हम सब भारतीय अपने आप को दूसरों से बेहतर बताने मे कोई कसर नही छोड़ते चाहे वो कोरा झूठ ही क्यो न हो। देश ग्र्वो कर रहा है पर क्या ये सच हो सकता है जब देश के करनसी यानि हमारा रुपया के वैल्यू कम हो रही हो। रुपए के वैल्यू कम का मतलब, महंगाई , बेरोजगारी, आदि। पर सरकार कुछ कर नहीं सकती क्योकि वो निस्कर्ये हो चली है। लोग आवाज उठाएगे नहीं क्योकि हम सबने अपने आप को स्वार्थ के लिए किसी न किसी पार्टी से बाँट लिया है। आज हालत ये है कि गवर्नमेंट है पर पॉलिसी नहीं, लीडर है पर लीडरशिप है ओर जवान है पर काम नहीं। सरकार ओर पोलटिकल पार्टी सस्ता अनाज देने की बात करती है पर रोजगार के साधन नहीं जूटा पाती। फ्री लैपटाप, टीवी देने की बात करती है पर 12 घंटे बीजली नही दे पाती। मंदिर मस्जिद बनाने के बात करती है पर उनको सुरक्षा नहीं दे पाती। रिज़र्वेशन देने के बात करते है पर अच्छी एडुकेशन नहीं दे पाते। घर देने के बात करते है पर एक सोचालय नहीं बनवा पाते। आदि आदि क्या अपने कभी किसी पार्टी को देश की जनसंख्या को कंट्रोल करने को मुदा बनाते देखा है? नहीं ना? क्योकि यही तो वोट बैंक है। ओर यदि ये वोट बैंक गरीब, कमजोर, लाचार हो तो सोने पर सुहागा। स्वार्थ छोड़ो ओर केवल अपने या पार्टी के लीए नहीं बल्कि सब के लीये सोचो। अछ्ये लोग पोलटिक्स मे आए ओर देश के लीये काम करे, हम सब को भी देश के लीये अच्छा काम करने वालों को ही चुनना चाहीये। ये ही मेरी कामना है। बी अ गुड सिटिज़न फ़र्स्ट बिफोर यू आर कोंग्रेसी,भाजपाई etc.
Posted on: Tue, 09 Jul 2013 20:13:32 +0000