(Mushlim ke sabse bare hitashi ke kam ko dakhia)इटावा। - TopicsExpress



          

(Mushlim ke sabse bare hitashi ke kam ko dakhia)इटावा। आमतौर पर घर के सोने वाले कमरे में बिस्तर-चारपाई और ड्राईंग रूम में सोफासेट और कुर्सियां आदि होती हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के बेहद खास इटावा जिले में चकरनगर गांव के तकिया इलाके में लोग अपने परिजनों के मरने पर घर के अंदर ही कमरे में उन्हें दफनाने और उनकी कब्र बनाने के लिए मजबूर हैं। चकरनगर गांव के तकिया इलाके में सेंटर टेबल की जगह दादा-दादी की कब्र मिल सकती हैं। बेडरूम में चाचा-चाची या परिवार के किसी अन्य सदस्य की कब्र मिल सकती है। ऐसा गांव वाले किसी परंपरा के अनुसार नहीं कर रहे है बल्कि गांव में कब्रस्तिान नहीं होने की वजह से वे घर में ही अपने लोगों को दफनाकर कब्र बनाने को मजबूर हैं। सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पैतृक जिले इटावा में कब्रिस्तान की सुविधा सें महरुम गांववालों की इस अजीबोगरीब मजबूरी से लोग हतप्रभ हैं और प्रशासन पेशोपेश में। जिलाधिकारी पी गुरु प्रसाद ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि गांव में सरकारी जमीन नहीं है। गांव वालों को डेढ किमी. दूर कब्रिस्तान के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई थी लेकिन वे सहमत नहीं हुए। वे चाहते हैं कि उन्हें गांव में ही कब्रिस्तान की जमीन उपलब्ध कराई जाए। गुरु प्रसाद ने कहा कि इस संबंध में ग्राम प्रधान और भरथना क्षेत्र के विधायक ने भी उन लोगों को काफी समझाया लेकिन घर में ही मुर्दा दफन करने वाले लोगों ने डेढ़ किमी. दूर भी जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि बीहड़ का गांव है इसलिए वहां ग्रामीणों की इच्छा के मुताबिक कब्रिस्तान के लिए जमीन उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि इन्हें किसी की निजी जमीन तो दी नहीं जा सकती। प्रशासन की कोशिश है कि इन्हें समझा बुझाकर डेढ़ किमी. दूर चंदई गांव में कब्रिस्तान के लिए उपलब्ध जमीन पर दफनाने के लिए मना लिया जाए। गुरुप्रसाद ने कहा कि गांव के कुछ लोग डेढ़ किमी. दूर उपलब्ध कराई जमीन पर मुर्दे दफनाने के लिए राजी हो गए हैं। उन लोगों ने अपने पूर्वजों की कब्र खोदकर शव निकाले और नए स्थान पर दफना दिया। इस्लाम में विशेष परिस्थितियों में कब्र स्थानान्तरित करने की इजाजत है। हालांकि कब्र स्थनानान्तरित करने वालों की संख्या बहुत कम है। तकिया के ही मुख्तियार ने कहा कि बच्चे अकसर रात में जग जाते हैं। क्योंकि उनकी मां की कब्र उनके सोने के स्थान के बगल ही बनी हुई है। चाहकर भी वह मां को भूल नहीं पा रहे हैं। उनके दैनिक जीवन पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। रहीम ने बताया कि उनके भाई का इंतकाल डेढ़ साल पहले हुआ था। उनके बच्चे अकसर पिता को याद कर रोने लगते हैं क्योंकि उनकी कब्र घर में ही है। जिलाधिकारी ने बताया कि जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी. दूर तकिया इलाके के इन वाशिंदों को वहां स्थित कब्रिस्तान में शवों को दफनाने की इजाजत नहीं है। इटावा जिले के रहने वाले रहीम खान के अनुसार तकिया के सुलाह अहमद समेत कई लोगों के घरों में कब्रें बनी हुई है। तकिया इलाके में करीब ढ़ाई सौ मुसलमान रहते हैं और वे अपनी मां और परिवार के अन्य अजीजों के कब्रों के बगल में खाने और सोने के लिए मजबूर हैं।
Posted on: Wed, 30 Oct 2013 03:50:05 +0000

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