चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला! दूर अभी है , पर, कहता है हर पथ बतलानेवाला हिम्मत है न बढ़ूँ आगे, साहस है न फ़िरूँ पीछे किंकतर्व्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला....
Posted on: Fri, 26 Dec 2014 05:22:14 +0000
Trending Topics
Recently Viewed Topics
© 2015