पढे श्री राकेश कुमार - TopicsExpress



          

पढे श्री राकेश कुमार आर्य का लेख ---- जनपद गौतमबुद्घ नगर की सदर तहसील की एस.डी.एम. दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर पूरा प्रदेश हिल गया है। आई.ए.एस. एसोसिएशन ही नही बल्कि पूरा विपक्ष भी नागपाल के समर्थन में उतर आया है। अपने क्षेत्र के 17 गांवों में एक अभियान चलाकर 500 एकड़ ग्राम समाज की भूमि को मुक्त कराने और लगभग एक दर्जन तालाबों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने वाली इस महिला अधिकारी को अपने कार्य का पुरस्कार भी सजा के रूप में मिला। वह अवैध खनन के कार्य में संलिप्त लोगों के खिलाफ भी लगाम कसने का कार्य कर रही थीं। फरवरी से अब तक उन्होंने अवैध खनन में लगे 274 डंपर जेसीबी मशीन, टै्रक्टर ट्रॉली आदि जब्त किये थे। लाखों रूपये का जुर्माना वसूलकर खनन माफियाओं को उन्होंने बता दिया था कि जिले में गलत और गैरकानूनी काम होने नही दिया जाएगा। आज की राजनीति सचमुच पैसे कमाऊ हो गयी है। सारी की सारी राजनीति व्यापार में बदल गयी है। राजनीति ने देश का लोकतंत्र खरीद लिया है। तभी तो भाजपा का एक नेता कहता है कि वह दस करोड़ खर्च करके सांसद बना तो कांग्रेस का एक नेता कहता है कि अब तो राज्यसभा में भी सौ करोड़ रूपया खर्च करके पहुंचा जाता है। जिस देश में पीएचडी की डिग्री खरीद कर लोग मंचों पर पूजे जाते हों, जहां सारी राजनीति नीलामी की मंडी में तब्दील हो गयी हो, और जहां चिकित्सक तक एमबीबीएस की फर्जी डिग्री लेकर मरीजों को मार रहे हों वहां घपलों की स्याह रात में ईमानदारी के जलते चिराग का क्या मतलब? इसलिए चिराग पसंद नही आया और राजनीति ने अपने स्वभाव के मुताबिक एक चिराग का कत्ल कर दिया। चिराग को उसकी औकात बता दी गयी कि अंधों की नगरी में रोशनी फैलाने की कीमत क्या होती है? आज कल प्रदेश में गाजियाबाद से अलीगढ़ तक जीटी रोड के चौड़ीकरण का कार्य हो रहा है। देश के कुछ ‘चोरों ने’ सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण किया और लंबे कुर्ते पहनकर राजनीति उन चोरों की हिफाजत में सड़कों पर आ गयी। फलस्वरूप उन चोरों को बचाने के लिए राजनीति ने उनके गुनाह माफ किये और सड़क का चौड़ीकरण शहरों में न करके हर शहर व कस्बे का बाईपास बनाना ही उचित समझा। हर शहर में करोड़ों रूपया अब यूं ही व्यय हो रहा है नया बाईपास बनाने में। कोई भी अधिकारी अपने आकाओं की इच्छा के सामने जुबान न खोल सका और चुपचाप बाईपास बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। अब देश के लाखों गरीबों के हिस्से का पैसा बाईपासों पर खर्च हो रहा है। यदि राजनीति भ्रष्टï ना होती और योग्य अधिकारियों का सम्मान करने वाली होती तो आज ऐसी नौबत ही ना आयी होती। तब सड़कों का चौड़ीकरण शहरों के भीतर भी होता और रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट 1945 के अंतर्गत अपेक्षित और वांछित भूमि को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराते हुए शहरों के भीतर चौड़ी सड़कें बनायी जातीं। न्याय और नैतिकता सब राजनीति की भेंट चढ़ गये। यह कहां की तुक है कि अतिक्रमण करके लाभ दस लोग लें और उसका दण्ड पूरा समाज भुगते? अब दूसरा उदाहरण गांवों, कस्बों की तालाबों की भूमि का लें, इन पर अवैध अतिक्रमण ही नही किये गये हैं, अपितु नोएडा के बहुत से गांवों में तो पूरी तरह ये समाप्त ही कर दिये गये हैं। अधिकांश तालाबों को नेताओं के चहेतों ने ही घेर कर समाप्त किया है। पर्यावरण विभाग की और वैज्ञानिकों की चिंता है कि तालाबों को भूगर्भीय जल के संरक्षण के लिए बचाया जाए और नेताओं की चिंता है कि इन पर अपने मुठमर्द गुर्गों को बसाया जाए, ताकि उस क्षेत्र में वोटों का पक्का जुगाड़ बन जाए। यदि किसी नौकरशाह ने उधर की ओर कभी आंखें उठायीं तो उन्हें हड़का दिया गया और इस प्रकार एक ‘मुठमर्द’ को कानून से ऊपर होने का प्रमाण पत्र मिल गया, जबकि नौकरशाही को दयनीय बना दिया गया। ऐसी परिस्थितियों में आज नौकरशाहों को राजनीतिक लोगों ने अपनी जेब की अठन्नी, चवन्नी बनाकर रख दिया है। नागपाल पर जो आरोप लगाया गया है किसी मस्जिद की दीवार के गिराने का, वह भी निराधार है। मंदिर हो या मस्जिद वह ग्राम समाज की भूमि पर निर्मित नही किये जा सकते। जो भूमि जिस नौइयत की है, उसे उसी नौइयत में रखना राजस्व अधिकारियों का कार्य है। नौइयत बिना बदले आप किसी भूमि पर अपनी मर्जी से कोई धार्मिक स्थल नही बना सकते। पर माजरा तो कुछ और ही है, मंदिर मस्जिद के लिए माजरे का रंग परिवर्तित करना अच्छा नही होगा। यह अच्छी बात है कि दुर्गा शक्ति नागपाल ने युवा होने का सबूत दिया और अवैध खनन करने वालों के खिलाफ उन्होंने कड़ाई का प्रयोग किया। प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को निश्चित रूप से तथ्यों से गुमराह किया गया होगा, अन्यथा वह एक ऊर्जावान अधिकारी के खिलाफ निलंबन का दु:खदायी निर्णय नही लेते वैसे भी मुख्यमंत्री के युवा होने के कारण तथा उनकी छवि के कारण प्रदेश की जनता ने उनसे विशेष उम्मीदें लगाईं थीं। प्रदेश के युवा को लगा था कि प्रदेश में अब सचमुच सवेरा होगा पर प्रदेश में जल्दी ही एक मुहावरा, मजाक के रूप में प्रचलित हो गया है कि प्रदेश में इस समय साढ़े तीन मुख्यमंत्री हैं। एक मुलायम सिंह यादव, दूसरे आजम खान, तीसरे शिवपाल सिंह यादव, और आधे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वयं। मुख्यमंत्री नेक हैं, ईमानदार हैं, विवेकशील हैं अपने बड़ों के प्रति सम्मान भाव भी रखते हैं, यह अच्छी बात हो सकती है, लेकिन प्रदेश में छवि भी तो उन्ही की खराब हो रही है। वह जनता की अपेक्षाओं पर खरे नही उतर पाये हैं। नागपाल के मामले में उनकी छवि और भी धूमिल हुई है। चुनावी वर्ष में उनके लिए यह निर्णय भी अच्छा नही रहने वाला। आईएएस एसोसिएशन अपने एक अधिकारी के साथ खड़ी है, और सारा विपक्ष भी खड़ा है। पर इनके अपने स्वार्थ हो सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि एक अधिकारी के साथ जनता क्यों खड़ी है, क्यों सारा मीडिया खड़ा है? यदि ये बात प्रदेश सरकार की समझ में आ गयी तो निश्चय ही हम जल्दी ही नागपाल के प्रकरण में एक अच्छा निर्णय सुनेंगे।
Posted on: Mon, 05 Aug 2013 16:07:42 +0000

Trending Topics



Recently Viewed Topics




© 2015