जय येसु , 'धन्य हैं वे, जो - TopicsExpress



          

जय येसु , 'धन्य हैं वे, जो अपने को दीन-हीन समझते हैं! स्वर्गराज्य उन्हीं का है। धन्य हैं वे जो नम्र हैं! उन्हें प्रतिज्ञात देश प्राप्त होगा। धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं! उन्हें सान्त्वना मिलेगी। घन्य हैं, व,े जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं! वे तृप्त किये जायेंगे। धन्य हैं वे, जो दयालू हैं! उन पर दया की जायेगी। धन्य हैं वे, जिनका हृदय निर्मल हैं! वे ईश्वर के दर्शन करेंगे। धन्य हैं वे, जो मेल कराते हैं! वे ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे। धन्य हैं वे, जो धार्मिकता के कारण अत्याचार सहते हैं! स्वर्गराज्य उन्हीं का है। र््रेंधन्य हो तुम जब लोग मेरे कारण तुम्हारा अपमान करते हैं, तुम पर अत्याचार करते हैं और तरह-तरह के झूठे दोष लगाते हैं। खुश हो और आनन्द मनाओ स्वर्ग में तुम्हें महान् पुरस्कार प्राप्त होगा। तुम्हारे पहले के नबियों पर भी उन्होंने इसी तरह अत्याचार किया। आमेन. (सन्त मत्ती : अध्याय 5:3-12)
Posted on: Tue, 30 Jul 2013 13:30:58 +0000

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