24-1-2015 AJ 24 January 2015, 11th Maagh Saturday, Samvat - TopicsExpress



          

24-1-2015 AJ 24 January 2015, 11th Maagh Saturday, Samvat Nanakshahi 546 de MUKHWAK ☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬ 11/ਮਾਘ, ਸੰਮਤ ਨਾਨਕਸ਼ਾਹੀ 546 (24ਜਨਵਰੀ, 2015) GURDWARA SHRI NANKANA SAHIB JI (PAKISTAN) JANAM ASTHAN SHRI GURU NANAK DEV JI RAG SUHI CHHANT MEHLA-4 GHAR-3 !! ੴ_SATGUR PRASAD !! AAVHO SANT JANHU GUN GAVAH GOBIND KERE RAM !! GURMUKH MIL RAHIAI GHAR VAJEH SABAD GHANERE RAM !! ANG-775 SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB JI JAITSARI MEHLA-4-GHAR-1 ੴ_SATGUR PARSAD !! MERE HIARE RATAN NAAM HAR BASEYA GUR HATH DHARIO MERE MATHA !! JANAM JANAM KE KILBHIK DUKH UTARE GUR NAAM DIO RIN LATHA !!1!! ANG-696 TAKHAT SHRI AKAL TAKHAT SAHIB JI DHANASARI MEHLA-5 !! JAH JAH PEKHO TH HAZUR DOOR KATUH NA JAYI !! RAV REHA SARBATAR ME MAN SADA DHIAYI !!1!! ANG-677 TAKHAT SHRI KESH GARH SAHIB JI SALOK MEHLA-3 !! VIN NAVAI SABH BHARAMDE NIT JAG TOTA SAISAR !! MANMUKH KARAM KAMAVNE HAUMAI ANDH GUBAR !! ANG-646 TAKHAT SHRI DAM DMA SAHIB JI SALOK MEHLA-3 !! GUR SEVA TE SUKH UPJAI FIR DUKH NA LAGAI AAE !! JAMAN MARNA MIT GAIA KALAI KA KICHH NA BASAE !! ANG-651 TAKHAT SHRI PATNA SAHIB JI (BIHAR) JANAM ASTHAN SHRI GURU GOBIND SINGH JI BILAVAL MEHLA-5 !! EK TEK GOVIND KI TIAGI AN AAS !! SABH UPAR SAMRATH PARABH PURAN GUNTAAS !!1!! ANG-812 TAKHAT SHRI HAZOOR SAHIB JI BASANT MEHLA -5 !! ੴ_SATGUR PARSAD !! DEKH FUL FUL FULE !! AHAN TIAG TIAG TIAGE !! CHARAN KAMAL PAGE !! TUM MILHU PARABH SABHAGE HAR CHET MANN MERE !! RAHAO !! ANG-1185 ☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬☬ 11/ਮਾਘ, ਸੰਮਤ ਨਾਨਕਸ਼ਾਹੀ 546 (24ਜਨਵਰੀ, 2015) नानकाना साहिब जी पकिस्तान रागु सूही छंत महला ४ घरु ३ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ आवहो संत जनहु गुण गावह गोविंद केरे राम ॥ गुरमुखि मिलि रहीऐ घरि वाजहि सबद घनेरे राम ॥ सबद घनेरे हरि प्रभ तेरे तू करता सभ थाई ॥ अहिनिसि जपी सदा सालाही साच सबदि लिव लाई ॥ अनदिनु सहजि रहै रंगि राता राम नामु रिद पूजा ॥ नानक गुरमुखि एकु पछाणै अवरु न जाणै दूजा ॥१॥ सभ महि रवि रहिआ सो प्रभु अंतरजामी राम ॥ गुर सबदि रवै रवि रहिआ सो प्रभु मेरा सुआमी राम ॥ प्रभु मेरा सुआमी अंतरजामी घटि घटि रविआ सोई ॥ गुरमति सचु पाईऐ सहजि समाईऐ तिसु बिनु अवरु न कोई ॥ सहजे गुण गावा जे प्रभ भावा आपे लए मिलाए ॥ नानक सो प्रभु सबदे जापै अहिनिसि नामु धिआए ॥२॥अंग-775-76 दरबार साहिब जी गोल्डन टेम्पल जैतसरी महला ४ घरु १ चउपदे ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मेरै हीअरै रतनु नामु हरि बसिआ गुरि हाथु धरिओ मेरै माथा ॥ जनम जनम के किलबिख दुख उतरे गुरि नामु दीओ रिनु लाथा ॥१॥ मेरे मन भजु राम नामु सभि अरथा ॥ गुरि पूरै हरि नामु द्रिड़ाइआ बिनु नावै जीवनु बिरथा ॥ रहाउ ॥ बिनु गुर मूड़ भए है मनमुख ते मोह माइआ नित फाथा ॥ तिन साधू चरण न सेवे कबहू तिन सभु जनमु अकाथा ॥२॥अंग-696 तखत श्री अकाल तखत साहिब जी धनासरी महला ५ ॥ जह जह पेखउ तह हजूरि दूरि कतहु न जाई ॥ रवि रहिआ सरबत्र मै मन सदा धिआई ॥१॥ ईत ऊत नही बीछुड़ै सो संगी गनीऐ ॥ बिनसि जाइ जो निमख महि सो अलप सुखु भनीऐ ॥ रहाउ ॥ प्रतिपालै अपिआउ देइ कछु ऊन न होई ॥ सासि सासि समालता मेरा प्रभु सोई ॥२॥ अछल अछेद अपार प्रभ ऊचा जा का रूपु ॥ जपि जपि करहि अनंदु जन अचरज आनूपु ॥३॥ सा मति देहु दइआल प्रभ जितु तुमहि अराधा ॥ नानकु मंगै दानु प्रभ रेन पगसाधा ॥४॥३॥२७॥अंग-677 तखत श्री केशगड़ साहिब जी सलोकु मः ३ ॥ विणु नावै सभि भरमदे नित जगि तोटा सैसारि ॥ मनमुखि करम कमावणे हउमै अंधु गुबारु ॥ गुरमुखि अम्रितु पीवणा नानक सबदु वीचारि ॥१॥ मः ३ ॥ सहजे जागै सहजे सोवै ॥ गुरमुखि अनदिनु उसतति होवै ॥ मनमुख भरमै सहसा होवै ॥ अंतरि चिंता नीद न सोवै ॥ गिआनी जागहि सवहि सुभाइ ॥ नानक नामि रतिआ बलि जाउ ॥२॥ पउड़ी ॥ से हरि नामु धिआवहि जो हरि रतिआ ॥ हरि इकु धिआवहि इकु इको हरि सतिआ ॥ हरि इको वरतै इकु इको उतपतिआ ॥ जो हरि नामु धिआवहि तिन डरु सटि घतिआ ॥ गुरमती देवै आपि गुरमुखि हरि जपिआ ॥९॥अंग-645-46 तखत श्री दम दमा साहिब जी सलोकु मः ३ ॥ गुर सेवा ते सुखु ऊपजै फिरि दुखु न लगै आइ ॥ जमणु मरणा मिटि गइआ कालै का किछु न बसाइ ॥ हरि सेती मनु रवि रहिआ सचे रहिआ समाइ ॥ नानक हउ बलिहारी तिंन कउ जो चलनि सतिगुर भाइ ॥१॥ मः ३ ॥ बिनु सबदै सुधु न होवई जे अनेक करै सीगार ॥अंग-651 तखत श्री पटना साहिब जी बिलावलु महला ५ ॥ एक टेक गोविंद की तिआगी अन आस ॥ सभ ऊपरि समरथ प्रभ पूरन गुणतास ॥१॥ जन का नामु अधारु है प्रभ सरणी पाहि ॥ परमेसर का आसरा संतन मन माहि ॥१॥ रहाउ ॥ आपि रखै आपि देवसी आपे प्रतिपारै ॥ दीन दइआल क्रिपा निधे सासि सासि सम्हारै ॥२॥ करणहारु जो करि रहिआ साई वडिआई ॥ गुरि पूरै उपदेसिआ सुखु खसम रजाई ॥३॥ चिंत अंदेसा गणत तजि जनि हुकमु पछाता ॥ नह बिनसै नह छोडि जाइ नानक रंगि राता ॥४॥१८॥४८॥अंग-812-13 तखत श्री हज़ूर साहिब जी बसंतु महला ५ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ देखु फूल फूल फूले ॥ अहं तिआगि तिआगे ॥ चरन कमल पागे ॥ तुम मिलहु प्रभ सभागे ॥ हरि चेति मन मेरे ॥ रहाउ ॥ सघन बासु कूले ॥ इकि रहे सूकि कठूले ॥ बसंत रुति आई ॥ परफूलता रहे ॥१॥ अब कलू आइओ रे ॥ इकु नामु बोवहु बोवहु ॥ अन रूति नाही नाही ॥ मतु भरमि भूलहु भूलहु ॥ गुर मिले हरि पाए ॥ जिसु मसतकि है लेखा ॥ मन रुति नाम रे ॥ गुन कहे नानक हरि हरे हरि हरे ॥२॥१८॥अंग-1185 सतिगुरु मेरा सदा सदा ना आवै न जाइ॥ ओहु अबिनासी पुरखु है सभ महि रहिआ समाइ॥ Sukh wele shukrana !! Dukh wele ardaas !! Har wele simran !! भुला चुका दि माफ़ी बक्षो जी वाहेगुरू जी का खाल्सा वाहेगुरू जी की फतेह जी Mukhwaak Ji Singh Sahaab
Posted on: Sat, 24 Jan 2015 05:09:28 +0000

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