ईद कहू या लीद वैसे इस राक्षसी रिवाज पर सभी तरह के छदम हिंदूवादी चादर ओढ़ कर सो जाते है, मेनका गाँधी भी चुप, उद्धव भी चुप, केवल गौरक्षा दल अपना कार्य कर रहा है, आज सुबह सुबह जब गली से बाहर निकला तो देखा मुल्ले फेविकोल से टोपियाँ सर पर चिपका कर पिछवाडा ऊपर करके हुआ हुआँ कर रहे है, ये हुआँ हुआँ यहाँ से आया है Shirdi Sai Baba - The miracle man of India बस ये देखते ही मेरे मुहं से जोर से निकला - आ गये कंजर गलियां साफ़ करने, कुछ मुल्लो की नजर मुझ पर पड़ी, मैं 1-2 मिनट खड़ा रहा और फिर फटाफट निकल लिया, क्यूंकि मुझे पता था की तब कटुवो का झुण्ड मुझ पर टूटेगा तो कोई मुझे बचाने नहीं आयेगा, इसलिए खुद की रक्षा अपने हाथ, वैसे भी मुल्ले झुण्ड में ही आते है, उसकी बानगी भी आज सुबह ही देखि, एक पानी रिक्शा वाला रोड से जा रहा था, कुछ मुल्ले पिदने पिदने से छातियाँ चोडी करके चल रहे थे, रिक्शा वाले ने आवाज जी, side हो जाओ, कोई side नहीं हुआ, एक मुल्ले के हलकी सी रिक्शा छु कर निकल गयी, मैं वही पास में खड़ा था, एक मुल्ला भाग कर गया और उसका रिक्शा रोक कर उसकी गर्दन पकड़ ली, पीछे बाकी मुल्ले भी दोड पड़े, मैं भी दोडा, सबसे पहले मैंने रिक्शे वाले से कहा तेरा नाम क्या है, उसने कहा मनोज फिर वो मुल्ले जो उसे मार रहे थे मैंने एक दो को धक्का देकर कहा की एक गरीब को मारते हो वो भी झुण्ड में, दम है तो अकेले अकेले आओ, मेरी बात सुनकर रिक्शे वाला भी जोश में आ गया, बोला हाँ आओ सालो एक एक करके, फिर बताता हु तुम्हे, बस इतना बोलना था फिर एक सफ़ेद टोपी काली शक्ल वाला खाबिज बोला चलो यार चलते है, नमाज के लिए देर हो रही है, इसे कहते है फट्टूपना, लीद मुबारक,
Posted on: Wed, 16 Oct 2013 08:36:41 +0000
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