पाकिस्तान के पेशावर में - TopicsExpress



          

पाकिस्तान के पेशावर में एक चर्च में हुवे बम ब्लास्ट में 67 लोगो की मृत्यु हो गयी और 130 से ज्यादा लोग घायल हो गए . निर्दोषों पे हुआ ये हमला निंदनीय है और इसे किसी कीमत पे तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता. इस हमले की निंदा समूचे विश्व ने की।हमारे पी. एम्. साहब ने भी की facebook पे मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भी इसकी भर्त्सना की . सवाल सिर्फ ये है के ऐसी निंदा , चौतरफा आलोचना उस वक़्त क्यों नहीं की जाती जब आतंकवाद को ख़त्म करने के नाम पर अमेरिका अपने ड्रोन हमलो में निर्दोष मुस्लिम बच्चो , बूढो और महिलाओ की हत्या करता है ? आज हर अखबार इस हमले के मृतकों के क्षत विक्षत शव और खून से सने चेहरे पूरे कवरेज के साथ दिखा रहे है , पर किसी ड्रोन हमले में मारे गए निर्दोष मुस्लिमो की लाशे , सड़क पे बिखरा खून और उस गाँव का मातम मीडिया क्यों सुर्खियों में नहीं लता ? क्यों कोई इसी व्यक्ति या संगठन अमेरकी ड्रोन हमलो की आलोचना कर ये नहीं कहता के इन हमलो में निर्दोशो की हायता इसा मसीह के क्षमा , प्रेम और शांति के पैगाम के खिलाफ है ? आज विश्व में आतंकवाद की जो परिभाषा प्रचलित है , उसमे मुसलमानों द्वारा किये गए हमलो को ही आतंकवादी हमला कहा जाता है .अमेरिका , ब्रिटेन और इजराइल के हमलो में आज तक लाखो मुस्लमान मारे जा चुके है . पर उनको कभी आतंकी नहीं कहा गया ... बर्मा में बौद्ध भिक्षुओ द्वारा हजारो मुसलमानों को मारा गया , पर बौध धर्म शांति का प्रतीक ही रहा , गुजरात और मुज़फ्फरनगर में मुस्लमान मारे गए , पर हिन्दू धर्म हमेशा उदार और सहिष्णु ही कहलाता रहा. अगर मुसलमानों द्वारा की गई हत्याए इसलाम के खाते में जमा कर दी जाती है तो इसाईयो , यहूदियों , हिन्दुओ और बौद्धों द्वारा की गई हत्याए उनके धर्म के खाते में क्यों जमा नहीं कर दी जाती ? कहना न होगा के कितना एकपक्षीय , दोगला , सौतेला , क्रूर और निष्ठुर रवैया है यह इस्लाम और मुसलमानों के प्रति इसलिए आतंकवाद का कारन कुरान में धुन्धने से नहीं मिलेगा.इसका कारन तो अमेरिका की " साम्राज्यवादी बाइबिल " में ही मिल सकेगा और ये न्यू टेस्टामेंट के बाद का एडिशन है /// Mohammad Arif Dagia की वाल से Admin - 1o
Posted on: Mon, 23 Sep 2013 15:44:03 +0000

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