जो अपने नेत्रभूत सूर्य, चन्द्रमा अग्निकी प्रभासे उद्भासित होते है, त्रिभुवनके साररूप हैं, जिनसे बढकर सार-तत्व दूसरा नहीं है, जो जगतके आदिकारण, अद्वितीय तथा अजर-अमर हैं, उन भगवान रुद्रको भक्तिभावसे प्रसन्न किये बिना कौन पुरुष इस संसारमें शान्ति पा सकता है | ♥ॐ नम: शिवाय (Om Namah Shivaya)♥
Posted on: Sat, 29 Jun 2013 01:51:30 +0000
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