बचपन में टीवी पे सड़क पर पड़ी पेप्सी की खाली कैन को लात मारते देख शाहिद कपूर होने का बड़ा दिल करता था. लेकिन समस्या ये थी की हमारे शहर में पेप्सी कांच की बोतल में मिलती थी कैन में नहीं। और जहां कैन में मिलती थी वहाँ तक साइकिल से जाने , 18 रुपये जोड़ के उस कैन को खरीद के पीने, और फिर खाली कैन सड़क पे रख के लात मारने में शाहिद कपूर वाली फीलिंग भी तो ना थी। क्यूंकि एक तो कोई कैमरा हमको अपने झरोंखे में कैद नहीं करा रहा होता, और ऊपर से उस दौर में मेरे पास नीली जीन्स और ढीली सफ़ेद शर्ट भी न थी. अब चौड़ी मोहरी की पेंट पहेन के अपने जोड़े गए पैसे से लायी हुई कैन को सड़क पे रख के लात मार के हीरो बनता तो शायद भगवान् भी मुझे बनाने की अपनी गलती पे शर्माते. इस तरह मेरा शाहिद कपूर बनने का सपना अधूरा ही रह गया.
Posted on: Sun, 25 Aug 2013 06:17:16 +0000
Trending Topics
Recently Viewed Topics
© 2015