शहजादे की कहानी, की अंखियों का पानी ब्लाग लेखिका –तृप्ति Blogs.navbharattimes.indiatimes ब्लाग्स नवभारत टाइम्स Thursday October 24,2013 इस पर Sudhanshu kumar Srivastava का Bronz मैडल प्राप्त कमेन्ट तृप्ति जी, अपने इस लेख के लिये आप बधाई की पात्र हैं,राहुल महान को किसी ने बहुत नेक सलाह दी है,कि राहुल जी भारत एक भावना प्रधान देश है, भावनाओं से खेल कर यहाँ का फिल्म उद्योग विश्व में दूसरे स्थान पर आसीन है और प्रथम स्थान के अमेरिका को खुली चुनौती दे रहा है|अन्य सभी छेत्रों मे फिस्सडी हैं तो क्या हुआ| हमेशा से फिल्मों में रोने,आंसू बहाने के लिये विशेष ध्यान दिया जाता रहा है| लोग सिनेमा हाल में जितनी सिसकियाँ भरे फिल्म उतनी सफल | कुछ तो फूट फूट कर रोते हैं, हीरो या हीरोईन के दुखमें मे दीवाने हो जाते हैं, फाइनेन्सर की बल्ले बल्ले, रोते जाओ आंसू बहाते जाओ, जेब खाली करते जाओ---- राहुल को यह फ़ार्मूला सटीक लगा, देश का हीरो होने का बेहतरीन नाटक खेलो, रोने ,टेसुए बहाने ,आंसू पोछने सम्बंधी डाइलाग लिखा लाओ ,पढ दो, चीख चीख कर ड्रामा करो, कार्य कर्ताओं को टिशू पेपर दे कर आंसू पोछने की झूठी नौटंकी करने को कहो,इसके फोटो, वीडिओ मीडिया मे भेज दो| तालियाँ ,जै जै कार ------ भाषण से पहले, तेज़ आवाज़ में यह गाने बजवाओ 1. आँसूं भरी हैं- जीवन की राहें ...... 2. तेरी आंख के आंसू पी जाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ ... 3. ........... चुनाव जीत गये फिर तो जनता गायेगी-------- दिल के अरमा आँसुओं में बह गये, ....... वोट दे कर फिर वहीं के वहीं रह गये ...... To read the blog of Tripti log on to the link given. This is a satire,and these are my personal views.
Posted on: Fri, 25 Oct 2013 22:03:44 +0000
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