आर्यावर्त भरतखण्ड - TopicsExpress



          

आर्यावर्त भरतखण्ड संस्कृति श्रीमद भागवत पुराण में सापेक्षता का सिद्धांत (Theory of Relativity) आइंस्टीन से हजारों वर्ष पूर्व ही लिख दिया गया था आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को तो हम सभी जानते है । आइंस्टीन ने अपने सिद्धांत में दिक् व काल की सापेक्षता प्रतिपादित की। उसने कहा, विभिन्न ग्रहों पर समय की अवधारणा भिन्न-भिन्न होती है। काल का सम्बन्ध ग्रहों की गति से रहता है। इस प्रकार अलग-अलग ग्रहों पर समय का माप भिन्न रहता है। समय छोटा-बड़ा रहता है। उदाहरण के लिए यदि दो जुडुवां भाइयों मे से एक कोपृथ्वी पर ही रखा जाये तथा दुसरे को किसी अन्य गृह पर भेज दिया जाये और कुछ वर्षों पश्चात लाया जाये तोदोनों भाइयों की आयु में अंतर होगा। आयु का अंतर इस बात पर निर्भर करेगा कि बालक को जिस गृह पर भेजा गया उस गृह की सूर्य से दुरी तथा गति , पृथ्वी की सूर्य से दुरी तथा गति से कितनी अधिक अथवाकम है । एक और उदाहरण के अनुसार चलती रेलगाड़ी में रखी घडी उसी रेल में बैठे व्यक्ति के लिए सामान रूप से चलती है क्योकि दोनों रेल के साथएक ही गति से गतिमान है परन्तु वही घडी रेल से बाहरखड़े व्यक्ति के लिए धीमे चल रही होगी । कुछ सेकंडों को अंतर होगा । यदि रेल की गति और बढाई जाये तो समय का अंतर बढेगा और यदि रेल को प्रकाश की गति (299792.458 किमी प्रति सेकंड) से दोड़ाया जाये (जोकि संभव नही) तो रेल से बाहर खड़े व्यक्ति के लिए घडी पूर्णतया रुक जाएगी । इसकी जानकारी के संकेत हमारे ग्रंथों में मिलते हैं। श्रीमद भागवत पुराण में कथाआती है कि रैवतक राजा की पुत्री रेवती बहुत लम्बी थी, अत: उसके अनुकूल वर नहींमिलता था। इसके समाधान हेतुराजा योग बल से अपनी पुत्रीको लेकर ब्राहृलोक गये। वे जब वहां पहुंचे तब वहां गंधर्वगान चल रहा था। अत: वेकुछ क्षण रुके। जब गान पूरा हुआ तो ब्रह्माने राजा को देखा और पूछा कैसे आना हुआ? राजा ने कहा मेरी पुत्री के लिए किसी वरको आपने पैदा किया है या नहीं? ब्रह्मा जोर से हंसे और कहा,- जितनी देर तुमने यहांगान सुना, उतने समय में पृथ्वी पर 27 चर्तुयुगी {1 चर्तुयुगी = 4 युग (सत्य,द्वापर,त्रेता,कलि ) =1 महायुग } बीत चुकी हैं और 28 वां द्वापर समाप्त होने वाला है। तुम वहां जाओ और कृष्ण के भाई बलराम से इसकाविवाह कर देना। अब पृथ्वी लोक पर तुम्हे तुम्हारे सगे सम्बन्धी, तुम्हारा राजपाट तथा वैसी भोगोलिक स्थतियां भी नही मिलेंगी जो तुम छोड़ कर आयेहो | साथ ही उन्होंने कहा कि यह अच्छा हुआ कि रेवती को तुम अपने साथ लेकर आये। इस कारणइसकी आयु नहीं बढ़ी। अन्यथालौटने के पश्चात तुम इसे भीजीवित नही पाते | अब यदि एक घड़ी भी देर कि तोसीधे कलयुग (द्वापर के पश्चात कलयुग ) में जा गिरोगे | इससे यह भी स्पष्ट है की निश्चय ही ब्रह्मलोक कदाचित हमारी आकाशगंगा से भी कहीं अधिक दूर है यह कथा पृथ्वी से ब्राहृलोकतक विशिष्ट गति से जाने पर समय के अंतर को बताती है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी कहा कि यदि एक व्यक्ति प्रकाश की गति से कुछ कम गति से चलने वाले यान में बैठकर जाए तो उसके शरीर के अंदर परिवर्तन की प्रक्रिया प्राय: स्तब्ध होजायेगी। यदि एक दस वर्ष का व्यक्ति ऐसे यान में बैठकर देवयानी आकाशगंगा (Andromeida Galaz)की ओर जाकर वापस आये तो उसकी उमर में केवल 56 वर्ष बढ़ेंगे किन्तु उस अवधि मेंपृथ्वी पर 40 लाख वर्ष बीत गये होंगे। काल के मापन की सूक्ष्मतम और महत्तम इकाई के वर्णन कोपढ़कर दुनिया का प्रसिद्ध ब्राह्माण्ड विज्ञानी Carl Sagan अपनी पुस्तक Cosmos में लिखता है, - "विश्व में एक मात्र हिन्दूधर्म ही ऐसा धर्म है, जो इस विश्वास को समर्पित है कि ब्राह्माण्ड सृजन और विनाश का चक्र सतत चल रहा है। त
Posted on: Fri, 16 Aug 2013 06:18:34 +0000

Trending Topics



Recently Viewed Topics




© 2015