ज़कात अदा करने वाले फ़लाह - TopicsExpress



          

ज़कात अदा करने वाले फ़लाह पाते हैं ************************* "ज़कात" अरकाने इस्लाम में "नमाज़" के बाद सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है। चुंकि इसकी बरकत से "नफ़्से इन्सानी" बुख़्ल के मैल से पाक व साफ होता है और माल में बरकत होती है, इसलिए इसको "ज़कात" कहा जाता है। कु़रआन पाक और हदीस शरीफ में इसकी बड़ी अहमीयत व फ़ज़ीलत बयान की गई है। अल्लाह तआला कु़रआन पाक में "ज़कात" अदा करने वालों के बारे में फरमाता है कि... "फ़लाह पाते हैं वह, जो ज़कात अदा करते हैं"। इसके फ़र्ज़ होने की चन्द शर्तें हैं... जैसे मुसलमान का आक़िल व बालिग़ होना, माल बक़द्रे निसाब का पुरे तौर पर मिल्कियत में होना, निसाब का हाजते अस्लिया और किसी के बक़ाया से फ़ारिग़ होना, माले तिजारत या सोना-चांदी होना और माल पर पुरा साल ग़ुज़र जाना। इसमें से सोने का निसाब साढ़े सात तोला है, जिसमें से 40वां हिस्सा यानी सवा दो माशा "ज़कात" फ़र्ज़ है और चांदी का निसाब साढ़े बावन तोला है, जिसमें एक तोला, तीन माशा, छ: रत्ती "ज़कात" फ़र्ज़ है। तिजारती माल का निसाब यह है कि इसकी क़ीमत लगाई जाए, फ़िर उससे सोना-चांदी का निसाब पुरा हो, तो उसके हिसाब से "ज़कात" निकाली जाए, अगर सोना-चांदी और माले तिजारत ना हो, तो कम से कम इतने रुपए हों कि बाज़ार में साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी ख़रीदा जा सके, तो इन रुपयों पर भी "ज़कात" वाजिब होती है। हाजते अस्लिया यह है कि जिन्दगी बसर करने के लिए जिस चीज़ की ज़रुरत होती है, जैसे जाड़े और गर्मियों में पहनने के कपडे, ख़ानादारी के सामान, पेशावरों के औज़ार और सवारी के लिए साइकिल व मोटर वग़ैरा, यह सब हाजते अस्लिया में से है। इन में "ज़कात" वाजिब नहीं है। निसाब का दैन से फ़ारिग़ होने का मतलब यह है कि मालिके निसाब पर किसी का बाक़ी ना हो या इतना बाक़ी हो कि अगर अदा कर दे, तो भी निसाब बचा रहे तो इस सूरत में "ज़कात" वाजिब है और अगर बाक़ी इतना हो कि अदा कर दे, तो निसाब ना रहे तो इस सुरत में "ज़कात" वाजिब नहीं है। माल पर पुरा साल गुज़र जाने का मतलब यह है कि हाजते अस्लिया से जिस तारीख़ को पुरा निसाब बच गया, उस तारीख़ से निसाब का साल शूरु हो गया। फ़िर आइन्दा साल अगर उसी तारीख़ को पुरा निसाब पाया गया, तो "ज़कात" देना वाजिब है अगर दरमियाने साल में निसाब की कमी हो गई, तो यह कमी कुछ असर ना करेगी। मुफ़्ती सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी "मुफ़्ती-ए-आज़म पंजाब" एवंम "इस्लामिक धर्म गुरु" ********** 11# Admin **********
Posted on: Tue, 06 Aug 2013 11:20:49 +0000

Trending Topics



Recently Viewed Topics




© 2015