मुल्क की सियासत को आप का - TopicsExpress



          

मुल्क की सियासत को आप का ख़ून और आप के क़ौमी रहनुमाओं की ख़ामोशी चाहिए। मुल्क की आबादी 122 करोड़ गुजरात की आबादी 6 करोड़, 3 करोड़ ने वोट दिया ही नहीं, जिन्होंने वोट दिया उनका 45% मोदी के हक़ में 55% मोदी के ख़िलाफ़ यानी 122 करोड़ की आबादी वाले मुल्क में 1.5 करोड़ से भी कम वोट हासिल करने वाला पीएम बनने का दावेदार, क्या मज़ाक़ है यार? उसके खाते में मुसलमानों के क़त्ले आम के सिवा कुछ है??? तरक्की का राग मेरे सामने मत अलापो, मुल्क क़्या पीछे गया है। तरक्की दिल्ली में भी हुई है, बिहार में भी हुई है, हरियाणा में भी और आप में भी। मुल्क के नक़्शे में नोयडा की तरक्की की मिसाल पूरे हिंदुस्तान में कहीं मिलती हो तो बताओ। मोदी मोदी चिल्ला कर मीडिया ने पूरे देश में तूफ़ान खड़ा कर रखा है। असल बात है हिंदुस्तानी सियासत में मुसलमानों के क़त्ले आम पर सियासत और क़त्ल करने वालों की अहमियत, पहले सरदार पटेल ने किया तो उसे हीरो बना कर पेश कर दिया। मुल्क की सियासत को आप का ख़ून और आप के क़ौमी रहनुमाओं की ख़ामोशी चाहिए। मौलाना आज़ाद की किताब इंडिया विंस फ़्रीडम (India Wins Freedom) पढ़ लो साफ़ साफ़ लिखा है, मुसलमानों को कुत्ते और बिल्लियों की तरह काट कर फेंक दिया गया। होम मिनिस्टर था सरदार पटेल, पण्डित नेहरू प्राइम मिनिस्टर, मगर ख़ामोश तमाशाई पक्के सैकूलर मुसलमानों के सच्चे हमदर्द, अब किसी को सेकुलर साबित करना हो तो सामने कोई हार्ड कोर (Hard Core) कम्मयुनल (फ़िर्क़ापरस्त) भी तो होना चाहिए। कल नेहरू के लिए जो काम सरदार पटेल ने किया, आज राहुल के लिए वो काम मोदी ने कर दिया। आप की सियासी समझ ज़रा कम है, सारी बातें समझते नहीं, अरे भाई गुजरात के इस इलैक्शन में मोदी भी जीता है और कांग्रेस भी जीती है। मोदी को हुकूमत और मुसलमानों पर ज़ुल्म के लिए एक रियासत मिल गई और कांग्रेस को 2014 के इलेक्शन में जाने के लिए एक एजेंडा जिसके सहारे मुसलमान व सेकुलर हिंदुओं के वोट हासिल किए जा सकें। कुछ समझे आप। मुल्क की सियासत को आप का ख़ून और आप के क़ौमी रहनुमाओं की ख़ामोशी चाहिए। 1947 से पहले अंग्रेज़ों को 1947 के बाद काले अंग्रेज़ों को, 65 साल से यही चल रहा है और चलता रहेगा। आप सबको ख़ामोशी के साथ तमाशा देखने और चुप रहने की आदत जो बन गई है। (Aziz Burney)
Posted on: Sat, 28 Sep 2013 04:06:30 +0000

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