by naval janni प्रार्थना ------ जिस तरह एक छोटी-सी बूंद भरे सागर में हलचल मचा देती है उसी प्रकार मन में आज प्रलय के आसार नज़र आ रहे हैं मन की इच्छाएँ और आकांक्षाएँ द्वंद्व मचा रही हैं परन्तु दिमाग़ की प्रतिक्रियाएँ उन्हें शांत करा रही हैं एक क्षण को लगता है कि हाथ से कुछ निकल रहा है सब कुछ सही होते हुए भी मन में कुछ ख़ल रहा है चिंतित मन को राहत आ जाए तो कुछ क्षण शान्ति मिले तपते रेगिस्तान को एक बूंद से आपूर्ति मिले मेहर से उनकी सब काज ठीक हों इस बुरे समय में भी वो उनके क़रीब हों करती हूँ यही प्रार्थना पूरे दिल से कि जल्द निजात पायें वो मुश्क़िल से
Posted on: Wed, 24 Jul 2013 16:26:37 +0000
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