चलो एक इतवार पुराना मनाया जाए, गुज़रे बचपन को फिर से बुलाया जाए। महाभारत का समय और मोगली का जंगल, ये जो है ज़िन्दगी का वही खट्टा-मीठा सफ़र ! नीम के पेड़ की छाँव में भागते विक्रम-बेताल, सुरभी से खिलती सुबह और चित्रहार कमाल। क्रूर सिंह की यक्कू से कांपती चन्द्रकान्ता, पोटली बाबा की और चाणक्य की दक्षता। ज़बान संभाल के जाना ज़रा नुक्कड़ पर, स्पेस सिटी सिग्मा की है तुम पर नज़र। सबकी सीडी-यों को एक-एक कर चलाया जाए चलो एक इतवार पुराना मनाया जाय। नंदन, चम्पक, बिल्लू, पिंकी, चंदामामा, नागराज, पराग और चाचा चौधरी का हंगामा। कम्पुटर नहीं, कम्पुटर से तेज़ दिमाग को देखा था, हमने बचपन में साबू से कमाल को देखा था। जिसे जो कुछ मिले वो सब ले आना, कुछ पलों के लिए बचपन से क्या शर्माना। देखते ही सबकी बाछें खिल जायेंगीं, किताबों की वो अदला बदली याद बड़ी आएगी। देखना कि कुछ भी छूटने ना पाए। चलो एक इतवार पुराना मनाया जाय। चलो एक इतवार पुराना मनाया जाय
Posted on: Sun, 10 Nov 2013 08:33:22 +0000
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