जाटाँ कि बुद्दि आज कल जाने कहाँ चल गई किसी भी बात को समज से परे करते हैँ गैर जाटोँ के बहकावे मैँ आकर।कभी भी देखना कि जो जाति संगठित हैँ वो ही कहते हैँ कि जाति पात का भेदभाव छोडोँ और फिर उनका ही बयान आता है।कि धर्म की रक्षा करो।यहाँ इस प्रकार एक सवाल बनता है कि जब जाति मैँ भेदभाव ना तो धर्म मैँ क्योँ.???जबकि जाट ही वो जाति है जो दुनिया के हर कौने मैँ एवं हर धर्म मैँ पाई जाती है।और दूसरा सवाल है उन लोगोँ ने कितनी धर्म कि रक्षा कि है बिल्कुल नहीँ कि मेरे हिसाब से तो इनके कारण ही भारत गुलाम हुआ और आज भी है।लेकिन आज ये जातियाँ संगठित हैँ और अपनी मांग सरकार से छीन लेती है।और हम सागर के समान विशाल जाट समाज को ये लोग दिन रात धर्म की बेडियोँ मैँ बांधकर बांटते रहते हैँ और सत्ता का सुख भोगते हुए जाट समाज का शोषण करते हैँ और हद तो तब और हो जाती है जब देश आजादी का जश्न मना रहा हो और ये लोग भगतसिहँ जैसे अमर शहीद को शूद्र जाट कहकर FBपर सम्बोधित करेँ ये मूर्ख भूल रहे हैँ कि इस बयान कि क्या सजा मिलेगी यदि हम पंगा ले तो सात पीढी तक FBचलाना भूल जाएखेँ ये मेरा दावा है।इसलिए जाट भाइयो ऐसे लोगो से बचेँ ये जहर जो हमारे बीच घोल रहे हैं..और ये जहर घोलने वाले भी गलत बयान ना देँ..."अजीत रावत जाट पला"
Posted on: Fri, 16 Aug 2013 10:41:01 +0000
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