महाभारत और जिहाद कुछ हिंदुद्वेषी और इस्लामिक विद्वान धर्म की संस्थापना हेतु कौरव और पांडव के मध्य हुई संघर्ष महाभारत और पैगम्बर मुहम्मद के इस्लामिक युद्ध को एक ही तराजू में तौलते हैं और कहते हैं कि दोनों ही युद्ध अधर्मियों के विरुद्ध लडे गए थे। जाकिर नायक नामक एक हिंदुद्वेषी भी अपनी एक वेव साईट "ISLAMIC RESEARCH FOUNDATION " में महाभारत और इस्लामिक युद्ध (जिहाद) की समांतर तुलना कर के ये बता रहें हैं की जिस तरह महाभारत एक धर्म युद्ध था उसी तरह मुहम्मद साहब द्वारा चलाया गया इस्लामिक युद्ध ( जिहाद) भी एक धर्म युद्ध है | जिस तरह महाभारत का युद्ध अधर्मियों के खिलाफ लड़ा गया था उसी तरह इस्लामिक जिहाद को भी अधर्मियों के खिलाफ युद्ध सिद्ध करके जायज कहा है ,पर क्या महाभारत का युद्ध और इस्लामिक जिहाद समान हो सकते हैं? क्या जिहाद धर्म युद्ध हो सकता है ? महाभारत का युद्ध लगभग ५००० वर्ष पहले लड़ा गया और इस्लामिक जिहाद १४०० साल पहले ..महाभारत के युद्ध में नियम और सभ्यता थी और इस्लामिक जिहाद में कोई नियम नहीं केवल बर्बरता थी ....आइये देखते हैं... १-शत्रु महाभारत - कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवो और पांडवो के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया , युद्ध केवल कौरवो - पांड्वो और उनकी सेनाओ के बीच लड़ा गया , इसमें बाहरी लोगो को कोई हानि नहीं पहुचाई गयी| इस्लामिक जिहाद - युद्ध इस्लाम के अनुयायियों और संसार के गैर मुस्लिम(काफ़िर ) के बीच में लड़ा गया , यानी दारुल हर्ब को दारुल इस्लाम बनाने के लिए | देखें: सुरा २ कि आयत १९३ ............"उनके विरूद्ध जब तक लड़ते रहो, जब तकमूर्ती पूजा समाप्त न हो जाए और अल्लाह का मजहब(इस्लाम) सब पर हावी न होजाए. " २-युद्ध भूमि महाभारत - युद्ध केवल कुरुक्षेत्र में लड़ा गया ,युद्ध भूमि के बाहर युद्ध निषेद था | युद्ध भूमि के बाहर घरो को नुकसान पहुचना निषेद था | जिहाद - इसमें ऐसा कोई भी नियम नहीं था , गैर मुस्लिम को जहां भी दिखे उसे तुरंत मारने का आदेश था ... वो सब करने की छूटथी जिससे गैर मुस्लिम को अधिक-से -अधिक हानि हो | देखें: सुरा ९ आयत ५ में लिखा है,......." फिर जब पवित्र महीने बीत जायें तोमुशरिकों (मूर्ती पूजक) को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और उन्हें पकड़ो व घेरो और हरघाट की जगह उनकी ताक में बैठो। यदि वे तोबा करले ,नमाज कायम करे,और जकातदे तो उनका रास्ता छोड़ दो। निसंदेह अल्लाह बड़ा छमाशील और दया करने वाला है।" quran/9/5 ३ शत्रुओं को लूटना महाभारत - चुकी युद्ध केवल युद्ध क्षेत्र तक ही सिमित था इसलिए शत्रु पक्ष के घरो को हाथ लगाना या हानि पहुचना निषेध था ....लूटने की तो बात सोचना ही पाप था| जिहाद - ऐसा कोई भी निषेध यहाँ नहीं था , शत्रु पक्ष के घरो को लूटना जायज़ था | देखें:- सूरा न. ८:४१ जो भी युद्ध में हासिल हो उसका ५ वाँ हिस्सा अल्लाह , रसूल को अता करे | अल्बुखारी की हदीस जिल्द १ सफा १९९ में मोहम्मद कहता है ,."लूट मेरे लिएहलाल कर दी गई है ,मुझसे पहले पेगम्बरों के लिए यह हलाल नही थी। islam-watch.org/Logical/Allah-make-War-Booty-Halal-Prophet-Muhammad.htm islamicity/mosque/QURAN/8.htm ४-युद्ध बंदियों को गुलाम बनाना महाभारत -युद्ध में जितने वाले पक्ष को हारने वाले पक्ष की स्त्रियों , बच्चो , रिश्तेदारों आदि को नुकसान पहुचना निषेध था , युद्ध पुरे मानवता को ध्यान में रख कर लड़ा गया ...किसी आम नागरिक को हानि नहीं पहुचाई गय��� | जिहाद - युद्ध में हारे गए शत्रु (काफिरों) के बच्चो, औरतो ,रिश्तेदारों को गुलाम बनाओ .युद्ध में हारे हुए पक्ष को गुलाम बनाने का प्रवधान , इसलिए गुलाम बने लोगो की बच्चे और औरते मुस्लिमो की वैध सम्पति थी, शरिया कानून के तहत उनका भोग करो | देखें- सूरा ८, आयत ६९..........."उन अच्छी चीजो का जिन्हें तुमने युद्ध करके प्राप्तकिया है,पूरा भोग करो। " सूरा ४ ,आयत २४.............."विवाहित औरतों के साथ विवाह हराम है , परन्तुयुद्ध में माले-गनीमत के रूप में प्राप्त की गई औरतें तो तुम्हारी गुलाम है ,उनके साथसम्बन्ध बनाना जायज है। अरब शरियत में " मा मलाकात अय्मनुकुम " के अनुसार मालिक अपनी युद्ध में गुलाम बनायीं गयी स्त्री के साथ जबरन सम्भोग करने का अधिकार था | en.wikipedia.org/wiki/Ma_malakat_aymanukum युद्ध का समय महभारत - सूर्य उदय के समय दोनों पक्ष के सैनिक युद्ध भूमि में जमा हो जाते और शंख बजने के साथ युद्ध शुरू होता , सूर्य अस्त के समय शंख बजते ही युद्ध समाप्त हो जाता , रात में युद्ध निषेध था | इस्लामिक युद्ध - कोई नियम नहीं जहां भी काफ़िर दिखे उसे तुरंत ख़त्म करने का आदेश था , यदि शत्रु सोता हुआ हो तब भी उस पर आक्रमण करते थे | मार्च ६२४ को मुहम्मद ने अपने ३०० साथियों के साथ रात में बदर में मक्का के व्यपारियों पर आक्रमण किया | देखें: Battle of Badr - Wikipedia, the free encyclopedia en.wikipedia.org/wiki/Battle_of_Badr युद्ध का कारण महभारत -युद्ध केवल राज्य को लेके लड़ा गया था ..किसी धर्म को फ़ैलाने के लिए नहीं , जैसे ही राज्य पुन: जीत लिया गया युद्ध समाप्त कर दिया गया | युद्ध जीतने के बाद भी पांडवो को आत्मग्लानी हुयी और उन्होंने राज्य त्याग कर हिमालय पर प्रस्थान कर दिया | इस्लामिक युद्ध -युद्ध इस्लाम को फ़ैलाने और उसकी प्रभुत्व कायम करने के लिए लड़ा गया , ...केवल विश्व को दारुल इस्लाम बनाने का उदेश्य सुरा ४ की आयत ५६ ..........."जिन लोगो ने हमारी आयतों से इंकार किया उन्हेंहम अग्नि में झोंक देगे। जब उनकी खाले पक जाएँगी ,तो हम उन्हें दूसरी खालों सेबदल देंगे ताकि वे यातना का रसा-स्वादन कर लें। निसंदेह अल्लाह ने प्रभुत्वशालीतत्व दर्शाया है।" महाभारत के युध में किसी पक्ष ने दूसरे पक्ष के धर्म स्थलो को नुकसान नही पहुचाया पर इस्लामिक युध में दूसरे धर्म के पूजा स्थलो को तोड़ दिया गया ....काबा इसका उधारण है जहाँ तोड़ी गयी मूर्तिया अब हैं | क्या अब भी महाभारत के युद्ध और इस्लामिक युद्ध (जिहाद ) में कोई समानता है ?
Posted on: Sat, 28 Sep 2013 14:32:06 +0000
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