होश की दवा खाओ - TopicsExpress



          

होश की दवा खाओ --४ ------------------------ जातीय स्वाभिमान अच्छा है पर जातीय दर्प अधो पतित करता है . मेरा अभिप्राय पहाड़ी जाति से है . ध्यान रहे १- सारे विश्व में हाई लैंडर स्पिरिट ऑफ़ फ्रीडम अर्थात अर्थात पहाड़ी लोगों का स्वाधीनता प्रेम ख्यात है . चेचन्या हो या नागालैंड , स्वतंत्रता के लिए यह तड़प सभी पहाड़ियों में पायी जाती है , सिवा उत्तराखं डियों के २- उत्तराखंड के लोग छोटे मोटे स्वार्थों के लिए अपनी स्वतंत्रता बेच देते हैं , इसकी एक ख़ास वजह है ३- यहाँ के सभी अपर कास्ट के लोग , चाहे वे ब्राह्मण हों या जजमान , या तो पूर्व मध्य काल के भगोड़े हैं और या फिर धर्म भीरु . मैदानों मे होने वाले भीषण युद्धों से घबरा कर यहाँ आकर छुपे हैं , या तीरथ यात्रा को आये और यहीं बस गए ४-सभी सवर्णों को यहाँ आये अभी हज़ार - बारह सौ साल ही हुए हैं . उन्हें असली पहाड़ी बनने में अभी हज़ार साल और लगेंगे ५-देहरादून में मंत्री - संतरियों के पास निन्यानबे फीसदी पहाड़ी ट्रांसफर , पोस्टिंग ,ठेका और परमिट के लिए आते हैं , सिर्फ एक फीसदी ही स्कूल , अस्पताल , पुल , आदि की मांग लेकर आता है . ६- अँगरेज़ हाकिम एटकिंसन ने लिखा था- गढ़वाली अच्छे नौकर हो सकते हैं , बट अच्छे मालिक नहीं . ये स्वार्थी होते हैं और अपने पड़ोसी के प्रति परम ईर्ष्यालु . यह स्थिति आज भी कायम है आत्म विश्लेषण करो . मुझे गाली देने से कुछ नहीं मिलेगा . मुज़फ्फर नगर काण्ड के लिए सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही नहीं , हम भी दोषी हैं
Posted on: Fri, 27 Sep 2013 00:37:02 +0000

Trending Topics



Recently Viewed Topics




© 2015