क्या लिखू? के वोह परियो का रूप होती हें.... की कड़कती ठण्ड में सुहानी धुप होती हें व्हो होती हें चिढिया की चेहचाहट की तरह या कोई निश्चल खिलखालाहट होती हें.... क्या लिखू? के वोह परियो का रूप होती हें....... की कड़कती ठण्ड में सुहानी धुप होती हें वोह होती हें उदासी के हर मर्ज़ की दवा की तरह या उमस्म शीतल हवा की तरह वोह चिढियो चेहचाहट हें.... या कोई निश्चल खिलखालाहट हें... वोह आँगन में फैला कोई उजाला हें... या मेरे गुस्से को लगा ताला हें...... पहाड़ की चोटि पर सूरज की किरण हें वोह जिंदगी सही जीने का आचरण हें वोह ताकत जो छोटे से घर को महल कर दे वोह काफिया जो किसी ग़ज़ल को मुकम्मल कर दे.....क्या लिखू?
Posted on: Tue, 27 Aug 2013 10:06:29 +0000