जब तुम किसी का आदर करते हो तो उससे तुम्हारी ही उदारता प्रकाशित होती है। दुनिया में जितने लोगों का तुम आदर नहीं करते, उतनी तुम्हारी संपत्ति कम है। प्रज्ञावान वह है जो सबका आदर करे, अपराधी का भी, क्योंकि वह अपनी कीमत पर तुम्हें मार्ग दिखा रहा है। आदर करना सुसंकृत चेतना का गुण है।
Posted on: Fri, 09 Aug 2013 15:54:31 +0000
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