दो मित्रों को दीपावली की शुभकामनाएँ देने के लिए फोन किया था ... दोनों से पूँछ बैठा ... भाई पटाखे जला रहे हो या नहीं ?? एक ने कहा भाई तू समाज सेवा और हिन्दुत्व की बात करता है और खुद ही प्रदूषण फैलाने को कह रहा है ?? दूसरे ने कहा भाई मैं Eco-friendly दिवाली मना रहा हूँ पटाखे जला कर प्रदूषण थोड़े ही करना है ... उन मूर्खों को मैंने एक ही बात कही ... अबे अकल के अंधे ... दिवाली पर पटाखे अगर हम और तुम नहीं जलाएंगे तो तो क्या इटली वाली पप्पू की अम्मा और पप्पू आएगा क्या जलाने के लिए ?? अगर तुम और हम दिवाली पर पटाखे नहीं जलाएँगे तो क्या अकबरुद्दीन ओवेसि आएगा दिवाली की खुशियाँ मनाने ?? साल के 365 दिनों मे एक ही दिन दिवाली का आता है और उस दिन भी पटाखे नहीं फोड़ोगे तो काहे की दिवाली ?? श्री राम 14 वर्षों बाद वनवास काट कर आए हैं और हम पटाखे भी न फोड़ें ?? दिये भी न जलाएँ ? मुंह मीठा न करें तो काहे की दिवाली ?? जम के पटाखे फोड़िए ... जम के मिठाई खाइये ... आप हिन्दू हैं अगर आप अपने त्योहार नहीं मनाएंगे तो क्या दूसरे धर्म वाले आएंगे आपका त्योहार मनाने ?? दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
Posted on: Mon, 04 Nov 2013 09:44:44 +0000
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