मुबारक तुम्हीं के - TopicsExpress



          

मुबारक तुम्हीं के तुम किसी के नूर हो गए . किसी के इतने पास हो कि सबसे दूर हो गए . अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़त्म ये मंज़िलें हैं कौन सी न वो समझ सके न हम किसी प्यार लेके तुम नया जहाँ बसाओगे ये शाम जब भी आएगी तुम हमको याद आओगे अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़त्म ( - सुनता चला गया , लिखता चला गया फिर नींद आ गई ) .harsh
Posted on: Mon, 02 Sep 2013 06:01:51 +0000

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