मित्रो आज मुझे मेरा ATM - TopicsExpress



          

मित्रो आज मुझे मेरा ATM कार्ड डाक से प्राप्त हुआ। मुझे state bank of india में खाता खुलवाने के लिए बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आपके साथ अपना अनुभव बाँट रहा हूँ शायद आप सभी को ये परेशानी ना झेलनी पड़े। मित्रो 4 तारिख को मैं sbi बुलंदशहर ब्रांच में अपना खाता खुलवाने के लिए गया। आपको बताना चाहता हूँ कि sbi क़ी ये शाखा सबसे ज्यादा व्यस्त है और शायद इसीलिए हर करमचारी अपना काम करने से जी चुराता है। ग्राहकों को घंटो लाइन में खड़ा करके परेशान करना इनकी आदत बन चुकी होती है। तो हुआ यूँ कि मैं करीब 11 बजे बैंक पहुंचा। मैं सभी आवश्यक कागजो के साथ फॉर्म जमा करने के लिए पहले से ही लगी 20 आदमियों की लाइन में लगा। करीब 45 मिनट बाद मेरा नम्बर आया। मैंने उसे फार्म दिया उसने देखा और बोला की कोई एक गवाह लेकर आओ जिसका खाता इस बैंक में हो। मैंने कहा गवाह किसलिए सभी जरूरी कागज तो हैं। वो बोला कि ये बैंक का नियम है। मुझे बड़ा दुःख हुआ कि 45 minut लाइन में लगने के बाद कोई नतीजा नहीं हालाँकि मैं जानता था कि जब सभी आवश्यक कागज जैसे पैन कार्ड,पहचान पत्र,राशनकार्ड आदि आपके पास हो तो गवाह की जरूरत नहीं होती। ये ही rbi का नियम है और हम भारतीय नागरिक हैं कोई आतंकवादी नहीं। मैंने उसे समझाया पर उसने मेरी एक नहीं सुनी। हताश होकर फिर मैं बैंक मेनेजर के पास गया। उसे सारी बात तहजीब के साथ बताई। दरशल मैं उस दिन साधारण से भेष में था। जैसा एक किसान दीखता है ठीक ऐसा ही मैं दिख रहा था क्योंकि भीड़ बढ़ने के डर से मैं खेत पर से आकर सीधे बैंक की तरफ bike लेकर निकल गया था। इस मामले में बैंक मेनेजर उस करमचारी का भी बाप निकला। मेरे तहजीब से बात करने के बाद भी वो मुझ पर अकड़ दिखाने लगा और मेरा फार्म लेकर जमीन पर फेंक दिया। मैंने उस वक़्त ज्यादा कुछ नहीं कहा और फार्म ठाकर चुप चाप वहां से चला आया। मुझे बड़ा दुःख हुआ कि हम लोगो की कमाई से तनखा पाने वाले जो हमारी सेवा के लिए तैनात हैं सारे नियमो को तोडकर एक आम नागरिक के साथ ऐसा व्यव्हार करते हैं। ना जाने कितने लोग गवाह के अभाव में अपना खाता नहीं खुलवा पाते होंगे। इसलिए मैंने सोच लिया इनको सबक सिखाना जरूरी है। मैंने घर आकर इन्टरनेट से sbi के headbranch का email id पता किया और सारी बात email के साथ english में लिखकर बता दी। मैंने अंत में अपना फोन नम्बर भी लिखा। अगले दिन शाम को headbranch से मेरे पास कॉल आया और उन्होंने सारी बात detail से पूछी। मैंने ईमेल में बैंक मेनेजर का नाम भी बताया था। उससे अगले दिन करीब 1:36 पर बैंक मेनेजर का फोन आया और बोला "क्या मेरी बात संदीप कुमार जी से हो रही हैं?" मैंने कहा हाँ..आप कौन हैं। वो बोला"मै sbi की बुलंदशहर ब्रांच से मेनेजर राजेन्द्र शर्मा बोल रहा हूँ" मैंने कहा " बताइए सर क्या मदद कर सकता हूँ आपकी?" वो बोला" मदद कैसी? प्लीज आप अपना फार्म लेके बैंक आ जाइये । आपका acount हाथो हाथ खोल दिया जायेगा। मैंने कहा" देखो सर मैं कामकाजी आदमी हूँ। बहुत सारा जरूरी काम छोडकर उस दिन मैं आपके बैंक गया था। घंटो। लाइन में लगाकर भी मेरा खाता आपने क्यों नहीं जबकि मेरे सारे कागज पूरे थे। अब मेरे पास समय नहीं है। वो बोला" आप मुझे अपना एड्रेस दे दीजिये मैं एक लडके को आपके घर भेज देता हूँ। आप अपना फॉर्म उसे दे देना। एक दो दिन में वही आपके पास पासबुक भी दे जायेगा। मैंने कहा" उसकी कोई जरूरत नहीं है मैंने अपना खाता iob में खुलवा लिया है। आप परेशान ना हो। वो कुछ देर के लिए चुप हो गया। कुछ देर बाद वो बोला "आप एक बार बैंक तो आइये"। मैंने कहा "ठीक है जैसे ही फुरसत मिलती है जरूर आऊँगा।" इसी के साथ मैंने फोन काट दिया। अब वो रोज फोन करने लगा। मुझे भी तरस आ गया सोचा चलो हो ही आता हूँ एक बार। इसी बहाने sbi में भी एक अकाउंट खुलवा लूँगा। जब दोपहर को मैं उसके केबिन में पहुंचा तो उसने मुझे बैठाकर चाय का आर्डर किया और बोला संदीप जी कोई सेवा हो तो बताएं। मैंने कहा " सर वैसे मैंने iob में अकाउंट खुलवा लिया है पर मेरी इच्छा है कि एक अकाउंट sbi में भी खुल्वाऊ। " वो बोला बिल्कुल और एक फॉर्म निकलकर मेरे सामने रख दिया। मैंने फॉर्म भरा,चाय भी पी, और सारे कागज staple करके फॉर्म उसके हाथ में थमा दिया। थोड़ी देर फॉर्म को देखकर उसने अपने sign और मुहर फार्म पर लगा दी और कहा कि काउंटर 12 पर इसे जमा कर दो। ये वोही काउंटर था जिस पर पहले फॉर्म जमा करने के लिए मैं 45 minut लाइन में लगा था। मैं फिर फॉर्म लेकर लाइन में लग गया। तभी वो क्लर्क खड़ा हुआ और मेरी तरफ इशारा करते हुए बुलाया। जब मैं उसके पास पहुंचा तो उसने फार्म माँगा। मैंने उसे देदे दिया। शायाद मेनेजर ने उसके पास फोन कर दिया था। फॉर्म जमा करने के बाद वो बोला की सर आप 15 minut वेट कर लीजिये आपका अकाउंट नम्बर मैं आपको बता दूंगा। मैंने कहा ठीक है। कुछ 20 minut बाद मैं वहां गया और पासबुक मांगी। वो बोला कि सर पहली बार कुछ रूपये अपने खाते में जमा कीजिये औए आपका नम्बर है 3022xxxxx..... मैंने कहा" मुझे पासबुक चाहिए। मैं पैसे ऑनलाइन ट्रान्सफर करूँगा। वो बोला सर कुछ पैसे तो जमा करने ही पड़ते हैं। मैंने कहा ये कोई नियम नहीं है। और रूल मुझे मत समझाओ। उसने पासबुक देदी। फिर मैं मेनेजर के पास गया। उसने एक कागज पर लिखवाया की मैं संतुस्ट हूँ और मेरे sign भी लिए। तो दोस्तों ऐसा खुला मेरा खाता। आप भी अपना अधिकार छीनना सीखे। याद रखे सरकारी बैंको में खाते 0 राशी और कोई भी दो अवक्श्यक कागजो पर खुल सकता है। यदि कोई कर्मचारी आपके साथ बदसलूकी करे तो इसकी शिकायत दर्ज कराये। धन्यवाद।
Posted on: Sat, 21 Sep 2013 16:55:58 +0000

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