जो नहीं दे सका जो नहीं दे - TopicsExpress



          

जो नहीं दे सका जो नहीं दे सका, कोई भी आज तक, पूज्य गुरुदेव! वह दे दिया आपने। प्राण में प्रेरणा, भाव संवेदना, बुद्धि र्कां श्रेष्ठï चिन्तन, दिया आपने॥ अन्यथा प्राण रहते भी, निष्प्राण थे, भाव संवेदना शून्य, पाषाण थे। प्राण सद्भावना से, मचलने लगे, पूज्यवर! यह, अनुग्रह किया आपने॥ आपने तप किया, पुण्य हमको दिया, आपने दिव्य एहसान, हम पर किया। कर तितिक्षा हमें, ज्ञान अमृत पिला, शिव! हमारे लिये, विष पिया आपने॥ किन्तु अब दक्षिणा है, चुकानी हमें, और गुरु वेदना है, बटानी हमें। विश्व की वेदना से, विकल वे रहे, तिलमिलाया उन्हें, विश्व सन्ताप ने॥ शिष्य हैं दर्द गुरु का, बँटायें चलो, भार युग पीर का कुछ, उठायें चलो। दें समय, लोक पीड़ा, शमन के लिए, आज आवाज दी है, महाकाल ने॥ मुक्तक:- तप किया अनुपम स्वयं, अनुदान जग को दे दिये। अध्यात्म के सब सूत्र शुभ, विज्ञान सम्मत कर दिये॥ जो न हो धूमिल युगों तक, कर दिया ऐसा सृजन। युग साधकों का देव-संस्कृति का तुम्हें शत्-शत् नमन॥ Very Inspiring song. A disciple is deeply filled by remembering the anudan (grant) given by Gurudev.
Posted on: Fri, 04 Oct 2013 01:38:06 +0000

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