केज़रिवाल ने न सिर्फ अन्ना और आई .ए .सी . को धोखा दिया बल्कि - केज़रिवल ने शांतिभूषण की एक महत्वपूर्ण बात को भी ठुकरा दिया ; केज़रिवल ने अगर शांतिभूषन की ही बात को मान लिया होता, तो कुछ और बात होती और - कोई पार्टी बनाने की भी ज़रुरत नहीं पड़ती !! मेरे साथ किरण बेदी, संजय सिंह, गोपाल राय के अतिरिक्त १४-१५ अन्य सदस्य उपस्थित थे ; घटना = दिनांक १४ . ११ . २०११ की है, स्थान प्रशांतभूषन का घर, समय १५०० बजे अपरान्ह ; यह आई .इ .सी . की अहम् बैठक थी जिसमे मैं विशेष आमंत्रित अतिथि था, और - मुझे रुल आफ ला और जन लोकपाल पर बोलना था ................................ मेरी बात को संजय सिंह और गोपाल राय ने विरोध किया, केज़रिवाल ने उन्हें रोका, और शांतिभूषण जी मेरी बात का खुलाशा करते हुए यह बतलाया की :- ----दल-बदल-विरोधी-कानून अवैध और अलोकतांत्रिक है, ---- इसको सु .को . में चुनौती देना अनिवार्य है ---- - इसके बाद अन्ना ने दिशानिर्देश यह दिया की : केज़रिवल और प्रशांतभूषन, मेजर त्रिपाठी के साथ मिलकर रुल आफ ला की रौशनी में जन लोकपाल का आन्दोलन चलाएंगे और शांतिभूषन दल-बदल-विरोधी-कानून को सु .को . में चुनौती देंगे !! - किन्तु केज़रिवाल ने सबको धत्ता देते हुए, अलग से एक पार्टी बना कर गुर्गों को एकत्रित करने लगे, जो सबको गालियाँ देते फिरते है और वोट मांगने के लिए दर-दर झक मारते हैं और कहते-फिरते हैं की : अन्ना और आई .इ .सी . उनके समर्थक हैं !! यही है केज़रिवाल का ब्यक्तित्व और कृतित्व = क्या केज़रिवाल के हवाले देश को किया जा सकता है ???
Posted on: Sat, 26 Oct 2013 00:54:21 +0000