बलात्कारियों की पहचान ना - TopicsExpress



          

बलात्कारियों की पहचान ना छिपायें प्लीज़ !! ================================== पिछले दिनों झारखण्ड के पाकुड़ में हुए चार नाबालिग बच्चियों साथ बीस-पच्चीस लड़कों द्वारा दुष्कर्म किया गया,जिस पर रांची के नवोदित अख़बार खबर मंत्र ने अख़बार ने अपने पहले पन्ने पर इस तरह की खबर को प्रकाशित नहीं करने का निर्णय लिया गया,साथ ही लोगों द्वारा इस पर राय मांगी गयी इस पर हमारा यह कहना है कि खबर मंत्र का स्टैंड हमारी नज़र में सराहनीय है और इस तरह की खबर प्रमुखता-पूर्वक प्रकाशित न करने के विचार का भी हम स्वागत करते हैं मगर इसमें मैं यह एक बात और जोड़ना चाहता हूँ कि इस प्रकार के मानवता को तार-तार करने वाले बिलकुल अशोभनीय और घृणित-तम कृत्य करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने के बाद उनका चेहरा ढककर रखा जाता है जो हमारी दृष्टि में बिलकुल अतार्किक प्रतीत होता है,इन पंक्तियों के लेखक ने इस बारे में विभिन्न समय में हजारों लोगों से इस विषय पर बात की है जिससे यह निष्कर्ष सामने आया है कि लोगों का कहना है कि जब ऐसे घटिया कर्म करने वालों को विभिन्न देशों में सरेआम मूंह काला करके थूकने का या कोड़े लगाने या ऐसे से किन्हीं कठोरतम दंडों का प्रावधान प्रचलित है और इसके पीछे धारणा यह है कि ऐसे अपराधियों की पहचान छिपाई जाने से समाज में ऐसे अपराधों के प्रति भय कम होता है और इस तरह जेल से वापस आकर ऐसे अपराधी न किसी का किसी की अस्मत से खेल करके या किसी का जीवन बर्बाद करने के बावजूद न सिर्फ सामान्य जीवन-यापन करने लगते हैं बल्कि पीड़िता और उसके परिवार के प्रति और भी कोई भयानक अपराध करने को उद्दृत होते हैं,पुनः एक बात यह भी है जब कोई बालिग या नाबालिग भयानकतम अपराध करके समाज में वापस मूंह उठाकर चलता दिखाई दे और बहुत बार तो यहाँ तक कि उसके चहरे पर अपने कर्म के प्रति कोई शर्म का भाव न प्रतीत होता दिखाई दे तो पीड़ित पक्ष के दिल पर क्या गुजरेगी यह शायद कोई नहीं समझ सकता पीड़ित के सिवा !! फिर यह भी देखा जाना जरुरी है कि इस तरह के अपराधों में किसी नाबालिग के शामिल रहने पर उसका ट्रायल अलग ढंग से किया जाना,उसके लिए किसी सजा का प्रावधान ना होना,इस तरह की बातें ऐसे अपराधों को करने के प्रति लोगों में न सिर्फ भय कम करते हैं बल्कि यह एक प्रकार से अपराध करने को प्रेरणा भी देते हैं और ऐसे अपराधियों का जमानत पर छूट जाना या उन्हें सजा मिलने में अत्यंत विलम्ब होना,यह हर रोज पीड़ित पक्ष पर करारे तमाचे सा गुजरता है तिस पर अपराधियों के मानवाधिकार की बातें मानवता के अपने आप में साथ सबसे क्रूर अपराध है,गोया कि अपराधी के द्वारा मारे गए या पीड़ित किये गए व्यक्ति का का कोई मानवाधिकार ही नहीं था या कि पीड़ित पक्ष या मर गया व्यक्ति गन्दी नाली का कोई कीड़ा था !! दिल्ली बस-रेप-काण्ड के मामले में हमने देखा कि सबसे छोटे "बच्चे"!?(अगर इसे बच्चा कहा जा सके !?)ने ही हैवानियत की सारी हदें पार की !!उसने न सिर्फ युवती के साथ जघन्यतम दुष्कृत्य किया,अपितु वो सारी बातें की जो अब तक के देखे गए नाबालिगों के अपराधों में नहीं पाई गयी थीं और जिसे बताया जाना भी शर्मसार करता है तो ऐसे अपराधी की पहचान छुपाने का तर्क क्या है और क्यों न ऐसे किसी भी अपराधी को अब तक का कठोरतम दंड दिया जाये ताकि इसे देखकर आगे कोई भी नाबालिग या बालिग ऐसा अपराध करने की सपने में भी सोचने में भय से कांपने लगे सके !! कुल मिलाकर इस अपराध पर समाज की सर्प्रमुख राय यही सामने आती है कि एक बार कुछ लोगों को अरब देशों की तरह सरेआम दंड दे दिया तो संभवतः ऐसे अपराध करने की मंशा में कमी आ सकती है और उनका मूंह ढकना तो पीड़ित को और तमाचा लगाने के समान है !!
Posted on: Thu, 18 Jul 2013 03:05:50 +0000

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