राम सेतु तोड़ने के पीछे - TopicsExpress



          

राम सेतु तोड़ने के पीछे एक काला सच 0 Published on 5:00 am Category: Bhandafod , Congress , Nuclear Deal , Nuclear scam , RamSetu , Soniya Gandhi , UPA राम सेतु तोड़ने के पीछे एक काला सच सरकार रामसेतु को सिर्फ इसलिए तोडना चाहती है की उसके नीचे थोरियम है और जिसे अमेरिका पाना चाहता है, इसीलिए हुई Nuclear Deal . मनमोहन राज में भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला 2004 यानी यूपीए-एक में ही शुरू हो गया था, जिसके सामने कोलगेट और 2G घोटाले भी शर्मिंदा हो जाते है | भारतीय बाज़ार मूल्य में इस घोटाले की राशि करीब 48 लाख करोड़ रूपये है, और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य से यह घोटाला 242 लाख करोड़ रुपये का हो जाता है. दरअसल भारतीय समुद्री तटों पर हुए इस घोटाले में पिछले कुछ सालों में बेशकीमती इक्कीस लाख टन मोनाजाईट, जो कि 195300 टन थोरियम के बराबर है, गायब हो चुका है | थोरियम परमाणु उर्जा बनाने के काम आने वाला बेहतरीन ईंधन है जो कि रेडियोधर्मी गुणों के बावजूद बहुत कम विकिरण के कारण यूरेनियम के मुकाबले बेहद सुरक्षित परमाणु ईंधन है. थोरियम परमाणु उर्जा केन्द्रों के लिए ही नहीं बल्कि परमाणु मिसाइलों में भी काम आता है | गौरतलब है कि कुछ देशों में ही मोनाजाईट/थोरियम रेत में मिलता है और भारत भी उन विरले देशों में शामिल है. भारत में मोनाजाईट ओडिसा के रेतीले समुद्री तटों के अलावा मनावालाकुरिची (कन्याकुमारी) और अलुवा-चवारा (केरल) के रेतीले समुद्री तटों पर पाई जाने वाली रेत में होता है, जिससे इसे रेत से अलग किया जाना बहुत ही आसान होता है. जबकि अधिकांश देशों में मोनाजाईट पथरीली चट्टानों में होने के कारण उसे निकालना ना केवल बेहद महंगा बल्कि श्रमसाध्य भी होता है. थोरियम रिएक्टर सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी इंडियन रैर अर्थस लिमिटेड जो कि मोनाजाईट से थोरियम अलग करने के लिए भारत सरकार द्वारा अधिकृत एक मात्र संस्थान है. इंडियन रैर अर्थस लिमिटेड के उपरोक्त तीनों समुद्री तटों पर अपने डिविजन हैं तथा केरल स्थित कोलम में अपना अनुसन्धान केंद्र है. इसके अलावा कई निजी क्षेत्र की कम्पनियां भी इन इलाकों से समुद्री रेत का खनन कर निर्यात करती हैं मगर उनके पास किसी भी तरह का लाइसेंस नहीं है. यह निजी क्षेत्र की कम्पनियां मोनाजाईट और थोरियम निकली हुई रेत ही एक्सपोर्ट कर सकती हैं मगर हो रहा है उल्टा. यह कम्पनियाँ कुछ राजनेताओं और अधिकारीयों की मदद से अनधिकृत रूप से मोनाजाईट और थोरियम समेत इस बेशकीमती समुद्री रेत का निर्यात कर देश को चूना लगा रही हैं. यह मामला कभी सामने नहीं आता मगर सांसद सुरेश कोदिकुन्निल ने लोकसभा में अतारांकित प्रश्न के ज़रिये सवाल उठाया कि “क्या इस समुद्री रेत का खनन करने वाली कम्पनियां मोनाजाईट और थोरियम निर्यात में एटोमिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड द्वारा निर्धारित नियमों का पालन कर रही है या नहीं?” इसके जवाब में भारत के जन समस्या राज्यमंत्री वी नारायण स्वामी का लोकसभा में उत्तर था कि “थोरियम और मोनाजाईट निर्यात करने के लिए एटोमिक एनर्जी एक्ट के तहत लाइसेंस की जरूरत होती है जो कि इन कंपनियों के पास नहीं है और यह कम्पनियां वहाँ से समुद्री रेत का खनन कर के उस रेत का निर्यात कर रही हैं जिसमें मोनाजाईट और थोरियम होता है.” पूरे उत्तर को पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें. गौरतलब है कि यूपीए-एक के शासन में परमाणु उर्जा विभाग प्रधानमंत्री के पास था तथा उन्होंने अमेरिका से परमाणु संधि होने से पहले 20 जनवरी, 2006 को रंजन सहाय, सेंट्रल जोन के नियंत्रक खनन, भारत सरकार खनिज ने लाइसेंस मुक्त कर दिए थे जिनमें इल्मेनाईट, ल्युटाइल और जिरकॉन इत्यादि थे. मगर एटोमिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार “समुद्री रेत से मोनाजाईट और थोरियम निकाली हुई समुद्री रेत ही निर्यात की जा सकती है. यही नहीं समुद्री रेत से मोनाजाईट और थोरियम को बिना लाइसेंस निकाला भी नहीं जा सकता.” गौरतलब है कि इंडियन रैर अर्थस लिमिटेड के अलावा किसी अन्य कंपनी के पास यह लाइसेंस नहीं है. उसके बावजूद कई निजी क्षेत्र की कम्पनियां ओडिसा के रेतीले समुद्री तटों के अलावा मनावालाकुरिची (कन्याकुमारी) और अलुवा-चवारा (केरल) के रेतीले समुद्री तटों से समुद्री रेत का खनन कर निर्यात कर रहीं हैं और इस रेत के साथ मोनाजाईट और थोरियम बिना किसी अनुमति या लाइसेंस के निर्यात हो रहा है और भारत की इस बहुमूल्य संपदा पर पिछले आठ सालों से डाका डाला जा रहा है. जो कि बढ़ते बढ़ते 48,00,00,00,00,00,000 (48 लाख करोड़) रूपये का हो गया. यह मूल्य तो भारत का है, जबकि विदेशों में यह कीमत पांच गुना अधिक है. याने भारत में सौ डॉलर प्रति टन मूल्य की यही रेत विदेशों में पांच सौ डॉलर प्रति टन बिकती है. इसका मतलब अंतर्राष्ट्रीय भाव से यह डाका दो सौ बयालीस लाख करोड़ का है. गौरतलब है कि समुद्री रेत से मोनाजाईट और थोरियम निकालने के लिए मुख्य नियंत्रक खनन, भारत सरकार के नागपुर स्थित मुख्यालय से लाइसेंस लेना पडता है. जबकि पिछले चार सालों से मुख्य नियंत्रक सी पी अम्बरोज़ की सेवानिवृति के बाद से यह पद खाली पड़ा है, क्योंकि इस पद पर अम्बरोज के बाद नियुक्त मुख्य नियंत्रक को अब तक चार्ज नहीं लेने दिया गया. यहाँ ताज्जुब इस बात का है कि नयी नियुक्ति तक के लिए सेंट्रल जोन के नियंत्रक खनन, रंजन सहाय को मुख्य नियंत्रक का कार्य देखने के आदेश हुए थे मगर रंजन सहाय अपने राजनैतिक आकाओं के बूते मुख्य नियंत्रक को चार्ज नहीं दे रहा. यही नहीं रंजन राय के खिलाफ सीवीसी के समक्ष अनगिनत गंभीर शिकायतें होने के बावजूद सहाय का कुछ नहीं बिगड़ा और ना ही किसी शिकायत की जाँच ही हुई. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रंजन सहाय ना केवल दिग्गज राजनेताओं को साधे बैठा है बल्कि निजी क्षेत्र के बड़े बड़े उद्योगपति भी उसके करीबियों में शामिल हैं. कुल मिला कर राजनेताओं, अधिकारीयों और उद्योगपतियों व समुद्री रेत का खनन करने वालों का एक कॉकस लंबे समय से सरे आम इस बहुमूल्य परमाणु ईंधन पर डाका डाल रहा है और सरकार ने अपने कानों में रुई ठूंस रखी है और आँखों पर पट्टी बांध रखी है. दोस्तों आज उजागर हुआ थोरियम घोटाला और रामसेतु के बीच ऐसा सम्बन्ध है जिसके कारण ही सरकार और दलाल मीडिया अपने फायदे के लिए इसे तोडना चाह रही है ...... सरकार रामसेतु को सिर्फ इसलिए तोडना चाहती है की उसके नीचे थोरियम है... इस बात को देश के पूर्व राष्ट्रपति डा कलाम ने भी प्रमाणित किया था की भारत के पास बहुत थोरियम है..... ये रहा कलाम साहब की बात का लिंक ... newmediacomm/NuclearEzine/30Sept-6Oct08/05facetoface.html अब राजनितिक हलकों एवं पत्रकार मित्रो के माध्यम से ऐसा सुन ने में आ रहा है की देश की खान्ग्रेस सरकार ने उस क्षेत्र से निकले थोरियम को औने पौने दाम पर बेचा है जिस से देश को एवं राजकोष को ५० लाख करोड़ का नुकसान हुआ है.... वन्दे मातरम् — द स्टेट्समैन अखबार ने एक विशेष लेख प्रकाशित किया है जिसमें 44 लाख करोड़ रुपये के थोरियम की चोरी का जिक्र है। थोरियम एक बेहद बेशकीमती पदार्थ है जिसका प्रयोग परमाणु कार्यक्रमों में होता है। इस लेख के मुताबिक भारत के समुद्री किनारों से लगभग 44 लाख करोड़ रुपये का थोरियम गायब है। - See more at: lifemasti.co.in/2013/03/blog-post_28.html#sthash.dUmeIGXW.dpuf
Posted on: Tue, 29 Oct 2013 05:17:26 +0000

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