Aasha ram bapu ki histori कभी शराब के - TopicsExpress



          

Aasha ram bapu ki histori कभी शराब के तस्कर थे आसाराम आसुराम सिरुमलानी से आसाराम. जिस शख्स को हम और आप आसाराम बापू के तौर पर जानते हैं वो कभी शराब के तस्कर थे. यकीन करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन आसाराम पर आरोप हैं कि गुजरात में शराबबंदी के दौरान उन्होंने शराब की तस्करी की और फिर वृंदावन के लीलाशाह जी महाराज की संगत में वो आध्यात्म की राह पर चलने लगे. कुछ बरस पहले तक दुनिया आसाराम को सिर्फ इसी रूप में जानती थी. एक आध्यात्मिक गुरु, एक संतके रूप में. कुछ मेहनत, कुछ झांसा, कुछ पाखंड तो कुछ किस्मत के दम पर आसाराम इस मुकाम पर पहुंचे थे. पूरी कहानी के लिए हम चलते हैं थोड़ाफ्लैश बैकमें. तारीख- 17 अप्रैल 1941 जगह- अविभाजित भारत के सिंध प्रांत का बेरानी गांव एक साधारण परिवार में जन्मे थे आसाराम, उनका असली नाम था- आसुराम सिरुमलानी बंटवारे के बाद आसूराम सिरुमलानी का परिवार गुजरात के अहमदाबाबाद में आ गया था. ऐसा आरोप है कि आसाराम ने शराब तस्कर के तौर पर अपना करियर शुरू किया. गुजरात में शराब बंदी थी. औरआसाराम अवैध तरीके से देशी शराब बेचकर अच्छीकमाई कर लेते थे. 22 साल की उम्र में आसाराम की मुलाकात उनके गुरु स्वामी लीलाशाह महाराज से हुई. उनकी संगति में आसाराम पर भक्ति मार्ग पर चलने का जुनून सवार हुआ. कमाई बढ़ी तो 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद में पहला आश्रम स्थापित किया. आसाराम एक तरफ खुद को संत कहलवाते थे, दूसरी तरफ उनकी अच्छी खासी गृहस्थी भी बस गई. उन्होंने लक्ष्मी देवी नाम की महिला से शादीकी, जिनसे एक बेटी और एक बेटे नारायण स्वामी का जन्म हुआ. भारत में धर्म का धंधा कुछ ज्यादा ही चोखा चलता था. आसाराम का भी धंधा चल निकला. आसाराम का जादू भक्तों पर चल गया. देखते देखते उनके भक्तों की तादात करोड़ों में पहुंच गई. आज की तारीख में आसाराम के ट्रस्ट के कुल 425आश्रम हैं. उन्होंने 17 सौ बाल संस्कार केंद्र और 50 रिहायशी स्कूल भी खुलवाए हैं. आसाराम ने धर्म के धंधे में आयुर्वेद को भी शामिल किया.
Posted on: Mon, 02 Sep 2013 03:04:20 +0000

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