भुट्टा भून कर वह रोज करीब - TopicsExpress



          

भुट्टा भून कर वह रोज करीब 200 रुपए कमा लेती है और सामने उसकी सहेली नाली के ऊपर पत्थर जमा कर प्रेस करके करीब 250 रुपए रोज कमा लेती है। योजना आयोग की नई परिभाषाएं सुन कर एक ने दूसरे को बधाई दी- "बहन हम अमीर हो गए हैं।" "बहन, कैसे अमीर हो गए, हमें तो पताही ना चला। वैसे के वैसे फटेहाल से हैं।" "बहन, तुम नासमझ, सो अमीरी ना समझ पा रही। योजना आयोग वाले जाने हैंसारी बात, हम अब घणे अमीर हो लिए। अब गांव में रोजाना 27 रुपए 20 पैसे से कम खर्च करने वाला और शहर में 33 रुपए 33 पैसे से कम खर्च करने वाला ही गरीब माना जाएगा।" "बहन, कब हो लिए अमीर, पता ना चला।" "बहन, पता ना चलता इस मुल्क में, आदमी कब क्या हो जाए। पुराने चोर मंत्री हो जाएं। मंत्री तिहाड़ निवासी संघ के सदस्य हो जाएं। भुट्टे वाली अमीर हो जाए।" "बहन, 33 रुपए की अमीरी में तो 2 किलो कायदे का आटा भी ना आ रहा। अमीरी में आटा गीला हो रहा है, पहले तो कंगाली में हुआ करता था।" "बहन, आटा ना आ रहा 2 किलो, तो इसमें अमीरी की क्या गलती है। योजना आयोग तो समझ रहाहै, तू अमीरहै। तू समझ ले, तू अमीर है। अब आटा नासमझ है कि तुझे अमीर ना समझ रहा।" मैंने समाज के कई वर्गों से बात की- "क्या 33 रुपए 33 पैसे रोज से अमीरी आ सकती है?" एक पुलिस वाला बोला, "अमीरी-गरीबी की तो यूं है कि ईमानदारी से चलेगा, तो हमेशा ही गरीब बना रहेगा और जो सही रास्ता पकड़ लियातो हवलदारी में भी अमीरी दिख जाए। 33 रुपए घर से लेकर निकलूं, शाम तकपांच हजार तैंतीस हो जाएं। घणी अमीरी हो जाए।" चोर ने इस बारे में यूं कहा-"दूसरों के माल पे हाथ साफ करो, तो कभी ना चिंता सताती कि गरीबी रहेगी कि अमीरी रहेगी। दूसरों के माल पर हाथ साफ करने लगो, तो फिर गरीबी की प्रॉब्लम ना रहती।" प्रॉब्लम तो भुट्टे वाली को है, पर क्या खाक प्रॉब्लम, वह नासमझ तो अमीर हो ही चुकी है! #व्यंग
Posted on: Thu, 25 Jul 2013 14:08:59 +0000

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