एक अमीर आदमी की शादी बुद्धीमान स्त्री से हुई। अमीर हमेशा अपनी बिवी से तर्क और वाद-विवाद मेँ हार जाता था। बिवी ने कहा की स्त्रिया मर्दो से कम नहीँ। अमीर ने कहा मैँ दो वर्षो के लिये परदेश चला जाता हुँ। एक महल,बिजनेस मेँ मुनाफा और एक बच्चा पैदा करके दिखा दो। आदमी परदेश चला गया। बिवी ने सारे कर्मचारियोँ मेँ ईमानदारी का बोध जगा के और मेहनत का गुण भर दिया। पगार भी बढ़ा दी। सारे कर्मचारी खुश होकर दिल लगा के काम करने लगे। मुनाफा काफी बढ़ा। बिवी ने महल बनवा दिये। बिवि ने दस गाय पाले। काफी खातिदारी की। गाय का दूध काफी अच्छा हुआ। दूध से दही जमा के परदेश मेँ दही बेचने चली गई वेश बदल के। अपने पति के पास बदले वेश मेँ दही बेची, और रूप के मोहपाश मेँ फँसा कर संबंध बना ली। फिर एक दो बार और संबंध बना के अँगुठी उपहार मेँ लेकर घर लौट आई। बिवी एक बच्चे की माँ भी बन गई। दो साल पूरे होने पर पति घर आया। महल और शानो-शौकत देखकर पति दंग और प्रसन्न रह गया। मगर जैसे बिवी की गोद मेँ बच्चा देखा क्रोध से चीख उठा किसका है ये? बिवी ने जब दही वाली गुजरी की याद दिलाई और उनकी दी अँगुठी दिखाई तो अमीर काफी खुश हुआ। बिवी ने कहा-ः अगर वो दही वाली गुजरी मेरी जगह कोई और होती तो??? अब अमीर निरुत्तर था ..!! वाकई इस 'तो' का उत्तर तो पूरी पुरूष जाती के पास नहीँ है।
Posted on: Mon, 01 Jul 2013 09:47:01 +0000
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