आन्दोलन की कार्यशैली के - TopicsExpress



          

आन्दोलन की कार्यशैली के बारे में सबको समय समय पर मेल द्वारा या फिर facebook के पोस्टों द्वारा दी जाती है I स्पष्ट है की हिमालय बचाओ आन्दोलन – आन्दोलन के राजनीतिकरण के पक्क्ष में नहीं है और यह भी स्पष्ट है कि आन्दोलन का प्रत्येक सदस्य सामाजिक सरोकार को सर्वोपरि रखता है और जरुरत अनुसार समय निकालता है, पद यात्रा के बाद हिमालय बचाओ आंदोलन द्वारा आपदा राहत में दीर्धकालीन व रोजगार परस्त कार्य की तरफ ध्यान दिया, त्रियुगीनारायण व रामपुर इन्टर कॉलेज के तमाम विद्यार्थियों की मार्च तक शिक्षा शुल्क का बंदोबस्त कराया, ताकि आदा की आड़ में किसी भी छात्र को शिक्षा से विमुक्त न होना पड़े, जरूरतमंद रोजगार परस्त वस्तुएं दिलाई गयी जिस्मी कारपेंटर का सामान, बुनाई के लिए व्यवस्था, स्थानीय नव युवकों के लिए कांटेक्ट बेसिस में इन्टर कॉलेज रिक्त पदों पर नियुक्ति की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया, दिसम्बर व जनवरी में इकोलॉजी with इकॉनमी के तहत कार्य G.B.Pant. University के मार्ग दर्शन से किया जाएगा I जन जागरण के तहत फाटा में 5 नवम्बर को सम्मेलन किया गया जिसमें स्थानीय जन ने अपनी बातें रखी, तत्पश्च्यात 7 नवम्बर को संविधान संसोधन 73 को लागू करने हेतु उत्तराखंड महिला मंच की अपील के समर्थन में दीं दयाल उपाध्याय पार्क में हिमालय बचाओ आन्दोलन के तीन कार्यकर्ता (दीप पाठक, निर्मल कान्त विद्रोही और स्वमं मै) उपवास में बैठे और अरण्य रंजन, देवेन्द्र भट्ट धरने में रहे, यही नहीं 9 नवम्बर को मुख्यमंत्री के घेराव को लेकर गिरफ्तार हुए साथियों में यह तीन साथी भी थे. 10 नवम्बर को प्रवासी उत्तराखंडी से अपील करने 4 साथियों का दल चंडीगढ़ पहुंचा वहां अपील की की उत्तराखंड महासभा अपने बैनर तले उत्तराखंड में संविधान संसोधन 73 को लागू करने के लिए राज्य सरकार पर प्रेशर ग्रुप तैयार करें
Posted on: Thu, 14 Nov 2013 12:48:27 +0000

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