समझ नहीं आता लोग मनोरोगी हैं या उनका ईश्वर (supreme / divine power) मनोरोगी है अथवा वह कोई खून का प्यासा दानव है जो उस बात से प्रसन्न होता है जिस के बारे में कोई संवेदनशील मनुष्य सोच भी नहीं सकता है? अभी अनेकों मंदिरों से बकरे/बकरियों का खून ठीक से साफ़ भी नहीं हुआ कि आज पूरे देश में बकरों और जुगाड़ हो गया तो ऊंटों तक को क्रूरतापूर्वक हलाल किया जाएगा! अगर आप बड़े उत्साह, उल्लास और धार्मिकता से सराबोर हो कर जानवरों के साथ ऐसा व्यवहार कर सकते हैं तो मुझे संदेह है कि कभी आप मनुष्यों के साथ हिंसारहित व्यवहार कर पाएंगे ..
Posted on: Tue, 15 Oct 2013 06:51:28 +0000
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