इस्लाम की शौचालयी सोच - TopicsExpress



          

इस्लाम की शौचालयी सोच !! भारतीय धर्मों में शरीर की पवित्रता के साथ विचारों की पवित्रता होने को भी आवश्यक माना गया है. इसलाम में पवित्रता को पाकीजगीया तहारत कहा जाता है. यद्यपि कुरान में शरीर की शुद्धता के बारे में बहुत विस्तार से नहीं लिखा है, परन्तु प्रमाणिक हदीसों में शरीर की शुद्धता के बारे ने बड़ी बारीकीसे लिखा है. यहां तक शौच के बारे में भी नियम बना दिए हैं. जिनको "शौचालय शिष्टाचार (Toilet Etiquette) या "अम्र अल हाजअल अदब "المرحاض الآداب"" कहा जाता है. "अगर तुम में से कोई शौच करके आया हो, या स्त्री को हाथ लगा दिया हो, और उस समय पानी नहीं हो, तो वह ऊंची जगह जाकर अपने मुंह और हाथों को मिट्टी से रगड़ दे. क्योंकि अल्लाहतुम्हे नहाने कि परेशानी में नहीं डालना चाहता "सूरा -मायादा 5 : 6. 2-शौचालय में शरण -- क्यों इस्लाम में जिन्नों, टोना करने वालों और बुरी नजर वालों के डर से बचने के लिए शौचालय में शरण लेने को कहा गया है, जो इन हदीसों से साबित होता है. जैद बिन अकरम ने कहा कि तुम जब भी शौचालय जाओ, तो जिन्नों से बचने के लिए यह दुआ पढ़तेरहो "अल्लाह मैं बुरे पुरुष और स्त्री शैतानो से बचने के लिए इस जगह तेरी शरण में आता हूँ "अबू दाऊद-किताब 1 हदीस 6. "अनस बिन मालिक ने कहा कि, जब भी रसूल शौचालय जाते थे तो, यह दुआ पढ़ते रहते थे "मैं जादूगरों और बुरी नजर वालों की नजर से बचने के लिए इस जगह अल्लाह की शरण में आता हूँ"सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 729. "अनस बिन मालिक ने कहा कि रसूल शौचे जाते समययह दुआ पढ़ते थे "अल्लाहुमा इन्नी अऊजू बिक मिनल खुबुसी वाल खुबैसिया "यानी अल्लाह मैं हरेक बुरे और बुरी शक्तियों से बहाने के लिएयहाँ तेरी शरण में आता हूँ "बुखारी -जिल्द 1 किताब 4 हदीस 144. 3-अल्लाह का निवास शौचालय -- जो लोग मक्के के काबा को, और किसी मस्जिद को अल्लाह का निवास समझते हैं, वह अज्ञानी हैं, वास्तव में अलह का निवास शौचालय में है, जो इस हदीस से साबित होता है. "अबू सईद अल खुदरी ने कहा कि रसूल ने कहा कि जो लोग शौचालय में एक दूसरे के साथ अभद्र बातें करते हैं,vवह सब बातें वहां मौजूद अल्लाह सुनता रहता है.vऔर क्रोधित होता है. और क़यामत के दिन उनको सजा देगा "अबू दाउद- किताब 1 हदीस 15. 4-विषम संख्या के पत्थर -- क्यों मुसलमान मल त्याग के बाद अपनी मलेंद्रिय को पानी से धोने की बजाय पत्थरों से रगड़ देते हैं. और बिना किसी वैज्ञानिक कारन के रसूल अपने अंध विश्वास के कारण मलेंद्रिय को घिसने के लिए विषम संख्या (Odd Number) के पत्थरों का प्रयोग करने कोकहते हैं, देखिये. "अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि, जो भी व्यक्ति शौच के बाद अपनी मलेंद्रिय (Anus) को साफ करना चाहे तो उसे इसके लिए विषम संख्या के पत्थर लेना चाहिए. "बुखारी -जिल्द 1 किताब 4 हदीस 162. "सलमान ने कहा कि रसूल ने कहा कि मलत्याग के बाद अपनी मलेंद्रिय को घिसने के लिए कम से कम तीन पत्थर जरूर रख लेना चाहिए."सही मुस्लिम -किताब 2 हदीस 505. यही कारण है कि मलत्याग के बाद पानी का प्रयोग न करने से मुसलमानों के शरीरों से दुर्गन्ध निकलती रहती है , जिसे छुपाने के लिए वह इत्र लगते रहते हैं नदी में मलत्याग -- मुसलमान भी नए नए तरीके खोज सकते हैं, यह इस हदीस से पता चलता है, जिहादी नदी के बहते हुएपानी में ही मलत्याग करते थे. और अपने अफ साफहो जाते थे. उनको पत्थरों कि जरूरत नहीं होती थी. यह इस हदीस का आशय है, देखिये -- "अबू हुरैरा ने बहत्त कहा कि हम लोग रसूल के साथ अरफात के युद्ध के बाद वापस आ रहे थे, फज्र का वक्त होने वाला था, तो लोगों ने पानीकी बहती धारा ही शौच कर दिया. यह देख कर रसूल ने कहा कि अब इन लोगों को सुद्ध होने कि कोई जरुरत नहीं है. क्योंकि यह अपने आप ही शुद्ध हो गए हैं फिर रसूल नेसूरा तौबा 8 :108आयत सुना दी "अबू दौउद -किताब 1 हदीस 44. जिस समय जिहादी नदी के पानी में मलत्याग कर रहे थे, तब रसूल ने जो आयत सुनाई थी, वह इस प्रकार है. "तुम ऐसी जगह में खड़े हो (पानी में) और कुछ ऐसे लोग हैं, जो उसी में पाक होना चाहते हैं, और अलह ऐसे ही पाक लोगों को पसंद करता है."सूरा -तौबा 9 :108. इस तरह की ओर भी शिक्षाए फातिमा के स्वघोषित अब्बु मुहमद ने दी है,इसी से पता चल जाता है कि इस्लाम मे कितनी साफ सफाई है।
Posted on: Fri, 13 Sep 2013 21:59:21 +0000

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