कल ये मीडिया वाले खुल्लमखुल्ला कह रहे थे कि "शादी से पूर्व लड़के-लड़कियों को शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार हमारे संविधान ने दिया है"। आज सोशल मीडिया पर हुई किरकिरी से घबराकर यू-टर्न मारते हुए सफाई दे रहे हैं कि हमारी बहस को सोशल मीडिया पर गलत तरह से रखा जा रहा है, हमने कभी भी ऐसा नहीं बोला, हमने कभी भी विवाह-पूर्व शारीरिक संबंधों की वकालत नहीं की। यदि आज ये मीडिया वाले सही होते, एक सार्थक बहस दिखा रहे होते तो सोशल मीडिया पर इनकी किरकिरी क्यों होती? इनको सफाई देने की ज़रुरत क्यों पड़ती? मित्रों भारतीय समाज को तोड़ने के लिए काम कर रहे ऐसे सभी मीडिया चैनलों के विरुद्ध एकजुट होकर बेख़ौफ़ आवाज़ उठायें। #योद्धा
Posted on: Mon, 16 Sep 2013 17:32:15 +0000
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