मोदी के खिलाफ एक और - TopicsExpress



          

मोदी के खिलाफ एक और षड़यंत्र आज सत्ताधारी पक्ष की एक और मीडिया स्पॉन्सर्ड मिलीभगत देखने को मिली. नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार का एक और उदाहरण सामने आया. चलो पहले से सही गलत का फैसला नहीं करते और विचार करते हैं क्या सही है क्या गलत है : १. मोदी पर तीर छोड़ने वालों में एक मिनाक्षी नटराजन थीं जिनको भरी सभा में दिग्विजय सिंह ने टंच माल कहा था और उन्हें अपने टंच माल होने पर गर्व की अनभूति हुई थी. २. गिरिजा व्यास के मुह से एक शब्द नहीं फूटा था जब अभिषेक सिंघवी एक महिला वकील को जज बनाते अपने ही केबिन में धरे गए थे, लेकिन आज अचानक से उनकी अंतरात्मा जाग गयी. ३. रीता बहुगुणा जोशी का नारी मुक्ति अभियान तेल लेने चला जाता है जब भंवरी देवी मार दी जाती है, और सत्यनारायण पटेल का जम्बो सर्कस सीडी में कैप्चर हो जाता है. वैसे हज़ारों केस है जो यहाँ लिखे जा सकते हैं लेकिन अभी मुद्दा कांग्रेस का चरित्र नहीं है, मुद्दा एडमिनिस्ट्रेशन का है. गुजरात में लडकियां आधी रात सड़कों पे सुरक्षित घूमती हैं, जबकि दिल्ली जैसे महानगर में अँधेरा ढलते ही खौफ की चादर फैलने लगती है. मुख्यमंत्री शीला दिक्सित कहती है की लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, सरकार कहती है कि हर घटना को वो नहीं रोक सकते, Nirbhaya के केस में भी हक़ कि लड़ाई लड़ने वाली पब्लिक को डंडे मार मार कर पीटा जाता है. अब आप फैसला कीजिये कि एक तरफ दिल्ली जैसे अंतरष्ट्रीय शहर की मुख्यमंत्री कहती है कि दिल्ली में मेरी खुद की बेटी सुरक्षित नहीं है, ऐसे में किसी पिता की दरखास्त पर अगर किसी बेटी की सुरक्षा के लिए निगरानी रखने के आदेश दिए जाते हैं तो वो प्राइम टाइम डिबेट का हिस्सा बना दिया जाता है. तहलका जैसी पत्रिकाए जो जब तब एक पार्टी विशेष के इशारे पे नाचती है आखिर उनको ही क्यों सरकारी दस्तावेज उपलब्ध कराये जाते हैं. कैसे सीबीआई कि रिपोर्ट उनको ही लीक की जाती है. ये सारी खिसियाहट नरेंद्र मोदी को मिलते अपार जनसमर्थन और उनकी रैलियों में उमड़ते अभूतपूर्व जनसैलाब कि वजह से है. जहां एक तरफ शहज़ादे के रैलियों में भीड़ से ज्यादा तादात सुरक्षाकर्मियों कि होती है वहीँ दूसरी तरफ मोदी के सैलाब को तितर बितर करने के लिए बम ब्लास्ट कराये जाते हैं, पिट्ठू न्यूज़ चेनलों से करेक्टर असासिनेशन का प्रोपेगंडा चलाया जाता है, सरकारी मशीनरी का खुल्ला दुरूपयोग किया जाता है. कांग्रेस के मित्रो अगर मर्दों कि तरह सामने आके लड़ने कि हिम्मत नहीं है तो स्वीकार करो, क्यूंकि तुम्हारे शुतुरमुर्ग बन जाने से सच्चाई नहीं बदल जायेगी और चाय वाला कह के तुम भले ही अपनी खिसियाहट जाहिर करो, लेकिन सच यही है क़ि तुम्हारे कुशाशन से जो देश क़ि अर्थव्यवस्था को नींद के झौंके आने लगे हैं उसको अब एक चाय वाले की ही सख्त जरूरत है.
Posted on: Sun, 17 Nov 2013 10:52:24 +0000

Trending Topics



Recently Viewed Topics




© 2015