एक दिन एक पडोस का छोरा मेरे तैं आके बोल्या ‘चाचा जी अपनी इस्त्री दे देयो’ मैं चुप्प वो फेर कहण लागा: ‘चाचा जी अपनी इस्त्री दे देयो ना?’ जब उसने यह कही दुबारा मैंने अपनी बीरबानी की तरफ करयौ इशारा: ‘ले जा भाई यो बैठ्यी’ छोरा कुछ शरमाया, कुछ मुस्काया फिर कहण लागा: ‘नहीं चाचा जी, वो कपडा वाली’ मैं बोल्या, ‘तैन्नै दिखे कोन्या या कपडा में ही तो बैठी सै’ वो छोर फिर कहण लगा ‘चाचा जी, तम तो मजाक करो सो मननै तो वो करंट वाली चाहिये’ मैं बोल्या, ‘अरी बावली औलाद, तू हाथ लगा के देख या करैंट भी मारयै सै’ चौधरी -The JAT .®
Posted on: Sun, 18 Aug 2013 13:31:41 +0000
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