहाँ से अच्छा, लोकतंत्र हमारा... फोन काल अब सस्ती हो गयी, दाल का चढ गया पारा ll घोटालो पे घोटाला करके, कहते है दोष नही हमारा ll राजनीति के चक्कर मे , शहीद हुआ सरबजीत बेचारा ll आईपीएल की धूम मची है , काम छोड गये साराll नेता जी यह देख रहे है , किसने छक्का मारा ll सारे जहाँ से अच्छा , लोकतंत्र हमारा.... चारो तरफ लूट मची है , देश बेच गये सारा ll जात पात के चक्कर का है , वोट बैंक ये सारा ll हिन्दु मुस्लिम के चक्कर मे , हर हिन्दुस्थानी हारा ll सारे जहाँ से अच्छा लोकतंत्र हमारा ... शिकायत बहुत कर ली, बहुत मिनत्तें कर लीं, बहुत गिडगिडा लिए, बहुत वादे सुने, बहुत यकीन कर लिया ! अब और नही ! अब वक़्त है अपना अधिकार लेने का ! स्वराज का सपना , व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई ,भ्रष्ट तंत्र से देश को आज़ाद करने की मुहीम हम खुद साकार करेंगे ! अब सड़क से चल कर हम संसद का रास्ता तय करेंगे ! अब लोकतंत्र की शक्ति से तानाशाही की जड़ें हिल जाएँगी ! हुक्मरान भी देखेंगे , जो गद्दी दे सकते हैं वो वापिस भी ले सकते हैं ! हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में, हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए। Indapur Wakeup II भारत के इस निर्माण पे शक है मेरा ! मीलों हम आ गए, मीलों हमें जाना है हज़ारों करोड़ हम खा गए... लाखों करोड़ हमें अब खाना है ! हो रहा भारत बर्बाद !!! भारत के इस निर्माण पे शक है मेरा ! by Ajay Kumar True Indian हो रहा भारत निर्माण किकेट के मैदानोँ में , कोयले की खानों में , हेलिकॉपटरोँ से आकाश में , 2g से फिजाओं में , नरेगा से गावों में . चीन की बनायीं सडको से, हो रहा भारत निर्माण , पकिस्तान की गलबहियों से , अपहिजो की बैसाखियों से , ज़मीनों का दामाद से , कर रहे ये भारत निर्माण .. हो रहा है भारत निर्माण .... । मेरे देश के नौजवानों परसों अपना वोट देने से पहले ..जरा याद जरुर कर लेना वोट देने के पहले इन बयानों को जरुर याद रखे... 1. बोफोर्स की ही तरह कोयला घोटल भी जनता भूल जायेगी – सुशील शिंदे 2. पुलिस और सेना के लोग मरने के लिए ही होते हैं – भीम सिंह 3. हमारे सैनिकों को पाकिस्तान की सेना ने नहीं बल्कि उनकी वर्दियों में आतंकवादियों ने मारा है - एके एंटनी 4. पीने के लिए पानी नहीं है तो क्या बांधों में मूतकर के पानी ला दूं - अजित पवार 6. महंगाई ज्यादा सोना खरीदने की वजह से बढ़ रही है – पी चिदंबरम 7. पैसे पेड़ पर नहीं लगते – मनमोहन सिंह 8. हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे महंगाई पर काबू किया जाये – मनमोहन सिंह 9. गायों को काटने से देश को कोई नुकसान नहीं अगर नहीं काटेंगे तो बूड्डी होकर देश पर आफत बनेगी - शरद पवार 10. सोनिया जी कहे तो मैं झाडू पोछा भी लगाउँगा : चरणों वाला चरण दास ! 11. ईस्ट इंडिया कंपनी 400 साल भारत को लूटने आई थी मैं आपको फिर निमंत्रण देने आया हूँ अगले 200 सालोंके लिए आप फिर भारत चले आयें ! देअर विल बी ह्यूज रिवॉर्ड फॉर इंडिया - पी चिदम्बरम (1996 लंदन ) 12. भारत माता डायन है : आजम खान 13. 5 रुपए मे लोग पेट भर खाना खा सकते हैं : राज बब्बर 14. अगर हम गाय की रक्षा करने लगे तो दुनिया कहेगी हम भारत को 15 वी शताब्दी मे ले जा रहे हैं : नेहरू 1952 ( मतलब गाय काटने से देश 21 वीं शताब्दी मे जाएगा ? ) 16. महंगाई के लिए गरीब जिम्मेदार : मनमोहन सिंह ! 17. इस देश को इस्लामिक नही बल्कि हिन्दू आतंकियों से ज्यादा खतरा है – राहुल गाँधी उर्फ़ पप्पू पेजर 18. वन्देमातरम नहीं बोलूंगा : हमीद अंसारी 19. बाटला हाउस में आतंकवादियों के मरने पर सोनिया जी बहुत रोयीं थीं - सलमान खुर्शीद 20. जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो आसपास की जमीन हिल जाती है (4500 सिख भाइयो के कत्लेआम के बाद ) :राजीव गांधी, 21. लोग ज्यादा ज्यादा खाना खाते हे इसीलिए महंगाई ज्यादा बढती हे - चिदंबरम फाइनेंस मिनिस्टर 22. देश में गरीब नामकी कोई चीज नही है, ये सब लोगोकी मानसिक बीमारी हे - साहेब जावड़े . 23. जब बीबी पुरानी हो जाती है तो वो मजा नही देती - कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जैसवाल 24. विमान के इकोनोमिक क्लास को कैटल क्लास कहना चाहिए क्योकि इकोनोमिक क्लास में सफर करने वाले गरीब जाहिल और जानवर होते है - शशी थरूर 26. मै जब चाहू तब सांसद बन सकता हूँ मेरे लिए ये बहूत छोटी बात है (सांसद या सांसद बनना ?)- राबर्ट वढेरा, राष्ट्रीय जमाई 27. यूपी वाले भिखारी है ये पंजाब और गुजरात में जाकर भीख मांगते है - राहुल गाँधी 28. पंजाबी लोग नशेड़ी होते है - राहुल गाँधी एक बार वोट देने से पहले इन बातों पर गौर जरूर करना । संसद की सफाई के लिए भ्रष्ट नेताओं को हराना जरूरी... देश के भ्रष्ट नेताओं की लिस्ट...देश के बेइमानों की लिस्ट... सोनिया गाँधी, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, सुरेश कलमाडी, चिदंबरम, कपिल सिब्बल, नितिन गडकरी, सलमान खुर्शीद, सुशील शिंदे, येदुरप्पा, प्रफुल्ल पटेल, शरद पवार, मायावती, मुलायम सिंह यादव, अनंत कुमार, वीरप्पा मोइली, एच डी कुमारास्वामी, अलागिरी, कनिमोझी, जी के वासन, अनु टंडन, श्रीप्रकाश जायसवाल, जगनमोहन रेड्डी, अनुराग ठाकुर, पवन बंसल, फारुख अब्दुल्ला, तरुण गोगोई, ए राजा, कमलनाथ... बिक गयी है धरती , गगन बिक न जाए , बिक रहा है पानी,पवन बिक न जाए , चाँद पर भी बिकने लगी है जमीं ., डर है की सूरज की तपन बिक न जाए , हर जगह बिकने लगी है स्वार्थ नीति, डर है की कहीं धर्म बिक न जाए , देकर दहॆज ख़रीदा गया है अब दुल्हे को , कही उसी के हाथों दुल्हन बिक न जाए , हर काम की रिश्वत ले रहे अब ये नेता , कही इन्ही के हाथों वतन बिक न जाए , सरे आम बिकने लगे अब तोह सांसद , डर है की कहीं संसद भवन बिक न जाए , आदमी मरा तोह भी आँखें खुली हुई हैं डरता है मुर्दा , कहीं कफ़न बिक न जाए. मोदीभक्तों की जानकारी के लिए:- लोकत्रंत से ऊपर कोई नही,न राहुल,मोदी,अरविन्द:-किसी नेता पर कटाक्ष/आलोचना कर सकते है:सविंधान की धारा 19(क,ख,ग) तानाशाही का मूल = व्यक्तिवाद, धर्मवाद, जातिवाद, वंशवाद .... भ्रष्टाचारी मोदी = व्यक्तिवाद .. राहुल=वंशवाद ....... आप= राष्ट्रवाद जनलोकपाल कानून RT @ AAP... 100% BHARAT SWARAJ EMPOWERMENT FREEDOM OF THE PEOPLE. जनलोकपाल कानून,राईट टू रीकॉल,राईट टू रिजेक्ट, @ aamaadmiparty.org , indiaagainstcorruption , Janlokpal.kanoon@facebook, WE The People Of Bharat Give TAX FUND/Money By Election Vote To Run The BHARAT ( India & Pakistan ) But Govt.,BRITISH INDIA SANDHI 1947, CONGRESS..UPA & BJP..NDA,CBI,POLICE, SC&HC,POLITICS,PAID MEDIA (ZEE NEWS,ABP,NDTV,INDIA TV,IBN7) News, BOLLYWOOD, CRICKET, BRITISH, CHINA, ITLY & PRINT MEDIA Are Looting Our BHARAT PEOPLE TAX FUND By ELECTION VOTE BANK since 1947 & Do Politics by Divide & Rule Hindu Muslim India Pakistan, To Stop The Corruption,Poverty & Staravation in BHARAT, We Have to Get Swaraj, JANLOKPAL KANOON, RIGHT TO REJECT & RECALL & REFORMS & 100% BHARAT CCTV PROCESS & 100% 24 Hrs Free Medical Treatment,EDUCATION, WATER & LIGHT By The BHARAT SWARAJ PEOPLE EMPOWERMENT To Resolve All Problems. Jai Swaraj. # Bijli Pani Rally # QUIT FEAR. RT@FWD Arvind Kejriwal-Youth Icon Of India शिकायत बहुत कर ली, बहुत मिनत्तें कर लीं, बहुत गिडगिडा लिए, बहुत वादे सुने, बहुत यकीन कर लिया ! अब और नही ! अब वक़्त है अपना अधिकार लेने का ! स्वराज का सपना , व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई ,भ्रष्ट तंत्र से देश को आज़ाद करने की मुहीम हम खुद साकार करेंगे ! अब सड़क से चल कर हम संसद का रास्ता तय करेंगे ! अब लोकतंत्र की शक्ति से तानाशाही की जड़ें हिल जाएँगी ! हुक्मरान भी देखेंगे , जो गद्दी दे सकते हैं वो वापिस भी ले सकते हैं ! हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में, हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए। Indapur Wakeup II भारत के इस निर्माण पे शक है मेरा ! मीलों हम आ गए, मीलों हमें जाना है हज़ारों करोड़ हम खा गए... लाखों करोड़ हमें अब खाना है ! हो रहा भारत बर्बाद !!! भारत के इस निर्माण पे शक है मेरा ! by Ajay Kumar True Indian हो रहा भारत निर्माण किकेट के मैदानोँ में , कोयले की खानों में , हेलिकॉपटरोँ से आकाश में , 2g से फिजाओं में , नरेगा से गावों में . चीन की बनायीं सडको से, हो रहा भारत निर्माण , पकिस्तान की गलबहियों से , अपहिजो की बैसाखियों से , ज़मीनों का दामाद से , कर रहे ये भारत निर्माण .. हो रहा है भारत निर्माण .... । *Arvind Kejriwal - Mission Total Revolution* भारत की पहली राज नैतिक पार्टी >> **आम आदमी पार्टी** ================================= 1. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसमें उमीदवार के टिकट के नाम पर किसी भी प्रकार की खरीद फरोख्त नहीं होगी ! 2. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसने राजनीती से परिवार वाद और वंशवाद की समाप्ति के लिए एक परिवार से केवल एक व्यक्ति को टिकट देने की घोषणा की है ! 3. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसमे कोई भी अपराधी तथा अपराधिक मामलो में लिप्त उमीदवार नहीं होगा ! 4. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसका कोई भी उमीदवार सुरक्षा व सरकारी बंगला, गाड़ी नहीं लेगा ! 5. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसका पैसे का हिसाब-किताब सार्वजानिक होगा ! 6. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जो सत्ता (कुर्सी की ताकत ) को सीधे आम आदमी (जनता) तक पहुचना चाहती है! 7. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसमें गरीब से गरीब व्यक्ति को सीधे जनता के दरबार में ले जाने की व्यवस्था है ! 8. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जो जनलोक पाल बिल व CBI को सरकारी तंत्र से पूर्ण आज़ादी चाहती है ! 9. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जो Right to Reject और Right to Recall लाना चाहती है और भ्रष्ट नेताओ को व कर्मचारियों को 1 साल के अंदर सजा दिलाने के लिए चाहे वो आम आदमी पार्टी का ही नेता क्यू न हो ! 10. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसने आम आदमी के हित मैं बिजली पानी के दाम आधे रेट पर करने की घोषणा की है ! 11. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जो संसद को अपराधियों व अपराध मैं लिप्त व्यक्तियों से मुक्त करना चाहती है ! 12. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसके उमीदवारो का चयन आम आदमी (जनता ) द्वारा किया जायेगा ! 13. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसने भ्रष्ट सरकार और भ्रष्ट राजनितिक पार्टियों की पोल खोल दी और आम आदमी को जगाने का काम किया है ! 14. भारत की पहली राजनितिक पार्टी जिसमे कोई भी पार्टी का हाई कमान नहीं होगा ... सिर्फ पार्टी के कार्यकर्ता ही मिलकर फैसला लेंगे! आम आदमी मिलकर फैसला लेंगे ! आओ हम सब मिलकर आम आदमी पार्टी को भारत ही नहीं विश्व की ईमानदार व भ्रष्टाचार मुक्त पार्टी बनाये ! भारत भ्रष्टाचार से मुक्त हो गरीबी से मुक्त हो! ------------------------------------------------ -- हीरा लाल Arvind Kejriwal-Youth Icon Of India ये टट्टू नेता लठैतों की फ़ौज खड़ी करके धारा 144 तो ऐसे थोक के भाव लगा देते हैं जैसे हम युवा आन्दोलनकारी देशभक्त देश के सबसे बड़े दुश्मन हों और ये भ्रष्ट नेता देशप्रेम की मूर्ती..टुच्चेपन की हद हो गयी यारों :-)) हमारी नज़र में लाठियों और डंडों से पिटाई खाने का पहला हक़ सिर्फ नेताओं का है जो हा हल्ला करते हैं और महनत की कमाई खाने वाले, देश की फ़िक्र में डूबे आम आदमी के लिए दो ढंग के काम भी नहीं कर पाते|... स्वराज SWARAJ सीबीआई पर से नियंत्रण खत्म नहीं करना चाहती है सरकार...सीबीआई को स्वायत्तता के नाम पर लॉलीपॉप देने की तैयारी हो रही है...ग्रुप ऑफ मिनिस्टर यानी GoM (चिदंबरम, सिब्बल, मनीष तिवारी) सीबीआई पर से सरकारी नियंत्रण खत्म करने के हक में नहीं है.... bit.ly/­ 11yp7ah ...SHARE...SHARE...SHARE स्वराज SWARAJ अब राजनीतिक दलों को भी अपना हिसाब- किताब देना होगा...जी हां, देश की सभी पार्टियों को अब सूचना के अधिकार एक्ट (आईटीआई) के तहत लाया जाएगा...एक अपील पर सुनवाई के बाद केंद्रीय सूचना आयोग यानी कि CIC ने यह आदेश दिया है...अब राजनीतिक दलों को चंदे से लेकर हर खर्च की जानकारी जनता को देनी होगी...क्या होगा अब कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा....का !!! ... aajtak.intoday.in/story/political-parties-to-­ come-under-right-to-information-act-1-73­ 2501.html ...SHARE...SHARE...SHARE.. Aam Aadmi Party मनमोहन जी कोयला खा गये, लालू खा गये चारा ll सारे जहाँ से अच्छा, लोकतंत्र हमारा घोटाले के रेलमंत्री कहते, भांजा नही हमारा ll महगाई की मार से रोता, आम आदमी सारा ll सज्जन कुमार को बरी करके, कहते है निर्दोष बेचारा भारत को लूटने के चक्कर मे, राहुल रहा कुवारा ll फोन काल अब सस्ती हो गयी, दाल का चढ गया पारा घोटालो पे घोटाला करके, कहते दोष नही हमारा ll राजनीति के चक्कर मे, शहीद हुआ सरबजीत बेचारा आईपीएल की धूम मची है, काम छोड गये साराll नेता जी यह देख रहे है, किसने छक्का मारा चारो तरफ लूट मची है, देश बेच गये सारा ll जात पात के चक्कर का है, वोट बैंक ये सारा हिन्दु मुस्लिम के चक्कर मे, हर हिंदुस्तानी हारा ll !!! सारे जहाँ से अच्छा लोकतंत्र हमारा !!! स्वराज SWARAJ देश के मौजूदा राजनैतिक समीकरणों और उथल- पुथल के इस दौर में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) द्वारा राजनितिक पार्टियों को RTI के अधीन लाने के ऐतिसाहिक फैसले से इन पार्टियों ( सिवाय आम आदमी पार्टी के ) में हडकंप है....इनके कुछ दिग्गज महानुभाव तो इस खबर से कुछ यूँ बौखला गए हैं जैसे देहात में शरारती बच्चों द्वारा कुत्ते की पूँछ में पटाखों की लड़ीं जलाने पर कुत्ता बौखला जाता है.....इन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या करें और क्या ना करें..... पर एक बात तो साफ़ है..इस आदेश ने इन पार्टियों के मुखोटे उतार फैंके हैं...कल तक एक दुसरे को गरिया रही पार्टियाँ आज एक साथ इस मुद्दे पर इस तरह से लामबंद हो चुकी हैं जैसे की समुद्र-मंथन के दौरान सभी असुरी ताक़तें एक तरफ लामबंद हो गयी थी..वो जो कल तक एक दुसरे के दुश्मन थे आज एक ही सुर में मिमिया रहे हैं.... इन दलों का कहना है है कि ये फैसला जनतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है...मुझे लगता है कि वो कहना चाह रहे थे कि ये फैसला “जवाई” तंत्र पर हमला है !!!! इन लोगों का ये भी कहना है कि राजनितिक दल कोई “सरकारी संस्थान “ नहीं हैं कि इन्हें RTI के दायरे में लाया जाये....क्यों भाई.. तुम राजनितिक दल इस पूरे सरकारी तंत्र का पूरा दोहन करोगे पर “सरकारी” नहीं कहलवाओगे ? वाह जी वाह, चुनावी कयावाद पूरी होने पर सरकार को जन्म तो दोगे पर खुद सरकारी नहीं बनोगे ? मतलब बच्चे को जन्म तो देने को तैयार हो पर पिता बनना मंजूर नहीं- क्या बात है भाई साहब...!!!!!!!!!!! अगर “सरकारी” नहीं हो तो फिर “सरकारी बंगलों” में किस हैसियत से रह रहे हो ? ये दिल्ली के आलीशान और सबसे महंगे इलाकों में तुम्हारे “बंगले” और “दफ्तर” कैसे बन गए? अगर सरकारी नहीं हो तो फिर तुम्हारे बंगलों के सामने ये दुनिया भर की सरकारी पुलिस कर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था कैसे लगी है ? ये तुम्हारे “गैर-सरकारी” नेता कैसे “सरकारी” बंदूकों के साए में घूमते हैं ? बड़ी-बड़ी रेलियाँ और सम्मलेन करते वक़्त किस मुंह से सरकारी संसाधनों का उपभोग करते हो ? किस नैतिक आधार पर करोड़ों-अरबों रूपए खर्च कर टीवी और अखबार में अपनी पार्टी की सरकार की उपलब्धियां गिनाते हो तुम....अरे भाई, काम तो सरकार ने किया है ना ? और आपके ही तर्क के अनुसार आपकी पार्टी तो “गैर- सरकारी संसथान” है- तो फिर आपकी पार्टी के गैर-सरकारी अध्यक्ष की तस्वीर कैसे “सरकारी” विज्ञापन में आ जाती है ? क्यों तुम लोगों की “गैर-सरकारी संस्थाओं” के नेताओं को अलग-अलग बोर्ड और विभागों का “ चेयरमैन” बना कर लाल बत्तियों की गाडी बाँट दी जाती है ? क्यों तुम्हारे पार्टी के “स्वजनों” को संसदीय सचिव बना कर मंत्री पद जैसे अधिकार दिए जाते हैं ? क्यों नहीं इन बोर्डों के चेयरमैन के पद के लिए बाकि सरकारी नौकरियों की तरह चयन प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती ? क्या जनता को बेवकूफ समझ रखा है आप लोगों ने ? किसके बाप का पैसा है मियां जो बताने से इतना तिलमिला रहे हो ? क्या अमरीका, रूस या स्वित्ज़रलैंड से आया है ये पैसा ? क्या रंग है इस पैसे का -काला या सफ़ेद ? किसी मासूम के खून से तो नहीं रंग है ये पैसा ? तुम लोग कहते हो कि तुम जनता-जनार्दन से पैसे लेकर जनहित का काम करते हो और जनता के बारे में ही सोच कर सब निर्णय लेते हो....अगर सच में ही जब हमारे बारे में ही सोचते हो तो फिर हमें भी बताओ कि ये सोचने के लिए फाइव स्टार होटल का खर्चा कौन कर रहा है ? ये सोचने के लिए हवाई- यात्रा का खर्चा कहाँ से आ रहा है ? ये शानो-शौकत, ये ऐशो-आराम, ये ठाठ-बाठ, ये सता का गरूर, घमंड किसने दिया तुम्हे ? इसी जनता ने ना ? फिर अगर यही जनता तुमसे पूछती है कि जरा हिसाब-किताब दे दो तो इतना हंगामा क्यों मचा रखा है ? अरे भाई, आम जीवन का उदाहरण ही ले लो....आम तौर पर मोहल्ले में “दुर्गा-पूजा” या “गणेश-उत्सव” के दौरान मोहल्ले के युवा लड़के-लड़कियां चंदा इकठ्ठा करके पूजा आयोजित करवाते हैं...तो क्या उत्सव ख़त्म होने पर उसी मोहल्ले के लोगों को उन लड़कों से ये पूछने का अधिकार नहीं है कि कुल जमा कितना चंदा कहाँ से आया, कितना खर्च हुआ और कितना बचा है ? क्या लड़कों की रसीद बुक, खर्चे के बिल देखने का अधिकार वहां की जनता को नहीं है ? क्या लड़के ये कहकर हिसाब देने से मना कर सकते हैं कि हम तो “ सरकारी संसथान” नहीं हैं तो हम हिसाब क्यों दें ? अब समय बदल चूका है...परिवर्तन – वो भी निर्णायक परिवर्तन- अवश्यभावी है....इसे अब टाला नहीं जा सकता...पिछले 65 सालों से जो जनता डरी-सहमी सी बैठी थी अब और चुप नहीं रहने वाली....अब ये तुम लोगों की संगठित चाल-बाजियां और “फ़र्ज़ी” आपसी विरोध जनता समझ चुकी है... अब धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय, सत्य-असत्य के बीच के महाभारत का रण तैयार हो चूका है.....देश की जनता की आँखों के सामने दोनों पक्ष इस निर्णायक युद्ध के लिए तैयार खड़े हैं...समस्त असुरी शक्तियों के साथ कौरवों का दल एक तरफ तो आम आदमी रूपी कृष्ण के साथ पांडवों का दल आम आदमी पार्टी के तौर पर दूसरी तरफ खड़ा है..अब आर-पार की लड़ाई है... अब बदलाव आना ही है....इसे लाना ही होगा ......इसे आना ही होगा..... शायद इसी किस्म की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही महान रचनाकार श्री दुष्यंत कुमार ने कभी कहा था- “ कैसे-कैसे मंजर सामने आने लगे हैं, गाते-गाते लोग अब चिल्लाने लगे हैं, अब तो इस तालाब का पानी बदल दो, अब कमल के फूल भी कुम्भलाने लगे हैं...” जय हिन्द !! वन्दे मातरम !! भारत माता की जय !! डॉ राजेश गर्ग. garg50@rediffmail 6 जून 2013 जनलोकपाल कानून पहले शेयर करे फिर पढे ! कृपया इस कडवे सच को ज्यादा से ज्यादा तक पाहुचाए...... Transfer of Power Agreement को जाने और दुसरो को बताएं 14 अगस्त 1947 कि रात को आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था सत्ता के हस्तांतरण की संधि ( Transfer of Power Agreement ) यानि भारत के आज़ादी की संधि | ये इतनी खतरनाक संधि है की अगर आप अंग्रेजों द्वारा सन 1615 से लेकर 1857 तक किये गए सभी 565 संधियों या कहें साजिस को जोड़ देंगे तो उस से भी ज्यादा खतरनाक संधि है ये | 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई बल्कि ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट हुआ था पंडित नेहरु और लोर्ड माउन्ट बेटन के बीच में | Transfer of Power और Independence ये दो अलग चीजे है | स्वतंत्रता और सत्ता का हस्तांतरण ये दो अलग चीजे है | और सत्ता का हस्तांतरण कैसे होता है ? आप देखते होंगे क़ि एक पार्टी की सरकार है, वो चुनाव में हार जाये, दूसरी पार्टी की सरकार आती है तो दूसरी पार्टी का प्रधानमन्त्री जब शपथ ग्रहण करता है, तो वो शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोगों में से बहुतों ने देखा होगा, तो जिस रजिस्टर पर आने वाला प्रधानमन्त्री हस्ताक्षर करता है, उसी रजिस्टर को ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर की बुक कहते है और उस पर हस्ताक्षर के बाद पुराना प्रधानमन्त्री नए प्रधानमन्त्री को सत्ता सौंप देता है | और पुराना प्रधानमंत्री निकल कर बाहर चला जाता है | यही नाटक हुआ था 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजे | लार्ड माउन्ट बेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरु के हाथ में सौंपी थी, और हमने कह दिया कि स्वराज्य आ गया | कैसा स्वराज्य और काहे का स्वराज्य ? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? ये भी समझ लीजिये | अंग्रेज कहते थे क़ि हमने स्वराज्य दिया, माने अंग्रेजों ने अपना राज तुमको सौंपा है ताकि तुम लोग कुछ दिन इसे चला लो जब जरुरत पड़ेगी तो हम दुबारा आ जायेंगे | ये अंग्रेजो का interpretation (व्याख्या) था | और हिन्दुस्तानी लोगों की व्याख्या क्या थी स्वराज्य ले लिया | और इस संधि के अनुसार ही भारत के दो टुकड़े किये गए और भारत और पाकिस्तान नामक दो Dominion States बनाये गए हैं | ये Dominion State का अर्थ हिंदी में होता है एक बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य, ये शाब्दिक अर्थ है और भारत के सन्दर्भ में इसका असल अर्थ भी यही है | अंग्रेजी में इसका एक अर्थ है One of the self- governing nations in the British Commonwealth और दूसरा Dominance or power through legal authority | Dominion State और Independent Nation में जमीन आसमान का अंतर होता है | मतलब सीधा है क़ि हम (भारत और पाकिस्तान) आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | दुःख तो ये होता है की उस समय के सत्ता के लालची लोगों ने बिना सोचे समझे या आप कह सकते हैं क़ि पुरे होशो हवास में इस संधि को मान लिया या कहें जानबूझ कर ये सब स्वीकार कर लिया | और ये जो तथाकथित आज़ादी आयी, इसका कानून अंग्रेजों के संसद में बनाया गया और इसका नाम रखा गया Indian Independence Act यानि भारत के स्वतंत्रता का कानून | और ऐसे धोखाधड़ी से अगर इस देश की आजादी आई हो तो वो आजादी, आजादी है कहाँ ? और इसीलिए गाँधी जी (महात्मा गाँधी) 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में नहीं आये थे | वो नोआखाली में थे | और कोंग्रेस के बड़े नेता गाँधी जी को बुलाने के लिए गए थे कि बापू चलिए आप | गाँधी जी ने मना कर दिया था | क्यों ? गाँधी जी कहते थे कि मै मानता नहीं कि कोई आजादी आ रही है | और गाँधी जी ने स्पस्ट कह दिया था कि ये आजादी नहीं आ रही है सत्ता के हस्तांतरण का समझौता हो रहा है | और गाँधी जी ने नोआखाली से प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी | उस प्रेस स्टेटमेंट के पहले ही वाक्य में गाँधी जी ने ये कहा कि मै हिन्दुस्तान के उन करोडो लोगों को ये सन्देश देना चाहता हु कि ये जो तथाकथित आजादी (So Called Freedom) आ रही है ये मै नहीं लाया | ये सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फंस कर लाये है | मै मानता नहीं कि इस देश में कोई आजादी आई है | और 14 अगस्त 1947 की रात को गाँधी जी दिल्ली में नहीं थे नोआखाली में थे | माने भारत की राजनीति का सबसे बड़ा पुरोधा जिसने हिन्दुस्तान की आज़ादी की लड़ाई की नीव रखी हो वो आदमी 14 अगस्त 1947 की रात को दिल्ली में मौजूद नहीं था | क्यों ? इसका अर्थ है कि गाँधी जी इससे सहमत नहीं थे | (नोआखाली के दंगे तो एक बहाना था असल बात तो ये सत्ता का हस्तांतरण ही था) और 14 अगस्त 1947 की रात को जो कुछ हुआ है वो आजादी नहीं आई .... ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर का एग्रीमेंट लागू हुआ था पंडित नेहरु और अंग्रेजी सरकार के बीच में | अब शर्तों की बात करता हूँ , सब का जिक्र करना तो संभव नहीं है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तों की जिक्र जरूर करूंगा जिसे एक आम भारतीय जानता है और उनसे परिचित है इस संधि की शर्तों के मुताबिक हम आज भी अंग्रेजों के अधीन/मातहत ही हैं | वो एक शब्द आप सब सुनते हैं न Commonwealth Nations | अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में Commonwealth Game हुए थे आप सब को याद होगा ही और उसी में बहुत बड़ा घोटाला भी हुआ है | ये Commonwealth का मतलब होता है समान सम्पति | किसकी समान सम्पति ? ब्रिटेन की रानी की समान सम्पति | आप जानते हैं ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वो आज भी भारत की नागरिक है और हमारे जैसे 71 देशों की महारानी है वो | Commonwealth में 71 देश है और इन सभी 71 देशों में जाने के लिए ब्रिटेन की महारानी को वीजा की जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो अपने ही देश में जा रही है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ब्रिटेन में जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है क्योंकि वो दुसरे देश में जा रहे हैं | मतलब इसका निकाले तो ये हुआ कि या तो ब्रिटेन की महारानी भारत की नागरिक है या फिर भारत आज भी ब्रिटेन का उपनिवेश है इसलिए ब्रिटेन की रानी को पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं होती है अगर दोनों बाते सही है तो 15 अगस्त 1947 को हमारी आज़ादी की बात कही जाती है वो झूठ है | और Commonwealth Nations में हमारी एंट्री जो है वो एक Dominion State के रूप में है न क़ि Independent Nation के रूप में| इस देश में प्रोटोकोल है क़ि जब भी नए राष्ट्रपति बनेंगे तो 21 तोपों की सलामी दी जाएगी उसके अलावा किसी को भी नहीं | लेकिन ब्रिटेन की महारानी आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है, इसका क्या मतलब है? और पिछली बार ब्रिटेन की महारानी यहाँ आयी थी तो एक निमंत्रण पत्र छपा था और उस निमंत्रण पत्र में ऊपर जो नाम था वो ब्रिटेन की महारानी का था और उसके नीचे भारत के राष्ट्रपति का नाम था मतलब हमारे देश का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक नहीं है | ये है राजनितिक गुलामी, हम कैसे माने क़ि हम एक स्वतंत्र देश में रह रहे हैं | एक शब्द आप सुनते होंगे High Commission ये अंग्रेजों का एक गुलाम देश दुसरे गुलाम देश के यहाँ खोलता है लेकिन इसे Embassy नहीं कहा जाता | एक मानसिक गुलामी का उदहारण भी देखिये ....... हमारे यहाँ के अख़बारों में आप देखते होंगे क़ि कैसे शब्द प्रयोग होते हैं - (ब्रिटेन की महारानी नहीं) महारानी एलिज़ाबेथ, (ब्रिटेन के प्रिन्स चार्ल्स नहीं) प्रिन्स चार्ल्स , (ब्रिटेन की प्रिंसेस नहीं) प्रिंसेस डैना (अब तो वो हैं नहीं), अब तो एक और प्रिन्स विलियम भी आ गए है | भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही नाम से संबोधित किया जायेगा | हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन दस्तावेजों में ये इंडिया है | संविधान के प्रस्तावना में ये लिखा गया है India that is Bharat जब क़ि होना ये चाहिए था Bharat that was India लेकिन दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया | ये इसी संधि के शर्तों में से एक है | अब हम भारत के लोग जो इंडिया कहते हैं वो कहीं से भी भारत नहीं है | कुछ दिन पहले मैं एक लेख पढ़ रहा था अब किसका था याद नहीं आ रहा है उसमे उस व्यक्ति ने बताया था कि इंडिया का नाम बदल के भारत कर दिया जाये तो इस देश में आश्चर्यजनक बदलाव आ जायेगा और ये विश्व की बड़ी शक्ति बन जायेगा अब उस शख्स के बात में कितनी सच्चाई है मैं नहीं जानता, लेकिन भारत जब तक भारत था तब तक तो दुनिया में सबसे आगे था और ये जब से इंडिया हुआ है तब से पीछे, पीछे और पीछे ही होता जा रहा है | भारत के संसद में वन्दे मातरम नहीं गया जायेगा अगले 50 वर्षों तक यानि 1997 तक | 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया तब जाकर पहली बार इस तथाकथित आजाद देश की संसद में वन्देमातरम गाया गया | 50 वर्षों तक नहीं गाया गया क्योंकि ये भी इसी संधि की शर्तों में से एक है | और वन्देमातरम को ले के मुसलमानों में जो भ्रम फैलाया गया वो अंग्रेजों के दिशानिर्देश पर ही हुआ था | इस गीत में कुछ भी ऐसा आपत्तिजनक नहीं है जो मुसलमानों के दिल को ठेस पहुचाये | आपत्तिजनक तो जन,गन,मन में है जिसमे एक शख्स को भारत भाग्यविधाता यानि भारत के हर व्यक्ति का भगवान बताया गया है या कहें भगवान से भी बढ़कर | इस संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों के हवाले करना था | यही वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस अपने देश के लिए लापता रहे और कहाँ मर खप गए ये आज तक किसी को मालूम नहीं है | समय समय पर कई अफवाहें फैली लेकिन सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और न ही किसी ने उनको ढूँढने में रूचि दिखाई | मतलब भारत का एक महान स्वतंत्रता सेनानी अपने ही देश के लिए बेगाना हो गया | सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाई थी ये तो आप सब लोगों को मालूम होगा ही लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है क़ि ये 1942 में बनाया गया था और उसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था | और जर्मनी के हिटलर और इंग्लैंड के एटली और चर्चिल के व्यक्तिगत विवादों की वजह से ये द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और दोनों देश एक दुसरे के कट्टर दुश्मन थे | एक दुश्मन देश की मदद से सुभाष चन्द्र बोस ने अंग्रेजों के नाकों चने चबवा दिए थे | एक तो अंग्रेज उधर विश्वयुद्ध में लगे थे दूसरी तरफ उन्हें भारत में भी सुभाष चन्द्र बोस की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | इसलिए वे सुभाष चन्द्र बोस के दुश्मन थे | इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही हमारे syllabus में पढाया जाता था बहुत दिनों तक | और अभी एक महीने पहले तक ICSE बोर्ड के किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने अदालत में एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट पर ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) | आप भारत के सभी बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखते होंगे व्हीलर बुक स्टोर वो इसी संधि की शर्तों के अनुसार है | ये व्हीलर कौन था ? ये व्हीलर सबसे बड़ा अत्याचारी था | इसने इस देश क़ि हजारों माँ, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार किया था | इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी | 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रजों ने यहाँ के सभी 24 हजार लोगों को जान से मरवा दिया था चाहे वो गोदी का बच्चा हो या मरणासन्न हालत में पड़ा कोई बुड्ढा | इस व्हीलर के नाम से इंग्लैंड में एक एजेंसी शुरू हुई थी और वही भारत में आ गयी | भारत आजाद हुआ तो ये ख़त्म होना चाहिए था, नहीं तो कम से कम नाम भी बदल देते | लेकिन वो नहीं बदला गया क्योंकि ये इस संधि में है | इस संधि की शर्तों के अनुसार अंग्रेज देश छोड़ के चले जायेगे लेकिन इस देश में कोई भी कानून चाहे वो किसी क्षेत्र में हो नहीं बदला जायेगा | इसलिए आज भी इस देश में 34735 कानून वैसे के वैसे चल रहे हैं जैसे अंग्रेजों के समय चलता था | Indian Police Act, Indian Civil Services Act (अब इसका नाम है Indian Civil Administrative Act), Indian Penal Code (Ireland में भी IPC चलता है और Ireland में जहाँ I का मतलब Irish है वही भारत के IPC में I का मतलब Indian है बाकि सब के सब कंटेंट एक ही है, कौमा और फुल स्टॉप का भी अंतर नहीं है) Indian Citizenship Act, Indian Advocates Act, Indian Education Act, Land Acquisition Act, Criminal Procedure Act, Indian Evidence Act, Indian Income Tax Act, Indian Forest Act, Indian Agricultural Price Commission Act सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं बिना फुल स्टॉप और कौमा बदले हुए | इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे | शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जायेंगे | आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊँ सब के सब वैसे ही खड़े हैं और हमें मुंह चिढ़ा रहे हैं | लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है , वास्को डी गामा नामक शहर है (हाला क़ि वो पुर्तगाली था ) रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, (पटना में) फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों भवन और रोड हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं | आप भी अपने शहर में देखिएगा वहां भी कोई न कोई भवन, सड़क उन लोगों के नाम से होंगे | हमारे गुजरात में एक शहर है सूरत, इस सूरत शहर में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला | अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वो सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था | ये गुलामी का पहला अध्याय आज तक सूरत शहर में खड़ा है | हमारे यहाँ शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों की है क्योंकि ये इस संधि में लिखा है और मजे क़ि बात ये है क़ि अंग्रेजों ने हमारे यहाँ एक शिक्षा व्यवस्था दी और अपने यहाँ अलग किस्म क़ि शिक्षा व्यवस्था रखी है | हमारे यहाँ शिक्षा में डिग्री का महत्व है और उनके यहाँ ठीक उल्टा है | मेरे पास ज्ञान है और मैं कोई अविष्कार करता हूँ तो भारत में पूछा जायेगा क़ि तुम्हारे पास कौन सी डिग्री है ? अगर नहीं है तो मेरे अविष्कार और ज्ञान का कोई मतलब नहीं है | जबकि उनके यहाँ ऐसा बिलकुल नहीं है आप अगर कोई अविष्कार करते हैं और आपके पास ज्ञान है लेकिन कोई डिग्री नहीं हैं तो कोई बात नहीं आपको प्रोत्साहित किया जायेगा | नोबेल पुरस्कार पाने के लिए आपको डिग्री की जरूरत नहीं होती है | हमारे शिक्षा तंत्र को अंग्रेजों ने डिग्री में बांध दिया था जो आज भी वैसे के वैसा ही चल रहा है | ये जो 30 नंबर का पास मार्क्स आप देखते हैं वो उसी शिक्षा व्यवस्था क़ि देन है, मतलब ये है क़ि आप भले ही 70 नंबर में फेल है लेकिन 30 नंबर लाये है तो पास हैं, ऐसा शिक्षा तंत्र से सिर्फ गदहे ही पैदा हो सकते हैं और यही अंग्रेज चाहते थे | आप देखते होंगे क़ि हमारे देश में एक विषय चलता है जिसका नाम है Anthropology | जानते है इसमें क्या पढाया जाता है ? इसमें गुलाम लोगों क़ि मानसिक अवस्था के बारे में पढाया जाता है | और ये अंग्रेजों ने ही इस देश में शुरू किया था और आज आज़ादी के 64 साल बाद भी ये इस देश के विश्वविद्यालयों में पढाया जाता है और यहाँ तक क़ि सिविल सर्विस की परीक्षा में भी ये चलता है | इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद को कोई सहयोग नहीं दिया जायेगा मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये ये साजिस की गयी | आयुर्वेद को अंग्रेजों ने नष्ट करने का भरसक प्रयास किया था लेकिन ऐसा कर नहीं पाए | दुनिया में जितने भी पैथी हैं उनमे ये होता है क़ि पहले आप बीमार हों तो आपका इलाज होगा लेकिन आयुर्वेद एक ऐसी विद्या है जिसमे कहा जाता है क़ि आप बीमार ही मत पड़िए | आपको मैं एक सच्ची घटना बताता हूँ - जोर्ज वाशिंगटन जो क़ि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति थ 1799 में बीमार पड़ा और जब उसका बुखार ठीक नहीं हो रहा था तो उसके डाक्टरों ने कहा क़ि इनके शरीर का खून गन्दा हो गया है जब इसको निकाला जायेगा तो ये बुखार ठीक होगा और उसके दोनों हाथों क़ि नसें डाक्टरों ने काट दी और खून निकल जाने की वजह से जोर्ज वाशिंगटन मर गया | ये घटना 1799 की है और 1780 में एक अंग्रेज भारत आया था और यहाँ से प्लास्टिक सर्जरी सीख के गया था | मतलब कहने का ये है क़ि हमारे देश का चिकित्सा विज्ञान कितना विकसित था उस समय | और ये सब आयुर्वेद की वजह से था और उसी आयुर्वेद को आज हमारे सरकार ने हाशिये पर पंहुचा दिया है | इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल संस्कृति को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा | हमारे देश के समृद्धि और यहाँ मौजूद उच्च तकनीक की वजह ये गुरुकुल ही थे | और अंग्रेजों ने सबसे पहले इस देश की गुरुकुल परंपरा को ही तोडा था, मैं यहाँ लार्ड मेकॉले की एक उक्ति को यहाँ बताना चाहूँगा जो उसने 2 फ़रवरी 1835 को ब्रिटिश संसद में दिया था, उसने कहा था I have traveled across the length and breadth of India and have not seen one person who is a beggar, who is a thief, such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such caliber, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spiritual and cultural heritage, and, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think that all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation | गुरुकुल का मतलब हम लोग केवल वेद, पुराण,उपनिषद ही समझते हैं जो की हमारी मुर्खता है अगर आज की भाषा में कहूं तो ये गुरुकुल जो होते थे वो सब के सब Higher Learning Institute हुआ करते थे | इस संधि में एक और खास बात है | इसमें कहा गया है क़ि अगर हमारे देश के (भारत के) अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो इस देश में या उसके फैसले को लेकर संबिधान में भी कोई जानकारी न हो तो साफ़ साफ़ संधि में लिखा गया है क़ि वो सारे मुकदमों का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के आदर्शों के आधार पर ही होगा, भारतीय न्याय पद्धति का आदर्श उसमे लागू नहीं होगा | कितनी शर्मनाक स्थिति है ये क़ि हमें अभी भी अंग्रेजों का ही अनुसरण करना होगा | भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और संधि के हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी | और उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब हिंदुस्तान यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और लुटती रही और आज भी वो सिलसिला जारी है | अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसे ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है और ये भी इसी संधि का हिस्सा है | आप देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में, न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहीं अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि उन्हें मालूम ही नहीं रहता है क़ि उनको पढना क्या है और UNO में जा के भारत के जगह पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं | आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया जाता था | जानते है क्यों ? क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5:00 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11:30 बजते हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की समीक्षा कर सके | इतनी गुलामी में रहा है ये देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है | 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम शुरू किया क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस देश में क्योंकि वो इस संधि में है | और इस राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी समय शुरू किया गया और वो आज भी जारी है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें ही वोट देने का अधिकार होता था | आज भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र है इस देश में | अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | मुगलों के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया जाता था | अंग्रेज यहाँ आय तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया, पहला वेश्यालय शुरू किया और इस देश में जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां वहां वेश्याघर बनाये गए, वहां वहां शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के लिए कत्लखाना खुला | ऐसे पुरे देश में 355 छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं | अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि ये भी इसी संधि में है | हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये कहीं से भी न संसदीय है और न ही लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है | और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे (मतलब आप समझ गए होंगे) | ऐसी हजारों शर्तें हैं | मैंने अभी जितना जरूरी समझा उतना लिखा है | मतलब यही है क़ि इस देश में जो कुछ भी अभी चल रहा है वो सब अंग्रेजों का है हमारा कुछ नहीं है | अब आप के मन में ये सवाल हो रहा होगा क़ि पहले के राजाओं को तो अंग्रेजी नहीं आती थी तो वो खतर संधियों (साजिस) के जाल में फँस कर अपना राज्य गवां बैठे लेकिन आज़ादी के समय वाले नेताओं को तो अच्छी अंग्रेजी आती थी फिर वो कैसे इन संधियों के जाल में फँस गए | इसका कारण थोडा भिन्न है क्योंकि आज़ादी के समय वाले नेता अंग्रेजों को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने जानबूझ कर ये संधि क़ि थी | वो मानते थे क़ि अंग्रेजों से बढियां कोई नहीं है इस दुनिया में | भारत की आज़ादी के समय के नेताओं के भाषण आप पढेंगे तो आप पाएंगे क़ि वो केवल देखने में ही भारतीय थे लेकिन मन,कर्म और वचन से अंग्रेज ही थे | वे कहते थे क़ि सारा आदर्श है तो अंग्रेजों में, आदर्श शिक्षा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श अर्थव्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श चिकित्सा व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कृषि व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श न्याय व्यवस्था है तो अंग्रेजों की, आदर्श कानून व्यवस्था है तो अंग्रेजों की | हमारे आज़ादी के समय के नेताओं को अंग्रेजों से बड़ा आदर्श कोई दिखता नहीं था और वे ताल ठोक ठोक कर कहते थे क़ि हमें भारत अंग्रेजों जैसा बनाना है | अंग्रेज हमें जिस रस्ते पर चलाएंगे उसी रास्ते पर हम चलेंगे | इसीलिए वे ऐसी मूर्खतापूर्ण संधियों में फंसे |अगर आप अभी तक उन्हें देशभक्त मान रहे थे तो ये भ्रम दिल से निकाल दीजिये | और आप अगर समझ रहे हैं क़ि वो ABC पार्टी के नेता ख़राब थे या हैं तो XYZ पार्टी के नेता भी दूध के धुले नहीं हैं |आप किसी को भी अच्छा मत समझिएगा क्योंक़ि आज़ादी के बाद के इन 64 सालों में सब ने चाहे वो राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता का स्वाद तोसबो ने चखा ही है | खैर ............... तो भारत क़ि गुलामी जो अंग्रेजों के ज़माने में थी, अंग्रेजों के जाने के 64 साल बाद आज 2011 में जस क़ि तस है क्योंकि हमने संधि कर रखी है और देश को इन खतरनाक संधियों के मकडजाल में फंसा रखा है | बहुत दुःख होता है अपने देश के बारे जानकार और सोच कर | मैं ये सब कोई ख़ुशी से नहीं लिखता हूँ ये मेरे दिल का दर्द होता है जो मैं आप लोगों से शेयर करता हूँ |ये सब बदलना जरूरी है लेकिन हमें सरकार नहीं व्यवस्था बदलनी होगी और आप अगर सोच रहे हैं क़ि कोई मसीहा आएगा और सब बदल देगा तो आप ग़लतफ़हमी में जी रहे हैं | कोई हनुमान जी,कोई राम जी, या कोई कृष्ण
Posted on: Fri, 31 Oct 2014 19:07:25 +0000

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