80% लङकियाँ जितनी पढी- लिखी - TopicsExpress



          

80% लङकियाँ जितनी पढी- लिखी होती जा रही हैँ , उनके कपङे पहने का ढंग उतने ही बेढंगेँ होते जा रहे हैँ ! आधुनिकता के नाम पर कुछ भी पहन लेना बिल्कुल उचित नही ! कुछ तो कपङे इस तरह की डाल लेती है , बगल तक दिखते रहते हैँ , जो कि हमारी संस्कृति के अनुरूप बिल्कुल नही हैं ! आप पश्चिमी सभ्यताओं की अच्छी बातेँ जरूर नकल करो . उनकी धटिया किस्म कि संस्कृति को बिल्कुल नही ! अभी भी हमारी संस्कृति का कोई मुकाबला नही ! अन्त मेँ मै यही कहना चाहुँगा कि , तरक्की और पाश्च़यात सम्यताओं के चक्कर मे अपनी संस्कृति का विनास न करेँ! कपङे पहने के लिए होते हैँ ! क्या फायदा उस कपङे का जिसमें सारा भूगोल नजर आता हो ! कोई सहमत है मेरी बात से ? 1- हाँ मै सहमत हुँ 2- नहीँ सब ठीक है 3- पता नही अपना भी विचार रक्ख admin01
Posted on: Mon, 19 Aug 2013 17:20:43 +0000

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