IIGS (Indian Institute For GS) 18 October - TopicsExpress



          

IIGS (Indian Institute For GS) 18 October 2013(Friday) अमेरिकी कांग्रेस में ऋण सीमा बिल पास, बंदी खत्म: ऋण भुगतान में चूक से बच गया अमेरिका:- अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट एवं प्रतिनिधि सभा ने अंतिम क्षण में ऋण सीमा बढ़ाने का विधेयक पारित कर दिया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस पर हस्ताक्षर कर 16 दिनों से जारी गतिरोध दूर कर दिया। इससे अमेरिका ऋण भुगतान में चूक से बच गया। ऋण सीमा बढ़ाने की समय सीमा खत्म होने से महज कुछ घंटे पहले संसद के दोनों सदनों में विधेयक पारित हो गया। इसमें सीनेट में विधेयक के पक्ष में 81 मत पड़े, जबकि इसके विरोध में 18 मत पड़े। वहीं प्रतिनिधि सभा में इसे 285 मतों से पारित कर दिया गया, जबकि इसके विरोध में 144 मत पड़े। ऋण सीमा बढ़ाने का विधेयक अटके रहने से दुनियाभर में बेचैनी बढ़ गई थी क्योंकि यदि अमेरिका ऋण भुगतान में डिफाल्टर हो जाता तो इसका विश्व अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता। हालांकि, व्हाइट हाउस को सरकार चलाने के लिए कुछ महीनों का समय मिल गया और 16,700 अरब डालर की मौजूदा ऋण सीमा बढ़ गई। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कान्रे ने कहा कि संघीय सरकार को 15 जनवरी, 2014 तक के लिए सरकार चलाने के संबंध में राजकोष मिल गया है।विश्वबैंक के अध्यक्ष जिम यंग किम ने कहा, यह विकासशील देशों और दुनिया के गरीब लोगों के लिए एक खुशखबरी है। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रि स्टीन लेगार्दे ने कहा कि आगे चलकर और अधिक टिकाऊ ढंग से ऋण सीमा बढ़ाकर राजकोषीय नीति को लेकर अनिश्चितता कम करना आवश्यक होगा। ओबामा द्वारा विधेयक पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद व्हाइट हाउस के बजट प्रबंधन विभाग ने संघीय एजेंसियों को नोटिस जारी कर घर बैठे कर्मचारियों को बृहस्पतिवार से ही ड्यूटी पर लौटने के निर्देश देने को कहा। विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि कामकाज ठप रहने के दौरान घर बिठाए गए कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया जाय।दो सप्ताह से भी अधिक समय से अमेरिकी सरकार का कामकाज ठप रहने से उसकी अर्थव्यवस्था को 24 अरब डालर से अधिक का नुकसान हुआ है। रेटिंग एजेंसी स्टैंर्डड एंड पूअर्स ने यह जानकारी दी। इस बंदी से चौथी तिमाही की वृद्धि दर पर 0.6 प्रतिशत अंक का प्रभाव पड़ने का अनुमान है। अक्टूबर-दिसम्बर तिमाही में वार्षिक वृद्धि दर 2 प्रतिशत रह सकती है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जिस तरह से समझौते पर पहुंचा जा सका है, उससे सरकार के लिए 15 जनवरी तक के लिए ही धन का प्रबंध हुआ है। सरकार को 17 फरवरी तक उधारी जुटाने की अनुमति मिली है। इसका मतलब है कि अल्पावधि में सरकार को फिर संकट का सामना करना पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी के एक शीर्ष विश्लेषक ने कहा कि ऋण सीमा एवं सरकार ठप रहने के असर से 2008 की आर्थिक मंदी से भी बुरी स्थिति पैदा हो सकती है। अपनी विजिंग यात्रा में नत्थी वीजा पर एतराज दर्ज कराएंगे पीएम:- अगले सप्ताह रूस और चीन के दौरे पर जा रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मॉस्को में परमाणु साङोदारी के विस्तार पर मुहर लगाएंगे। वहीं, बीजिंग के साथ रिश्तों को साधने का प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री की रूस यात्र के दौरान दोनों मुल्कों के बीच कुडानकुलम परमाणु संयंत्र की तीसरी व चौथी इकाइयों के लिए करार संभव है। वहीं, चीन के साथ सीमा सहयोग के नए समझौते के साथ ही मनमोहन चीनी नेताओं से बीते दिनों अरुणाचल प्रदेश की महिला तीरंदाजों के नत्थी वीजा पर भी एतराज दर्ज कराएंगे। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के रूस दौरे में तमिलनाडु स्थित कुडानकुलम परियोजना के विस्तार पर समझौता हो जाए। तीसरी व चौथी इकाई की स्थापना के लिए दोनों पक्षों के बीच नाभिकीय उत्तरदायित्व कानून के संबंध में आए मसलों का भी समाधान हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि सरकारी उपक्रम जनरल इंश्योरेंस कंपनी को बीमा संबंधी मामले सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई है। रूस ने भारतीय नाभिकीय उत्तरदायित्व कानून में आपूर्तिकर्ता की जवाबदेही को लेकर व्यहार्यता पर स्पष्टता मांगी थी। पीएम के रूस दौरे में दोनों देशों के बीच ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन के सैन्य संयुक्त उपक्रम को स्थायी साङोदारी बनाते हुए इसे अनिश्चितकाल के लिए आगे बढ़ाने के फैसले पर भी दस्तखत संभव हैं। इसके अलावा दोनों देश पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाएंगे। रूस के बाद चीन पहुंच रहे प्रधानमंत्री चीनी नेताओं से बातचीत में अरुणाचल प्रदेश की महिला खिलाड़ियों का वीजा विवाद संबंधी मसला भी उठने के संकेत हैं। भारत के किसी भी राज्य के व्यक्ति को नत्थी वीजा स्वीकार्य नहीं है। भारत स्पष्ट करेगा कि इस तरह के किसी भी कदम पर रोक लगाई जानी चाहिए। बीते दिनों भारत ने एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शिरकत के लिए नत्थी वीजा जारी किया था। अप्रैल में लद्दाख के दिपसांग इलाके में आमने-समाने की स्थिति के बाद पीएम के चीन दौरे में सीमा सहयोग का नया समझौता भी अपेक्षित है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति ने प्रस्तावित समझौते के मसौदे को गुरुवार को हुई बैठक में मंजूरी भी दे दी। इसके तहत दोनों पक्ष सीमा पर शांति बनाए रखने व तनाव टालने के लिए सैन्य व राजनयिक स्तर पर संवाद के उपाय तय करेंगे। सीरिया पर अगले महीने हो सकती है शांति वार्ता:- सीरिया को लेकर अंतरराष्ट्रीय शांति वार्ता अगले महीने हो सकती है। सीरियाई उपप्रधानमंत्री कादरी जमील ने गुरुवार को मॉस्को में संवाददाताओं से कहा कि यह वार्ता 23-24 नवंबर को हो सकती है। रूस और अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद पर इस बात के लिए दबाव डाल रहे हैं कि वह बातचीत के जरिए देश में करीब ढाई साल से चल रहे संघर्ष का समाधान निकालें। इस संघर्ष में एक लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इस शांति वार्ता को जेनेवा-दो का नाम दिया गया है। इसके बारे में पहली बार अमेरिका और रूस की ओर से गत मई में प्रस्ताव किया गया था, पर इसे कई बार टाल दिया गया। जमील ने कहा, हम जेनेवा-दो आयोजित करने के करीब पहुंच गए हैं। हालांकि उन्होंने इसके आयोजन के समय को अनुमानित बताया। उनके मुताबिक सीरिया संकट को हल करने के लिए शांति वार्ता का कोई विकल्प मौजूद नहीं है। इससे सीरिया में चल रहे संघर्ष को लेकर विदेशी हस्तक्षेप को समाप्त किया जा सकेगा। सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का मामला: हंगरी ने भारत के दावे का समर्थन किया:- हंगरी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के भारत के दावे का समर्थन किया और कहा कि यह दावा पूरी तरह से उचित है और यह वैश्विक शांति के लिए अच्छा रहेगा। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से बृहस्पतिवार को यहां मुलाकात करने वाले हंगरी के प्रधानमंत्री डाक्टर विक्तोर ओरबन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावा पूरी तरह से उचित बताया। ओरबन का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि भारत हंगरी के साथ अपने संबंधों को ज्यादा महत्व देता है और हमारे सांस्कृतिक संबंध राजनयिक रिश्तों से ज्यादा हैं। मुखर्जी ने हंगरी में 1.5 अरब डालर के भारतीय निवेश का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशों को जैव प्रौद्योगिकी, कृषि एवं जल संसाधन प्रबंधन सहित अन्य क्षेत्रों में प्रसार करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि बीते कुछ वर्षो में नियमित द्विपक्षीय दौरों ने भारत और हंगरी को द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने में सक्षम बनाया है। राष्ट्रपति ने कहा कि द्विपक्षीय कारोबार में वर्ष 2007 के 39.8 करोड़ डालर से वर्ष 2011 में 84 करोड़ डालर का इजाफा हुआ है। मुखर्जी ने हंगरी के प्रधानमंत्री के साथ बड़े कारोबारी प्रतिनिधिमंडल के भारत के दौरे पर खुशी जताई और कहा कि उन्हें कोई शक नहीं है कि भारतीय समकक्षों के साथ उनकी बातचीत दोनों पक्षों को आर्थिक रिश्ते और मजबूत बनाने के लिए नई राहें खोजने में मदद करेगी। मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 1873 में ईएलटीई विश्वविद्यालय में संस्कृत को अध्ययन के लिए नियमित विषय के तौर पर औपचारिक रूप से शामिल किया गया था। उन्होंने रबींद्र नाथ टैगोर के इलाज के दौरान वहां (हंगरी में) ठहरने वाले कमरों को संरक्षित करने और बलातोनर्फड में सुंदर टैगोर एसप्लानेड स्थापित करने पर हंगरी की सरकार को धन्यवाद दिया। हंगरी के प्रधानमंत्री ने कहा कि हंगरी में भारत की हमेशा बहुत प्रशंसा होती है और भारत सभ्यता की उच्च संस्कृति को प्रदर्शित करता है। खाद्य सुरक्षा कानून को लागु करने की तैयारी: मनरेगा के तहत भी बनेंगे गोदाम:- केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा कानून को अमली जामा पहनाने के लिए पूरी ताकत से जुट गई है। खाद्यान्न भंडारण की समस्या से निपटने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रलय ने खाद्य मंत्रलय से हाथ मिला लिया है। गोदाम बनाने का काम अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत भी होगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जहां राशन वितरण प्रणाली मजबूत होगी, वहीं मनरेगा के तहत स्थायी निर्माण कराने में मदद मिलेगी। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने खाद्य मंत्री केवी थॉमस के साथ एक संयुक्त प्रेसवार्ता में बताया कि चालू वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान ही ब्लॉक स्तर पर गोदाम बनाने के लिए 450 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मनरेगा की अनुसूची एक में संशोधन करने का फैसला लिया गया है। इसमें गोदाम बनाना जोड़ा जाएगा, ताकि खाद्य सुरक्षा कानून के अमल में तेजी आए। इससे राशन वितरण प्रणाली में होने वाली चोरी पर लगाम लगेगा। मनरेगा के कार्यो की सूची में शौचालय, आंगनबाड़ी केंद्र के साथ अब गोदाम बनाना भी जुड़ जाएगा। इसका सबसे अधिक फायदा उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों को मिलेगा। इन राज्यों के पास अपने गोदाम न होने से राशन प्रणाली को चलाने के लिए उन्हें सीधे एफसीआई के गोदाम से अनाज उठाकर दुकानों तक पहुंचाना पड़ता है। जयराम ने बताया कि ग्रामसभा स्तर पर 60 और 40 के अनुपात में मनरेगा में काम कराया जाता है। यानी 60 फीसद धन मजदूरी में देना होता है, जबकि 40 फीसद सामग्री खरीदने में खर्च किया जा सकता है। इसी अनुपात को ब्लॉक स्तर पर लागू किया जाएगा, जिससे निर्माण सामग्री खरीदने में आसानी हो सके। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुल 821 ब्लॉक हैं, जहां प्रत्येक ब्लॉक पर कम से कम 2000 टन खाद्यान्न का स्टॉक होना ही चाहिए। इसी तरह बिहार के कुल 534 ब्लॉकों में से प्रत्येक पर 1800 टन और महाराष्ट्र में 352 ब्लॉक हैं, जिनमें से प्रत्येक पर 2100 टन अनाज का भंडारण आवश्यक है। खाद्य मंत्री थॉमस ने कहा कि इस प्रावधान से राशन प्रणाली को मजबूत बनाने में सहूलियत मिलेगी। राज्यों के पास अपने गोदाम न होने से भारी परेशानी होती है। इससे राशन की चोरी रोकने में भी मदद मिलेगी। इलेक्ट्रानिक उपकरणों के लिए पीएमए नीति मंजूर:- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील इलेक्ट्रानिक व दूरसंचार उपकरणों की आपूर्ति पर लागू होने वाली तरजीही बाजार पहुंच (पीएमए) नीति को मंजूरी दे दी है। पीएमए नीति का मुख्य उद्देश्य देश में विनिर्मित उपकरणों की खरीद को प्रोत्साहित करना है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक सरकारी सूत्र ने कहा, दूरसंचार उपकरणों तथा अन्य इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों से संबंधित पीएमए नीति को मंजूरी दे दी गई है। ये उपकरण सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील हैं। हालांकि तरजीही बाजार पहुंच नीति के बारे में विस्तृत ब्योरा नहीं मिल पाया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस साल जुलाई में सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार मंत्रालय से इस ढांचे पर नए सिरे से काम करने तथा निजी क्षेत्र द्वारा खरीदे जाने वाले दूरसंचार उपकरणों व अन्य प्रौद्योगिकी उत्पादों को इस नीति से अलग करने को कहा था। मंत्रिमंडल ने फरवरी, 2012 में मंजूर पीएमए नीति के पुराने संस्करण में देश के लिए सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों के मामले में घरेलू स्तर पर विनिर्मित उत्पादों को प्राथमिकता देने को कहा था। इसके दार्यो में सरकारी व निजी क्षेत्र दोनों थे। इस नीति का अमेरिकी समूहों द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा था। हालांकि अमेरिका सरकार ने खुद ही सुरक्षा कारणों व साइबर जासूसी के जोखिमों की वजह से चीन से प्रौद्योगिकी उत्पादों का आयात सीमित कर दिया है। मंत्रिमंडल ने देश में कुछ बिजली उपकरण सर्विस सेंटर स्थापित करने के लिए चीन के साथ प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर करने को भी आज मंजूरी दे दी। ये केंद्र बिजली उत्पादन कंपनियों की उपकरण मरम्मत की जरूरतों को पूरा करेंगे। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआइ) का कारोबारी नैतिकता सूचकांक: पारदर्शिता में टाटा समूह अव्वल:- भ्रष्टाचार विरोधी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआइ) की नजर में विश्व के उभरते हुए बाजारों के बीच पारदर्शिता के मामले में इंडिया इंक का प्रदर्शन सबसे बढ़िया है। इस मामले में टाटा समूह ने बाजी मारी है। टीआइ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में उच्च नैतिक कारोबारी मानदंडों के लिए भारतीय कंपनियों की सराहना की है। साथ ही पड़ोसी देश चीन की कंपनियों को व्यापार करने के लिए अपनाए जा रहे अपारदर्शी तौर-तरीकों के लिए फटकार लगाई है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 16 देशों की 100 कंपनियों को 10 अंकों के मापदंड पर परखा है। पारदर्शिता के मामले में टाटा समूह अव्वल रहा। टीआइ की सूची में टाटा कम्युनिकेशंस 7.1 अंक के साथ अव्वल रही। टाटा ग्लोबल वेबरेजेस और टाटा स्टील (दोनों 6.6 अंक) एक साथ दूसरे नंबर पर रही हैं। टाटा केमिकल्स, टीसीएस और टाटा मोटर्स भी सूची में जगह बनाने में सफल रहीं। इसके अलावा एयरटेल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, विप्रो, ल्यूपिन, वेदांत रिसोर्सेज, इंफोसिस, सुजलॉन, हिंडाल्को, एलएंडटी, क्रॉम्पटन ग्रीव्स, भारत फोर्ज और बजाज ऑटो ने भी सूची में जगह बनाई। पारदर्शी संगठन के मामले में अमीरात एयरलाइन पहले स्थान पर है। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका) अर्थव्यवस्थाओं में चीन को सबसे नीचे रखा गया। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष, कंपनी रिपोर्ट एवं राजस्व, व्यय तथा करों के बारे में कंपनियों के जानकारी देने के तरीके पर तीन चौथाई कंपनियों को 10 में से पांच अंक मिले हैं। इनमें से 60 फीसद की सबसे बड़ी खामी यह रही कि उन्होंने राजनीतिक दलों को दान देने के बारे में जानकारी नहीं दी। खराब प्रदर्शन करने वाली 10 कंपनियों में से आठ चीन की हैं। सरकारी कंपनी चेरी ऑटोमोबाइल लिमिटेड और मेक्सिको की निजी उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली कंपनी मेबी समूह को शून्य अंक मिले हैं। चेरी के प्रवक्ता वांग वेइ ने कहा कि उन्होंने ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का नाम ही नहीं सुना है। बर्लिन स्थित टीआइ के प्रमुख ह्यूग लाबेल के मुताबिक, उभरते बाजारों की कंपनियों को अपना कारोबारी दायरा बढ़ाने के साथ भ्रष्टाचार रोकने में अहम भूमिका निभानी चाहिए। भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की घोषणा कंपनी के नैतिक आचरण की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। अंटाकर्टिका में रिजर्व निर्माण की संभावना बढ़ी:- अंटाकर्टिका के जल में दुनिया की सबसे बड़ी सेंचुरी बनाने की योजना आखिरी मौके पर अमेरिकी शटडाउन की गाज से बच गई है। लिहाजा अमेरिकी सरकार इस एक दशक से लंबित योजना को अगले हफ्ते मंजूरी दे सकती है। अमेरिका, न्यूजीलैंड और अन्य देशों ने पिछले एक दशक से रॉस समुद्र के स्वच्छ पानी में महासागरीय जल के जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए एक सेंचुरी बनाने की परिकल्पना की है। उम्मीद है कि पिछले कुछ सालों से इसका विरोध करने वाले देश रूस, उक्रेन अब इस परियोजना के छोटे स्वरूप के लिए राजी हो जाएंगे। ये प्रस्ताव उनके सामने आस्ट्रेलिया के होबार्ट में अगले हफ्ते होने वाली रेगुलेट्री अंटाकर्टिक फिशिंग मीट में रखा जाएगा। अमेरिका और न्यूजीलैंड संयुक्त उपक्रम में 13.40 वर्ग किलोमीटर लंबी विशाल सेंचुरी बनाने वाले हैं। ये आकार में अमेरिकी राज्य टेक्सास की दोगुनी होगी। इसे महासागर के अंदर सबसे विशाल संरक्षित क्षेत्र के रूप में तैयार किया जाएगा। हालांकि ये परियोजना अब तक इसलिए अटक ती रही है कि इस इलाके से लगे 24 देश यहां मछली पकड़ने की अपनी आजादी को खोना नहीं चाहते थे। इनमें यूरोपीय संघ भी शामिल है, चूंकि उसका कहना है कि फैसला सर्वसम्मति से होना चाहिए। इसलिए अब अमेरिका और न्यूजीलैंड ने इस सेंचुरी के आकार को 40 फीसद घटा दिया है ताकि पर्यावरण समुदायों से लेकर देश भी इस पर मान जाएं। बुधवार को अमेरिकी विदेश विभाग के उप मंत्री जान केरी ने इस परियोजना से जुड़े अन्य देशों के अपने प्रतिपक्षियों से इस विषय पर बात की थी। तभी अगली बैठक का समय निर्धारित हुआ। वेलिंगटन में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता डेविड एडिंगटन ने बताया कि अमेरिकी प्रतिनिधि दल आस्ट्रेलिया जाएगा या नहीं अभी तय नहीं है। लेकिन बुधवार की रात की अमेरिकी कांग्रेस ने अमेरिकी कर्जे के डिफाल्टर संबंधी बिल को पास करके सरकार की बंदी से बचा लिया। अंटार्कटिक से लगे देश अगले हफ्ते एक अन्य परियोजना पर भी चर्चा करेंगे। जिसके तहत पूर्वी अंटार्कटिका में कई छोटे संरक्षित जल क्षेत्र श्रंखलाबद्ध तरीके से बनाए जा सकें। India for settling N-supplier liability fears via insurance package:- A government-owned insurance company has begun doing the spadework on formulating a cover package for the nuclear industry that may help address the concerns of suppliers and operators over India’s 2010 law on liability. Government sources said the public sector General Insurance Corporation is working on a proposal to provide insurance cover to the nuclear industry. Part of the process involves drawing up premium rates for specific parts of a power reactor so that the actuarial burden of any direct or indirect liability in the event of an accident can be quantified in advance and factored into any price negotiations between the Nuclear Power Corporation of India Ltd. and its Russian, U.S. and French suppliers. Indian officials hope that GIC’s efforts will help Prime Minister Manmohan Singh — who begins a five-day visit to Moscow and Beijing on October 20 — allay Russian concerns at the impact the Civil Liabilities For Nuclear Damage Act will have on its planned supply of two additional nuclear reactors at Kudankulam in Tamil Nadu. Russia pushes for level-playing field between West, Iran:- Russia has proposed a nuclear deal with Iran, involving the lifting of sanctions if Tehran agrees to put all its atomic installations under international supervision. Demonstrating a nimble-footed assertion of its West Asia policy — already visible in its high profile role in dousing the flames in Syria — Moscow also seems prepared to play a leading diplomatic role in resolving the enduring crisis in Iran. Russia’s Deputy Foreign Minister Sergei Ryabkov pointed out on Wednesday that all sanctions against Iran should be removed, provided Tehran agrees to put its entire nuclear programme under international control. His statement followed the conclusion of two-day talks between Iran and the six global powers — the first after President Hassan Rouhani assumed office. Iran’s new administration, which includes the urbane and articulate Foreign Minister Javad Zarif, has repeatedly stated its willingness to engage with foreign partners to normalise ties with the West, which have been strained for decades. Moscow is insisting that any deal, if it has to materialise, must allow Iran to carry out uranium enrichment, permitted by the Nuclear Non-Proliferation Treaty (NPT), which Tehran has signed. On its part, Iran has also made the right noises to support Moscow’s advocacy that sanctions, including the biting unilateral economic curbs, against Tehran must be scrapped. Analysts say, Iran may be willing to limit enrichment to 5 per cent, which is necessary to fire a string of atomic power plants, which Tehran plans to establish. In the past, Iran’s successful enrichment of uranium to a 20 per cent level had apparently alarmed the West, which apprehended that if it managed to enrich to a 90 per cent level, Iran would be in striking distance of developing an atomic bomb. Mr. Ryabkov said Russian President Vladimir Putin visualised that Iran’s “inseparable rights under the Non-proliferation Treaty should be accompanied by the introduction of full comprehensive international control over the Iranian nuclear programme”. Russia’s Foreign Minister Sergei Lavrov also supported Moscow’s position by saying, “To begin with the unilateral sanctions need to be removed.” Despite the string of constructive ideas that were tossed up during the Geneva talks, a sequence of steps that each side should adopt that would allow phased lifting of sanctions was yet to emerge. Mr. Ryabkov stressed that arriving at a common understanding on stages and steps that would allow the successive lifting of sanctions would emerge as a prime impediment in the talks ahead. He also alluded to the “low level of trust” between Iran and its six interlocutors — the U.S., Russia, China, Britain, France and Germany, as an obstacle to the smooth progression of a dialogue. Sorce of the News (With Regards):- Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English
Posted on: Sat, 19 Oct 2013 04:46:57 +0000

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