सुंडू का किते भी ब्याह ना होवै था , एक दिन छो(गुस्सा) मै आके न्यू सोची चाल ब्याह तो जब होगा देखि जागी,, जलेबी तै खा ऐ ल्यूं हलवाई की दूकान पै गया अर एक किलो जलेबी तुलवा ली अर खा गया,, .. चालन लाग्या ..हलवाई बोल्या ..ल्या रै जलेबियाँ के रपिये दे सुंडू बल्या रपिये तो कोन्या , हलवाई कै उठ गया छो गेर कै नीचे तसल्ली तै ओसन(पीट) दिया सुंडू ... सुंडू झाड झूड कै लत्ते(cloth) फेर खड्या हो गया ,, हलवाई बोल्या जा भाज ज्या इब आड़े क्यूँ खड्या सै,, ? सुंडू :- ल्या फेर इस ऐ रेट मै एक किलो और तोल दे .
Posted on: Mon, 22 Jul 2013 07:46:06 +0000
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