बुद्ध और गाँधी के बीच में कोई एक और महान विभूति भी आई थी ,क्यों भूल जाता है इतिहास .ये अहिंसा ,शांति जैसे शब्द तभी अच्छे लगते हैं जब उनका अर्थ सभी के समझ में आये .कुछ निठल्ले लोग जो कुछ करना ही नहीं चाहते ,हाथ पर हाथ धर कर बैठें रहें ,कोई एक गाल पर मारे तो दूसरा गाल भी घुमाकर सामने कर दें ,लो भैया इस पर भी मार दो ,जिससे मुंह बराबर सूजा लगे ,अब कौन पलट कर चार थप्पड़ कस कस कर लगाने की जहमत करे . आतंकवादियों को बेटी -दामाद का दर्ज़ा दे दिया जाये .याद करो गुरुगोविंद सिंह को ' सवा लाख से एक लडाऊं 'का फंडा क्या बुरा है आज के परिप्रेक्ष्य में .अब भी ना चेते तो कब चेतोगे ,जागो ..........विजय
Posted on: Mon, 08 Jul 2013 02:02:43 +0000