आप बार बार इस बात रोना - TopicsExpress



          

आप बार बार इस बात रोना क्यों रोते हैं कि मुसलमान भारतीय संस्कृति क्यों नहीं अपनाते ? क्या आपने कभी बरेलवी, देवबंदी, वहाबी, बिदअती, अहमदी, एहले हदीस आदी का नाम सुना है, क्या ये सब भारतीय संस्कृती की देन नहीं हैं ? क्या आपने कभी किसी गांव में मुस्लिम शादी से पहले दो तीन दिन गुजारे हैं, क्या आपने कभी किसी मुस्लिम शादी में भात की रस्म देखी है ? न देखी हो तो अब जरूर देखना सारी वही रस्में हैं जो गैर मुस्लिम करते आये हैं और कर रहे हैं, जैसे महिलाओं द्वारा ढ़ोलक पीटकर गीत, गाना, पटरी पर पैर रखकर बहन को भांजी, भांजे की शादी में भात देना। क्या आपने दक्षिण भारतीय राज्यों और पूर्वांचल, यूपी में मुस्लिमों महिलाओं का पहनावा देखा है ? क्या वे उसी पहनावे को नहीं पहनती जिसे दूसरे समुदाय पहनते हैं, वही साड़ी, वही नथ, क्या ये सब भारती संस्कृती का हिस्सा नहीं है। क्या आपने कभी असगर वजाहत का नाटक जिस लाहौर नई दिख्या का मंचन देखा है, यकीन करिये जनाब उसमें पात्रों के नाम भले ही मुस्लिम हों मगर उसे निभाने वाले गैर मुस्लिम ही हैं। क्या आपने किसी गैर मुस्लिम का अंतिम संस्कार देखा है देखा हो तो यह भी मालूम होगा कि पिछले एक दशक के अंदर क्या परिवर्तन आया है। क्या अब वे भी अब मुस्लिमों की तरह की मुर्दे को अंतिम दर्शन के लिये 10 – 15 घंटों तक नहीं रखते जो पहले एक घंटे के अंदर ही अंतिम संस्कार कर दिया करते थे। क्या आप बता सकते हैं उन्होंने ये चलन कहां से सीखा है ? चलिये छोड़िये मैं बताता हूं उन्होंने इस रीत को मुस्लिमों से सीखा है। क्या ये सही नहीं है जितना इस्लाम और मुस्लिमों ने भारतीय संस्सकृति को आत्मसात किया है उतना किसी और ने नहीं किया ? आप मेरे द्वारा लिखी गई इन बातों को तर्क के आधार पर खारिज करें तो फिर यकीन मैं मान लुंगा कि भारतीय संस्कृति को इस्लाम और मुस्लिमों से खतरा है।
Posted on: Wed, 03 Jul 2013 18:33:22 +0000

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