गात मैं जब पिवण की घणी ऊचाटी छाई हो, अर ठेका पाजे बंद तो फेर न कोए समाई हो, चुपक दे सी जै कोए हाथ की कैढी होई पकड़ाजा, फेर ईसा चढ्जा रंग जणू साले की ईब्बे होई सगाई हो.
Posted on: Wed, 19 Jun 2013 15:51:15 +0000
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