देवियों, इस बार आप थोड़ी - TopicsExpress



          

देवियों, इस बार आप थोड़ी हमारी यानी आदमियों की व्यथा-कथा सुनें - - हम बोलते नहीं हैं इसका मतलब ये नहीं कि हम न सुनते हैं न समझते हैं - बोलने का थोड़ा मौका दीजिये, मौन को थोड़ा समझना सीखिये, और ये मान के मत चलिए कि सब मर्द एक ही जैसे होते हैं - नहीं मुझे नहीं सुनना कि आपके पड़ोसी के बेटे के जन्मदिन पर आप क्या कपड़े पहन कर जाना चाहती हैं - आपके कपड़े हैं, जो चाहें पहन लीजिये। यदि सलाह माँगी है तो या तो अमल कीजिये, या तो मांगिये मत, या तो ना मानने के कारण बताइये। - जी नहीं, मैं आपकी आँखों में देखकर ही बातें कर रहा हूँ। आप बेशक़ बहुत ख़ूबसूरत होंगी, लेकिन मुझे शिष्टाचार सिखाने की ना ही ज़रुरत, ना ही ज़िम्मेदारी आपका सिरदर्द है। - आपको भगवान् का वास्ता है, रोना बंद करिये अगर कोई आपकी बात नहीं मानता है तो >:( महिला हैं, बच्ची नहीं। - आप हमेशा सही नहीं होती हैं ना हो सकती हैं। कोई भी हमेशा सही नहीं हो सकता है (गीतासार तो नहीं है, बस यूं मान लीजिये ज़िन्दगी ने इतना सिखा दिया) - मैं तुम्हारी माँ नहीं हूँ बिलकुल ठीक फ़रमाया। ना हैं, न हो सकती हैं, न होना श्रेयस्कर होगा। - हमारी ज़िंदगी में आपकी बहुत अहमियत है, लेकिन दोस्तों की भी है, क्रिकेट की भी है, मेरी बाईक की भी है - हमें बदलने की कोशिश ना करें। - आप जैसी हैं हमारे लिए बेहद महत्त्वपूर्ण हैं - लेकिन अगर आप पूछेंगी कि क्या मैं इसमें मोटी लग रहीं हूँ तो…ऐसे यक्षप्रश्न ना पूछिए जिनका जवाब देना हमारे जान-माल के लिए हानिकारक हो - आप या तो पुरुषों से कंधे से कंधा मिला कर चल सकती हैं, या तो आप उनसे ख़ास सुकोमल, सुशील, ज़हीन व्यवहार की आशा कर सकती हैं। या तो अपना TV और उस पर Wii install करना खुद सीख लें, या तो हमें थोड़ा superior महसूस करने दें उन चीज़ों में| दोनों एक साथ नहीं हो सकते
Posted on: Sat, 16 Nov 2013 18:17:26 +0000

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