खून में डूबा अमन का पैकर - TopicsExpress



          

खून में डूबा अमन का पैकर देखा है , जख्मी जख्मी एक कबूतर देखा है , जलती हवेली जलता छप्पर देखा है , हाँ मैंने गुजरात का मंज़र देखा है। नाम मेरा मज़लूम है मैं एक लड़की हूँ , जो देखा है मैंने वो बतलाती हूँ , घर घर आग लगाईं है गद्दारों ने , इज्ज़त लुटी धर्म के ठेकेदारों ने , धरती पे शैतान का लश्कर देखा है , हाँ मैंने गुजरात का मंज़र देखा है। शर्म से गर्दन ख़म कर ली हैवानो ने , ऐसा घिनौना खेल रचा इंसानों ने , कोई दरिंदा भी ना करे वो काम किया , माँ के पेट को चिर के बच्चा मार दिया। मासूमो को तलवारों पर देखा है , हाँ मैंने गुजरात का मंज़र देखा है। आईनों की ताक में सब पत्थर दिल थे , वर्दी में भी मासूमो के क़ातिल थे , बच्चे पीर जवानों के सर काट दिए , इंसानों के खून से दरिया पाट दिए , आँखों ने लाशो का समंदर देखा है , हाँ मैंने गुजरात का मंज़र देखा है। जिसने देखा मंज़र आग उगलता हुआ , जिसने देखा घर वालो को जलता हुआ , ले के शोले वो भी निकल आये ना कहीं , रुख तस्वीर का उल्टा हो जाए ना कहीं , शीशे की आँखों में पत्थर देखा है , हाँ मैंने गुजरात का मंज़र देखा है। हाँ मैंने गुजरात का मंज़र देखा है, हाँ मैंने गुजरात का मंज़र देखा है। Admin:03
Posted on: Fri, 25 Oct 2013 13:59:22 +0000

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