.....ChArAn..... महामाया का स्मरण - TopicsExpress



          

.....ChArAn..... महामाया का स्मरण करना , सत्य बोलना , उतम सलाह देना , प्रजा हितेषी कर्म चारणों का कार्य व पहचान हे ! Home Posts RSS Comments RSS Edit 29. देवल माता Posted byJ.K.ChArAnon Thursday, January 8, 2009/ Labels: deval mata देवलमाताकाजन्मसवंत१४४४माघशुद्धीचौदसकेदिनबतायागयाहे!देवलमाताहिंगलाजमाताजीकीसर्वकलायुक्तअवतारथी!देवलमातानेभक्तभलियाजीऔरभूपतजीदोनोंपरकरुणाकरकेएककेघरपुत्रीऔरदुसरेकेघरपुत्रवधुबनकरदोनोंवंशउज्जवलकिए!इनकाजन्ममाडवाग्रामभलियेजीसिन्ढायच के यहाँ हुवा था ! इनका ससुराल खारोडा ग्राम और पति बापन जी देथा थे ! मैया ने भक्तो के हितार्थ गृहस्ती धर्म पालन किया देविदास , मेपा, खींडा आदि देथा शाखा के चारण मैया के पुत्र थे ! बूट , बेचरा , बलाल, खेतु, बजरी , मानसरी यह छ: पुत्रिया थी ! एक बार जैसलमेर राजा गड़सी कोभयंकररोगहोगयाथा,इनकीपीड़ामिटानेकेलिएमैयाखारोडोसेमाड़प्रदेशहोकरपधारीथी!उससमयमाड़प्रदेशमेपानीकीविकटसमस्याथी!मैयानेअपनेतपोबलसेसुमलियाईआदिग्राममेदसफ़ुटजमीनखोदनपरअथाहस्वच्छजलहोनेकावरदानदियाथा!ऐसेअनेकचमत्कारबतातेहुवेमैयानेगड़सीराजाकोअसाध्यरोगसेछुटकारादिलाया,तबराजानेप्रसन्नहोकरअनेकग्राम३६लोकबगसिसकरनेकामातेश्वरीसेनिवेदनकिया,तबमातेश्वरीनेसिर्फ़३६लोकभक्तहीस्वीकारकिए!औरराजासेप्रजाहितमेगड़ीसरनामकतालाबबनाकरउसमेहिंगलाजमैयाकामन्दिरबनानेकाआदेशदिया!अभीवर्तमानमेजोगड़ीसरतालाबकेअन्दरजोहिंगलाजमन्दिरबनाहुवाहे,वोदेवलजीकाहीबनायाहुवाहे!क्योकिवोमन्दिरहिंगलाजकेनामसेहीबनाहुवाथा!देवलमैयाख़ुदहिंगलाजकीसाक्षात्अवतारथी! महामायाकास्मरणकरना,सत्यबोलना,उतमसलाहदेना,प्रजाहितेषीकर्मचारणोंकाकार्यवपहचानहे! देवलमाताकादेवलोकगमनसवंत१५८५आषाढ़सूदचौदसबतायागयाहे!१४१वर्षोतकदेवलमातामृत्युलोकमेविराजमानरही!श्रीकरनीमाताआपसेचारमाहउम्रमेबड़ीथी!
Posted on: Sat, 21 Sep 2013 17:06:33 +0000

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