शुभरात्रि मित्रों ! आपका - TopicsExpress



          

शुभरात्रि मित्रों ! आपका हर पल हर रात शुभ मंगलकारी हो ! . 1.य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्‌ । उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥ भावार्थ : जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको नश्वर मानता है, वेदोनों ही अज्ञानी हैं क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी द्वारा मारा जाता है॥ ENG-"One who thinks that the soul is a slayer and one who thinks that it is slain, both of them are ignorant as soul neither kills nor it is killed. 2." न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः । अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो- न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥ भावार्थ : यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता॥ ENG-"There is neither birth nor death of soul at anytime, It does not comes into existence after being born. It is unborn, eternal, ever-existing and primeval. Soul is not killed when body is slain."
Posted on: Fri, 16 Aug 2013 02:07:21 +0000

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