मैं और मेरी तन्हाई अक्सर - TopicsExpress



          

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर यह बातें करती है, तुम होती तो कैसा होता, तुम ये कहती तुम वो कहती, तुम इस बात पे हैरान होती तुम उस बात पे कितनी हंसती, तुम होती तो ऐसा होता तुम होती तो वैसा होता, मैं और मेरी तन्हाई अक्सर यह बातें करती है... ये रात है या तुम्हारी जुल्फें खुली हुई है, है चांदनी या तुम्हारी नज़रों से मेरी रातें धूलि हुई हैं, ये चाँद है या तुम्हारा कंगन, सितारें है या तुम्हारा आँचल, हवा का झोका है या तुम्हारे बदन की खुशबू, ये पत्तियो की है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा है ये सोचता हूँ मैं कब से गुमसुम के जब की मुझको भी ये खबर है, की तुम नहीं हो कहीं नहीं हो, मगर ये दिल है के कह रहा है के तुम यही हो यहीं कहीं हो.... मैं और मेरी तन्हाई अक्सर यह बातें करती है... मजबूर ये हालत इधर भी हैं उधर भी, तन्हाई की इक रात इधर भी है उधर भी, कहने को बहुत कुछ है मगर किस से कहे हम, कब तक यूहीं खामोश रहे और सहे हम, दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दें, दीवार जो हम दोनों मैं है आज गिरा दें, क्यूँ दिलों में सुलगते रहें लोगों को बता दें, हाँ हमको मुहब्बत है...मुहब्बत है...मुहब्बत है...अब दिल में यही बात इधर भी है उधर भी.... मैं और मेरी तन्हाई अक्सर यह बातें करती है.
Posted on: Sat, 21 Sep 2013 05:22:17 +0000

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